Monday, November 25, 2024
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निजी विद्यालयों की मनमानी रोकने की मांग की

कानपुर, स्वप्निल तिवारी। प्रदेश के सीबीएसई और आईसीएसई से सम्बद्ध निजी स्कूलों में शिक्षा के बदसूरत व्यापारीकरण की शिकायतें लगातार आ रही हैं। फिर से नये सत्र के लिए कुछ स्कूलों ने तो लाखों में फीस मांगना शुरू कर दिया है। सपा व्यापार सभा और प्रान्तीय व्यापार मण्डल से जुड़े व्यापारियों ने इसके खिलाफ अभियान की शुरुआत की। प्रान्तीय व्यापार मण्डल के प्रदेश अध्यक्ष और सपा व्यापार सभा के प्रदेश उपाध्यक्ष अभिमन्यु गुप्ता के नेतृत्व में व्यापारी आज कानपुर की किदवई नगर विधानसभा के भाजपा विधायक महेश त्रिवेदी से उनके निवास पे मिले और विधायक को राज्यपाल और मुख्यमंत्री के नाम सम्बोधित ज्ञापन देकर तत्काल स्कूलों की आड़ में चल रहे व्यापार पे लगाम लगाने की मांग रखी गई।ज्ञापन में कहा गया की व्यापार करने का काम व्यापारियों का होता है जो की अपने परिवार के पालन पोषण और सामाजिक दायित्त्वों के निर्वाह के लिए अपने व्यापार से मुनाफा कमाते हैं। स्कूल तो एक नेक जनसेवा का काम है जिसमे मुनाफा कभी नहीं देखा जाता सिर्फ छात्र का बेहतर भविष्य निर्माण देखा जाता है ताकि वह काबिल बने और राष्ट्र निर्माण में अपना अहम योगदान दे सके।पर उत्तर प्रदेश के कई निजी स्कूल अब ट्रेडिंग और बिजनेस हाउस की तरह चलते हुए ट्यूशन और एडमिशन फीस, किताबों स्टेशनरी की खरीदने की अनिवार्यता, स्कूल ड्रेस की अनिवार्यता के नाम पे लाखों की फीस वसूल रहे हैं। कानपुर के एक निजी स्कूल में नर्सरी की फीस 1.5 लाख से ज्यादा मांगी गई है। स्कूलों को अपना नाम पब्लिक स्कूल की जगह ट्रेडिंग एजेंसी रख लेना चाहिए। फीस लीजिये एक हद तक उसमे कोई दिक्कत नहीं है पर लाखों की फीस लेना सही मायने में देश के साथ अपराध है। ज्ञापन में मांग की गई कि सरकार ही फीस तय करे।जैसे दिल के इलाज, घुटना प्रत्यारोपण के इलाज के लिए फीस की सीमा तय है तो ऐसे ही स्कूल की फीस तय होनी चाहिए। जैसे पेट्रोल, डीजल, एलपीजी, रेल किराया दर तय है ऐसे ही स्कूल की फीस सरकार तय करे। ज्ञापन में मांग रखी गई की सरकारी स्कूल के हालात बेहतर किये जाएं।व्यापारियों के टैक्स के पैसे से सरकारी सकूल चलते हैं तो उन पैसों का सही उपयोग हो। दिल्ली में केजरीवाल सरकार ने सरकारी स्कूलों का स्तर सुधारा है ऐसे ही उत्तर प्रदेश सरकार भी सरकारी स्कूलों पे ध्यान दे।सकूल से ही किताब ड्रेस लेने आदि की अनिवार्यता खत्म हो। सिलेबस सीबीएसई आईसीएसई का एक हो और किताबें भी एक ही हों जिनको कहीं से भी खरीदा जा सके । इससे कीमत पे लगाम लगेगी। आरटीई में दाखिला न देने वाले स्कूलों की मान्यता खत्म हो और ऐसे मामलों में स्कूल प्रबंधकों पे फौरन अपराधिक मुकदमा दर्ज होना चाहिए।स्कूलों में आरटीई के तहत सभी आवेदनों में से 25 प्रतिशत आवेदन जरूर लिए जाएं।सभी आवेदनों की सही सूची स्कूल तैयार रखे और जिलाधिकारी उन आवेदकों पर हुई कार्यवाही का हर मई में निरीक्षण करें। अभिमन्यू गुप्ता ने कहा की चीन जैसे दुश्मन मुल्क भी अपने देश के बच्चों की शिक्षा पर विशेष ध्यान रखते हैं।वहां फीस कभी अवरोध नहीं बनती क्योंकि सरकार अपने नियंत्रण में सब रखती है।बच्चा महंगी शिक्षा लेकर महंगे वातावरण को ही भविष्य में अपनाता है और फिर राष्ट्र निर्माण से ज्यादा खुद के निर्माण में लग जाता है और यहीं से भ्रष्टाचार की शुरुआत होती है। व्यापारी पहले ही जीएसटी नोटबंदी से बर्बाद है और अब अपने बच्चों के लिए लाखों की फीस की चोट भी झेल रहे हैं।अभिमन्यु गुप्ता ने बताया कि जनप्रतिनिधियों से मिलके लगातार इस मुद्दे को उठाया जाएगा। ज्ञापन देने वालों में अभिमन्यु गुप्ता,हरप्रीत सिंह बब्बर, संजय बिस्वारी, शुभम जेटली, उपेन्द्र दुबे, जीतेंद्र सिंह संधू, शब्बीर अंसारी, मनोज सोनी, नितिंन सिंह, बॉबी सिंह, आत्मजीत सिंह, अंकुर गुप्ता, गजेंद्र यादव, विभोर शर्मा आदि थे।