शहाबगंज, चन्दौलीः जन सामना ब्यूरो। कर्मनाशा नदी के तट पर बसे विकास क्षेत्र के बड़गावां गांव में बुधवार की रात्रि कौमी एकता आल इंडिया मुशायरा एवं कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें पूरी रात काव्य की धारा में श्रोता डूबते उतराते रहे। हास्य व्यंग्य के कवियों ने जहां श्रोताओं को हंसा-हंसाकर लोट-पोट कर दिया, वहीं देश भक्ति गीत ने युवाओं को झकझोर दिया। हिन्दू-मुस्लिम एकता की गीतों को श्रोताओं ने खूब सराहा। इस दौरान आयोजक मंडल ने पत्रकारों व अतिथियों को स्मृति चिन्ह भी भेंट किया। देर शाम शुरू हुए कवि सम्मेलन व मुशायरा भोर तक चला जिसमें बंधु पाल बंधु की रचना हमरो मेहरारु प्रधान हो गइल के माध्यम से महिलाओं के उत्थान की बात कही इनकी कविता को लोगों ने खूब सराहा, तो आकाशवाणी कलाकार व कवि झगड़ू भईया की कविता कहली जीवनदायीं गंगा कब निर्मल करवईबा, कहिया गंगा माई क अविरल धारा बहवईबा ने खूब ताली बटोरी, तो फरमोद इलाहाबादी ने तुम अपने पड़ोसी हो जो माँगो दे देंगे लेकिन कश्मीर नहीं देंगे, किस बल पे अकड़ते हो मालूम नहीं है क्या जिस मुल्क में रहते हो वो मुल्क भी हमारा है ने गीत सुनाकर लोगों को हिंदुस्तान जिंदाबाद का नारा लगाने पर मजबूर कर दिया। निजाम बनारसी ने भारत में एकता की निराली ये शान है होता है कही भजन तो होता कही अजान है पढ़कर हिन्दू मुस्लिम एकता की बात कही। फलक सुल्तानपुरी ने हया के वादियों में शर्म के आंगन में रहती हूं, मैं उर्दू हुं सदा तहजीब के दामन में रहती हूं गजल पेशकर खूब वाह वाही लूटी। हिना अंजुम इलाहाबादी ने अपनी तन्हाई से मैं आज बगावत कर लूं, हो इजाजत तो कहो मोहब्बत कर लूं के माध्यम से युवाओं को झकझोरा। चकिया नगर पंचायत अध्यक्ष एवं कवि अशोक कुमार बागी ने राम और रावण चित्रण कविता के माध्यम से करके खूब वाह-वाही लूटी। इसके अलावा विभा शुक्ला, रामजियावन, परवेज अशरफ, डाॅ. तारिक अनवर, उस्मान काविज, बादशाह राही अहमद आजमी, मुश्ताक बनारसी आदि कवियों की रचनाओं ने लोगों को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया। अध्यक्षता कय्यूम खां व मंच का संचालन वरिष्ठ कवि समर गाजीपुरी ने किया।