फिरोजाबादः जन सामना संवाददाता। जैन धर्म में चल रहे अढ़ाई पर्व के उपलक्ष्य में श्री शीतलनाथ दिगम्बर जैन मंदिर नसिया जी में जैन मिलन के वीर भारतेन्दु जैन व नसिया कमेटी समस्त जैन समाज द्वारा परम शिरोमणि आचार्य विद्या सागर जी महाराज के परम शिष्य एकाचार्य श्री सम्पूर्ण सागर जी महाराज व ब्रहमचारिणी दीदी सुषमा जैन द्वारा भक्तामर विधान का आयोजन किया गया।
एलाचार्य महाराज ने भक्तामर विधान की महिमा का वर्णन करते हुये कहा कि भक्तामर के अन्दर 48 श्लोक हैं। प्रत्येक श्लोक अपने आप में अनूठा सुख, सम्रद्धि, शान्ति औषधि का कार्य करता है। इसलिए जैन धर्म के प्रत्येक परिवार को साल भर में एक बार भक्तामर पाठ अवश्य कराना चाहिये। इसी संबंध में ब्रहमचारिणी दीदी ने कहा कि तुम्यक नमस्त्रि भुवनार्थ हरायनाथ, तुुम्यम नमःक्षित तलामल मूषराय, तुम्यक नमस्ति जगतः परमेश्वराय, तुम्यक नमोजिन भवोदीर्घ शोषराय उपरोक्त श्लोक को पढ़कर नौ लोग गर्म पानी में धोकर घिसकर माथे पर लगाने से सब प्रकार का सिर दर्द दूर हो जाता है। इसी क्रम में वीर भारतेन्दु जैन ने भी भक्तामर पर प्रकाश डाला। पाठ में पं. महेंद्र कुमार जैन, पूरनचंद्र जैन, अजय कुमार जैन, इंद्र कुमार जैन, ब्रहमचारी प्रकाश चंद्र जैन, धर्मावलबियांे ने भक्तामर विधान का उद्बोधन दिया।