Monday, November 25, 2024
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सूचना का अधिकार अधिनियम लोकतन्त्र का महत्वपूर्ण अधिनियम: विजय शंकर शर्मा

⇒बिना हस्ताक्षर, अंगूठा निशान व बिना व सही पते के आवेदन पत्रों पर नही दी जा सकती है सूचना: विजय शंकर शर्मा
⇒अधिनियम व नियमावली का उद्देश्य नागरिकों को सूचना के अधिकार के अधिकार से लाभान्वित करना
कानपुर देहातः जन सामना ब्यूरो। कलेक्टेªट सभागार में जिले के समस्त जन सूचनाधिकारियों एवं प्रथम अपीलीय अधिकारियों को सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 एवं उत्तर प्रदेश सूचना का अधिकार 2015 के प्रभावी कार्यावयन हेतु लखनऊ से आये राज्य सूचना आयुक्त विजय शंकर शर्मा ने अधिकारियों को प्रशिक्षण देते हुए निर्देश दिये कि उत्तर प्रदेश जनसूचना का अधिकार नियमावली 2015 के सुसंगत प्राविधानों को विस्तार से जाने तथा लंबित सूचना आरटीआई प्रकरणों का निस्तारण युद्धस्तर पर करें। सूचना का अधिकार अधिनियम लोकतन्त्र का महत्वपूर्ण अधिनियम है। उन्होंने कहा कि सूचनायें देने को लेकर भ्रान्तियों को प्रशिक्षण के माध्यम से दूर कराना है। भ्रान्तियों के कारण आयोग में आरटीआई के मामले लंबित हो जाते है और कई बार ज्ञान व जानकारी के अभाव में विभागाध्यक्षों को दण्ड का भागी बनना पडता है। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य सभी अधिकारियों को आरटीआई कानून सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 एवं उत्तर प्रदेश सूचना का अधिकार नियमावली 2015 को अधिकारियों को मुहैया करायी गयी है साथ ही कानून के बारे में पूरी तरह से समझाया जा रहा है इसको अमल में लाने के दो तरीके सिखाना है ताकि जनता और जन सूचना अधिकारियों के बीच भ्रम की स्थिति दूर हो सके। सूचना जनहित में है तभी तीसरे व्यक्ति को देना अनिवार्य होगा यदि किसी प्रकरण में कोई जांच चल रही हो या न्यायालय में न्यायालय द्वारा रोका गया हो तो भी सूचना नही दी जा सकती है।
राज्य सूचना आयुक्त विजयशंकर कुमार शर्मा ने कहा कि सूचना का अधिकार लोक हित में बनाया गया है। सूचना मांगने वाले व्यक्ति को 30 दिन के अन्दर सूचना उपलब्ध कराया जाना है। यदि आवेदक द्वारा विस्तृत सूचना मांगी जाती है तो उसमें होने वाले खर्चे को भी आवेदक से मांगा जा सकता है सभी जनसूचना अधिकारी आवेदन पत्र मिलने के 30 दिन के अन्दर ही आवेदक को सूचना उपलब्ध करायें परन्तु जीवन की स्वन्त्रता संबंधी सूचना को 48 घंटे के अन्दर ही उपलब्ध करायी जाये अन्यथा संबंधित अधिकारी के खिलाफ दण्ड लगाकर विभागीय कार्यवाही की जायेगी। उन्होंने कहा कि जनसूचना अधिकारी बिना किसी विधिक कारण के आवेदन निरस्त नही कर सकते है। अधिकारी अपने दायित्व व निर्वहन के उद्देश्य से किसी ऊपर के अधिकारी या अधिनस्थ से पीआईओ सहायता मांग सकता है परन्तु यह सब निर्धारित समय के आधीन ही करना है। बिना र्तकसंगत कारणों से यदि आवेदन को आस्वीकृत किया जाता है या जानबूझकर भ्रामक या अपूर्ण सूचना दी गयी हो या सूचना को नष्ट किया गया हो या सूचना देने में बाधा उत्पन्न की गयी हो, तो धारा 20 (1) के तहत कार्यवाही नही की तो रू0 250 से 25000 रूपये तक अर्थ दण्ड तथा धारा 20(2) के तहत अनुशासनात्मक कार्यवाही की जा सकती है। सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 पूरे देश में 12 अक्टूबर 2005 से प्रभावी रूप से लागू है जिसका उद्देश्य नागरिकों के सूचना के अधिकार को कार्यान्वित करने के लिए व्यवहारिक प्रशासनिक व्यवस्था स्थापित करना, लोक प्राधिकरण के नियन्त्रण में उपलब्ध सूचना तक नागरिकों की पहुंच को सुनिश्चित करना तथा प्रत्येक लोक प्राधिकरण की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता और जबावदेही विकसित कर भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना है। सूचना का अधिकार विश्व के 100 देशोें में लागू हो चुका है। स्वीडन में सन् 1766 से सूचना का अधिकार लागू है। उत्तर प्रदेश सूचना का अधिकार नियमावली 2015 के तहत्व व स्वरूप को बताते हुए सूचना आयुक्त विजय शंकर शर्मा ने कहा कि नियमावली अधिनियम के तहत सूचना प्रकट करने की प्रक्रिया को सुगम बनाती