Tuesday, November 26, 2024
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फुटपाथों पर भीषण अतिक्रमण, सालों से नहीं हुई नाली सफाई

⇒वर्षो से नालियों की नही हुई सफाई, नालियों पर पक्का निर्माण
⇒सिल्ट से भरी नालियां, पानी बह रहा सड़कों पर, लोगों को हो रही परेशानी
⇒सैकड़ों घरों में नहीं सीवरलाइन नाली में बहाया जा रहा मैला
कानपुरः स्वप्निल तिवारी। शहर में यातायात की समस्या गंभीर होती जा रही है जिसका सबसे बडा और प्रमुख कारण सडकों और फुटपाथों पर फैला अतिक्रमण है। आज शहर का कोई इलाका ऐसा नही है जहां अतिक्रमण न हो। फुटपाथों व नालियों के ऊपर दुकानदारों ने कब्जा कर रखा है। अधिकांश बाजारो में तो नालियों पर पक्का निर्माण कर नाली ही बंद कर दी गयी है। एक ओर जहां सफाई कर्मचारी नियमित सफाई नही करते तो वहीं दूसरी ओर नालियों पर अतिक्रमण होने से सफाई नही हो पाती जिससे नाली चोंक हो जाती है और गंदा पानी सडकों से बहता है।
शहर में कई पुराने क्षेत्र चमनगंज, बेगमगंज, ग्वालटोली, खलासीलाईन, परमट, नयागंज, भूसाटोली आदि सैकडो इलाकों में अतिक्रमण के चलते नालियां बंद हो चुकी है ऐसे में सफाई कर्मचारियों को नाली सफाई करने का बहाना मिल जाता है। इन क्षेत्रों के निवासियों की माने तो 10 सालों से अधिक समय हो गया लेकिन नालियों की सफाई नही हुई है। नालिया सिल्ट से चोक हो गयी है। यही हाल ग्वालटोली बाजार 12 चेक का है जहां दुकानदारों ने नालियों पर ही पक्का निर्माण कराकर नाली बंद करवा दी है। ऐसे में सफाई नही हो पा नही है। चूंकि ग्वालटोली पुराना क्षेत्र है इसलिए यहां नालियां काफी गहरी है। क्षेत्रवासियों ने बताया कि बीते 15 सालों से नालियों की सफाई नहीं हुई है हालत यह कि नालियां सिल्ट से भर गयी है और गंदा पानी तथा सिल्ट नालियों के बाहर बह रही है। सफाई कर्मी भी किसी की नही सुनता ऐसे में नई बनी सडक को नुकसान पहुंच रहा है।
कई मकानों में नहीं है सीवर व्यवस्था
यूं तो शहर के कई क्षेत्रों के मकानों में सीवर लाइन नही है जो प्रधानमंत्री स्वच्छता योजना को धता बता रही है। इन क्षेत्रों में आज भी मैला नालियों में बहाया जाता है या ढोया जाता है। इस गलीज व्यवस्था में आज तक कोई बदलाव नहीं हुआ है। अकेले ग्वालटोली क्षेत्र में ही सैकडो घरो में सीवर लाइन नही है। मैला सीधा नालियों में बहाया जाता है। लोगो ने बताया कि ऐसा नहीं कि प्रयास नहीं किया गया लेकिन सफलता नही मिली। फिलहाल अधिकारी भी इस ओर ध्यान नही दे रहे है। गंगा को निर्मल और स्वच्छ बनाने के लिए अभी तक अरबो रूपया पानी में बहा दिया गया लेकिन मूल समस्याओं को समाप्त करने की विभागीय पहल आज भी नहीं की जा रही है।