फिरोजाबादः जन सामना संवाददाता। 1989 में कानून बनने के बाद भी आज भी दलित थाने में जाने में डरता है। रोज ही दलित के साथ अभद्रता एवं दबंगई होती है। थाने जाने पर कोई कार्रवाई न होने पर दलित को थाने जाने में भी डर लगता है।
जसराना के अधिवक्ताओं ने राष्ट्रपति के नाम संबोधित ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि 30 वर्ष बाद भी दलित को रिपोर्ट दर्ज नहीं हो रही है। थाने जाने में भी डर लग रहा है। अगर थाने में रिपोर्ट दर्ज हो भी जाती है। तो एफआर लगा दी जाती है। उन्होंने कहा कि कानून में बदलाव होने से मनुवादी हावी हो जाएंगे। नंदकिशोर भारतीय, बलबीर सिंह, शीलेंद्र सिंह, अशोक कुमार, अजय कुमार कुलश्रेष्ठ, अनोज यादव, मुखलेश यादव, रवेंद्र यादव, सौरभ सक्सैना आदि अधिवक्ता मौजूद रहे।