है, नियमावली की संरचना में केन्द्र व राज्य सरकार के दिशा निर्देशों, न्यायालयों के निर्णय तथा एक दशक के अनुभावों का समावेश के साथ ही नियमावली अधिनियम के तहत सूचना प्राप्त करने और आवेदनों के निस्तारण की प्रक्रिया को प्रारंभ से अन्त तक चरणवद्ध व तर्गसंगत रूप से स्थापित करती है। नियमावली आवेदन के निस्तारण की प्रक्रिया को गति प्रदान करने के साथ ही अधिनियम के दुरूपयोग पर भी अंकुश लगा रही है। उत्तर प्रदेश सूचना अधिकार नियमावली 2015 प्रख्यापन से जनसूचना अधिकारियों/प्रथम अपीलीय अधिकारियों/राज्य सूचना आयुक्त के अधिकार के अन्तर्गत प्राप्त आवेदनों, अपीलों व निस्तारण करने में सुगमता हो गयी है। नियमावली में जनसूचना अधिकारियों/प्रथम अपीलीय अधिकारियों/राज्य सूचना आयोग की सूचना आयोग की सुविधा हेतु प्रपत्रों को भी निर्धारित कर समावेश किया गया है जो कि उपयोगी सिद्ध हो रही है। आयोग से नामित अधिकारी रिर्सोस परसन डा. राजेश सिंह ने प्रशिक्षण देते हुए बताया कि प्रथम अपील की प्रक्रिया में यदि अपवाद की स्थिति में 30 दिनों से अधिक का समय लिया जाता है तो अपीलीय अधिकारियों को चाहिए कि वह विलम्ब के कारणों को लिखित रूप में दर्ज करें, प्रथम अपील अधिकारी के दायित्व है कि अपीलों का वह त्वरित निस्तारण करें। आवेदन की निस्तारण प्रक्रिया को विस्तार से बताते हुए डा. राजेश सिंह ने बताया कि प्रकटन से छूट में केन्द्र अथवा राज्य सरकार द्वारा स्थापित आसूचना और सुरक्षा संगठन सूचना देने हेतु बाध्य नही है इसके साथ ही उन संगठनों द्वारा सरकार को दी गयी कोई सूचना भी छूट प्राप्त है, परन्तु आसूचना एवं सुरक्षा संगठनों में यदि मानवाधिकार/भ्रष्टाचार से सम्बन्धित मामला है तो मानवाधिकार से सम्बन्धित सूचनायें 45 दिवस तथा भ्रष्टाचार से संबंधित सूचनायें 30 दिवस के भीतर दी जायेगी। आवेदन की निस्तारण की प्रक्रिया में नियम 4(2) के तहत प्रशिक्षण नियम 4(2) ग में सूचना प्राप्त करने के लिए अनुरोध में 500 से अधिक शब्द नही होने चाहिए, शब्दों की गणना में उदारवादी दृष्टिकोण भी अपनाया जा सकता है। बिना हस्ताक्षर, अंगूठा निशान तथा बिना पूरा पता आदि के आवेदन पत्रों पर कोई भी सूचना नही दी जायेगी। नाम, पता सही लिखा होना चाहिए तभी सूचना उपलब्ध करायी जा सकती है। प्रशिक्षण के दौरान सूचना आयुक्त व नामित अधिकारी स्टेट रिर्सोर्स पर्सन डा. राजेश सिंह ने सभी जनसूचना अधिकारियों को बताया कि समय से नियम के अन्तर्गत आवेदक को सूचना उपलब्ध करायें इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही न बरते। अधिकारियों ने आयुक्त सूचना व नामित अधिकारी से आरटीआई के संबंध में अनेक प्रश्न किये व समस्याओं को बताया जिसका उत्तर व समस्याओं का तरीका भी बताया। इस मौके पर जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह ने सूचना आयुक्त विजय शंकर शर्मा व नामित अधिकारी डा. राजेश सिंह का आभार व स्वागत किया। वहीं आये हुए सभी जन सूचना अधिकारियों का आभार प्रकट करते हुए कहा कि प्रशिक्षण महत्वपूर्ण है। जिसके जानने से आरटीआई के तहत समस्याओं का असानी से निराकरण के साथ ही आवेदक द्वारा मांगी गयीे सूचना को भी समय से सहज व सुगमता से उपलब्ध कराये जाने में मदद मिलेगी। मंडलायुक्त कानपुर कार्यालय से प्राप्त उत्तर प्रदेश प्रशासन एवं प्रबन्धन एकादमी लखनऊ की हस्तपुतिस्का सूचना का अधिकार एक हस्त पुस्तिका आदि साहित्य को प्रधान सहायक मन्ना लाल द्वारा सभी जन सूचना अधिकारियों को बांटा गया। इस मौके पर पुलिस अधीक्षक रतन कान्त पाण्डेय, सीडीओ केदारनाथ सिंह, एडीएम प्रशासन शिव शंकर गुप्ता, वित्त एवं राजस्व विद्याशंकर सिंह, एएसपी अरूण कुमार श्रीवास्तव, सीएमओ डा. सुरेन्द्र रावत, एडी सूचना प्रमोद कुमार, पीडी एसके पाण्डेय, डीडीओ अभिराम त्रिवेदी, एसडीएम परवेज अहमद, मनोज सिंह, बृजेन्द्र सिंह, रामशिरोमणि, राजीव पाण्डेय, दीपाली कौशिक, अतिरिक्ति मजिस्टेªट अन्जू वर्मा, विजेता, समस्त बीडीओ, डीआईओएस, ईओ, बीएसए, डीपीआरओ, समाज कल्याण अधिकारी, अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी, मत्स्य अधिकारी सहित जनपद के सभी जनसूचना अधिकारी/प्रथम अपीलीय अधिकारी उपस्थित रहे।