हाथरसः जन सामना संवाददाता। किसी ने कहा है कि ‘‘बेटा तब तक आपका है जब तक कि उसे बहू नहीं मिल जाती, बेटी तब तक आपकी है जब तक कि आपकी अर्थी नहीं उठ जाती’’। भारत की महिमा अपरम्पार है जहाँ वर्श में दो बार कन्याओं की पूजा नवरात्रि के अवसर पर की जाती है और साथ ही न केवल कन्याओं को पूज्य माना गया है वरन ‘‘यत्र नारयस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता’’ की उक्ति नारी का भारतभूमि में सम्मान को दर्षाती है। यहाँ सतयुग और त्रेतायुग में भी नारी को राज्यसिंहासन पर बराबर की भागीदारी दिखाई गई है। आज षिक्षित होने के बाद भी महिलाओं के खिलाफ अत्याचारों में कमी नहीं आई है। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईष्वरीय विष्व विद्यालय के संस्थापक प्रजापिता ब्रह्मा बाबा ने अपना सर्वस्व परमपिता परमात्मा षिव की सद्प्रेरणा से न्यौछावर कर संसार के पहले ऐसे संगठन की स्थापना की जिसका पूर्ण रीति से संचालन माताओं, बहिनों, कन्याओं द्वारा किया जाता है। परमपिता परमात्मा षिव से सत्य गीता ज्ञान लेकर और ब्रह्मचारी जीवन की प्रेरणा पाकर नारी का सषक्तिकरण हुआ जो ब्रह्माकुमारी बनकर भारत की समस्त दिषओं में तथा संसार के 140 देशों में भारत के प्राचीन राजयोग और गीताज्ञान का परचम लहरा रही हैं। उक्त विचार प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की अलीगढ़ रोड स्थित आनन्दपुरी कालोनी केन्द्र की राजयोग षिक्षिका बी.के. षान्ता बहिन ने व्यक्त किये। रूहेरी में संतोशीमाता मंदिर तथा अमरपुर में आयोजित कार्यक्रम में व्यसनों से दूर रहने तथा नारी सषक्तिकरण के नारे ‘‘बेटियों को पढ़ाना है, दैवीय गुणों से सजाना है आदि लगाते हुए ब्रह्मावत्सों ने प्रभातफेरी निकाली। ब्रह्माकुमारी बहिनों का स्थान-स्थान पर स्वागत किया गया। ज्ञात हो कि जनपद में ब्रह्माकुमारी बहिनें जल संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण, व्यसन मुक्त भारत आदि अभियानों की हाथरस में अगुआई कर रही हैं। इस अवसर पर बी0के0 उमा बहिन, बी0के0 वंदना बहिन, केषवदेव, सरोज बहिन, सुभद्रा बहिन, षारदा बहिन, षकुन्तला बहिन आदि उपस्थित थे।