हाथरसः जन सामना संवाददाता। राष्ट्र चेतना से अभिप्राय परस्पर भाईचारा और एकता है, राष्ट्र चेतना से अभिप्राय हिन्दू समाज की रक्षा से है, राष्ट्र चेतना से अभिप्राय समरसता के साथ रहना है। संघ का कार्य संपूर्ण समाज में समरसता स्थापित करना है। देश के साथ ही संपूर्ण विश्व में समरसता स्थापित करना है। आज पूरे हिन्दू समाज को एक होने की जरूरत है, जब हम समूह में खड़े होते हैं तब एकता की आवश्यकता पड़ती है। जिस तरह से व्यक्ति को खड़ा होने के लिये सभी अंगों का ठीक होना जरूरी है, इसी प्रकार समरसता के लिए सभी का एकत्रीकरण जरूरी है।
यह बात आज राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ द्वारा आगरा रोड स्थित पाॅलीटेक्निक कालेज मैदान पर आयोजित स्वयं सेवक एकत्रीकरण कार्यक्रम राष्ट्र चेतना में क्षेत्रीय कार्यकारणी सदस्य श्री किशनचन्द्र ने कही। उन्होंने अपने संबोधन से पहले उन्होंने हाथरस की धरती को प्रणाम कर राजा महेन्द्र प्रताप को नमन किया। उन्होंने कहा कि इस धरती पर जन्मा एक-एक बच्चा देश के सामथ्र्य एवं स्वतन्त्रता के लिये समर्पित है। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के स्वयं सेवक रात दिन अपने स्वयं के कार्याे को छोडकर देश के उत्थान के लिये कार्य करते हैं। जीवन में संघर्ष करना पड़ता है। जो बलवान है उसकी विजय होती है और दुर्बल की पराजय, इसलिए बलवान बनो।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने छूआछूत, भेदभाव को दूर कर सामाजिक समरसता और एकता से जीने का मार्ग दिखाया है। आज विश्व बड़ी आशा के साथ भारत की ओर देख रहा है। विश्व के लोग जानते हैं कि यह भारत वर्ष है इसे झुकाया नही जा सकता है। भारत की परंपरा कहती है कि हम दिखते अलग-अलग है लेकिन हैं एक ही। एक होने पर अलग-अलग व्यवहार नहीं होगा। उन्होंने कहा कि विविधता के मूल में एकता है और एकता ही विविधता बनी है। उन्होंने कहा कि हमारी आत्मीयता का दायरा जितना बढ़ेगा, उतनी एकता बढ़ेगी।
उन्होंने कहा कि भारत में समतायुक्त, शोषणमुक्त समाज बनाना होगा। राष्ट्र विरोधी ताकतों से सावधान रहना होगा। कुछ राष्ट्र विरोधी ताकतें हमें जाति में बांटकर तोडना चाहती है ऐसी ताकतों को हमेें सफल नहीं होने देना है। भारत को सांस्कारिक राष्ट्र बनाने के लिये ही संघ खडा हुआ है। संघ को दबाने के लिये तरह-तरह के षडयंत्र समय-समय पर होते रहे हैं लेकिन राष्ट्रहित में अपने विचारों के साथ सभी षडयंत्रों को ध्वस्त करते हुए आज विश्व के सबसे बडे संगठन के रूप में संघ खडा हुआ है। हम सभी भारत माता के पुत्र हैं और भारत माता की रक्षा के लिए पूरे समाज को खड़ा होना पड़ेगा। भारत हमारी मातृभूमि है। इसलिये ही सनातन हिन्दू संस्कृति को भारतीय संस्कृति कहते हैं।
उन्होंने कहा कि योग और व्यायाम के द्वारा हमारे भीतर पैदा हुई विषमता को दूर करना होगा। संघ इसी विषमता को दूर करने का कार्य कर रहा है। संघ का स्वयं सेवक किसी स्वार्थ से कार्य नहीं करता है उसे तो बस समाज और राष्ट्र को देना ही देना है। तन, मन भारत माता को समर्पित करना है। संघ की शाखा में आने वाला प्रत्येक नागरिक राष्ट्रभक्ति सीखता है। संघ की प्रार्थना के अंत में भारत माता की जय बोली जाती है। संघ की शाखा पर स्वयं सेवक बाहर की दुनिया को भूलकर अपने राष्ट्र का वंदन करता है। इसी राष्ट्रभक्ति की प्रेरणा का परिणाम है कि आज संघ के स्वयं सेवकांे द्वारा एक लाख 70 हजार से ज्यादा सेवा कार्य किए जा रहे हैं। कहीं कोई आपदा होती है तो राहत कार्यो में सबसे पहले संघ का स्वयं सेवक ही पहुंचता है। यही कारण है कि आज संघ के विचारों से विपरीत विचार रखने वाले भी संघ के सेवा कार्यो की चर्चा करते हैं।
उन्होंने कहा कि संघ को समझना है तो शाखा में आयें और सक्षम भारत का निर्माण करें। इससे पूर्व कार्यक्रम में विद्यार्थियों के घोष से निकली मधुर ध्वनि के बीच ध्वजारोहण किया गया। स्वयं सेवक द्वारा एकल गीत ‘‘मैं जग में संघ बसाऊ, मैं जीवन को बिसराऊ’’ गाया गया उसके बाद कार्यक्रम में उपस्थित स्वयंसेवकों द्वारा योग-व्यायाम किया। अंत में प्रार्थना के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ स्वयं सेवक यशपाल भाटिया ने की। कार्यक्रम में हजारों की संख्या में जिले भर के स्वंयसेवकों ने सहभागिता रही।
संघ के राष्ट्र चेतना विशाल एकत्रीकरण कार्यक्रम में जिले भर से आये स्वयंसेवक भारी अनुशासन में दिखे और क्या खास और क्या आम सभी स्वयंसेवक स्वयंसेवक की भूमिका में एक समान दिखाई दिये तथा कार्यक्रम स्थल पर पार्किंग व सुरक्षा का जिम्मा भी स्वयंसेवक ही संभाले हुए थे जिसे उन्होंने इतना बखूबी से निभाया जो कि अनुशासन की मिसाल कायम करता है।