Monday, November 25, 2024
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इजरायल अपनी सरकार और निजी क्षेत्र के माध्यम से सहयोग के लिए प्रतिबद्धः राजदूत, इजरायल

लखनऊः जन सामना ब्यरो। बुंदेलखण्ड में जल संरक्षण के साथ-साथ जल संसाधनों के स्थायी प्रबंधन हेतु बुंदेलखण्ड के वाॅटर शेड में टिकाऊ प्रबंधन और प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग में सुधार के लिए और अधिक प्रभावी कदम उठाया जाये। राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को दृष्टिगत रखते हुए शासन द्वारा बुंदेलखण्ड क्षेत्र को शीर्ष प्राथमिकता देते हुए प्रदेश में जल उपयोग की दक्षता में वृद्धि करने हेतु जल प्रबंधन को और अधिक सुदृृढ़ किये जाने की दिशा में गंभीरता से प्रयास शुरू किये जायेंगे। शासन द्वारा पानी की चुनौती को हल करने के उद्देश्य से प्रदेश के जल क्षेत्र के प्रणालीगत और एकीकृत विकास को उत्प्रेरित करने हेतु ‘‘बहु-स्टेक होल्डर प्लेटफार्म (एम.एस.पी.)‘‘ का गठन कर एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन करने के प्रयासो में तेजी लाई जायेगी ताकि किसानों की आजीविका को और अधिक सुदृढ़ किया जा सके।
आज योजना भवन में 2030 डब्ल्यूआरजी द्वारा बुंदेलखण्ड इण्टीग्रेटेड वाॅटर रिसोर्सेज मैनेजमेण्ट उ0प्र0 मल्टी स्टेक होल्डर प्लेटफार्म (एम.एस.पी.) की कार्यशाला मुख्य सचिव श्री राजीव कुमार की अध्यक्षता एवं इजरायल के राजदूत श्री डैनियल केमरून की उपस्थिति में आयोजित की गई थी।
श्री डैनियल कैमरून ने कहा कि इजरायल अपनी सरकार और निजी क्षेत्र के माध्यम से सहयोग के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने गो-यू0पी0 तथा 2030 डब्ल्यूआरजी द्वारा एम0एस0पी0 लांच करने के लिए धन्यवाद देते हुए भारत और इजरायल के मध्य सम्बंधों का पोषण कराने का आश्वासन दिया। मुख्य सचिव श्री राजीव कुमार ने आयोजित कार्यशाला को बेहतर शुरूआत बताते हुए कहा कि बुंदेलखण्ड में और अधिक बेहतर कार्यों से परिवर्तन लाने की आवश्यकता है जिसके लिए सभी हितधारकों के मध्य सहयोग प्राप्त करना आवश्यक है। उन्होंने एम0एस0पी0 योजना की पहल को सकारात्मक पहल बताते हुए कहा कि कार्ययोजना को यथाशीघ्र धरातल पर उतारने हेतु आवश्यक कार्यवाहियां नियमानुसार सुनिश्चित करानी होंगी।
बुंदेलखण्ड में पानी की स्थित पर ध्यान केंद्रित करते हुए मुख्य सचिव श्री राजीव कुमार की अध्यक्षता में एक संरक्षित ‘‘बहुहितकारक मंच’’ का विकास करने का निर्णय शासन द्वारा लिया गया है। निदेशक, भू-गर्भ जल विभाग को इसका सदस्य सचिव बनाया गया है। नियोजक एवं कार्यक्रम कार्यान्वन, अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास, वित्त, लघु सिंचाई एवं भू-गर्भ जल, सिंचाई एवं जल संसाधन, ग्राम विकास, आवास एवं शहरी नियोजन, कृषि, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण, चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग के अधिकारीगण इसके सदस्य बनाये गये हैं। क्षेत्रीय निदेशक, केंद्रीय भूमि जल बोर्ड उ0 क्षेत्र लखनऊ, निदेशक रिमोर्ट सेंसर सेन्टर, लखनऊ तथा झांसी व बांदा के मण्डलायुक्त को भी इसका सदस्य बनाया गया हैं।
उद्योग संघो की ओर से सी0जी0एम0 नाबार्ड, जी0एम0, बैंक आॅफ बड़ौदा(संयोजक राज्य स्तरीय बैंकिंग समिति) तथा सी0आई0आई0, फिफ्की एवं पीएचडी द्वारा नामित प्रतिनिधि भी इसके सदस्य होंगे।
नागरिक समाज एवं शिक्षण संस्थान की ओर से बुंदेलखण्ड के सातों जिलों के भू-जल सेना के दो-दो प्रतिनिधि, बुंदेलखण्ड जलमंच (परमार्थ समाज सेवा संस्थान) के प्रतिनिधि, कार्यकारी निदेशक, हरीतिका के एक-एक प्रतिनिधि तथा आई0आई0टी0 कानपुर, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् तथा बांदा विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि को भी इसके सदस्य के रूप में नामित किया गया है।
एम.एस.पी. के मुख्य कार्य एवं दायित्वों का निर्वहन करते हुए लघु सिंचाई एवं भू-गर्भ जल अनुभाग द्वारा जारी शासनादेश के कहा गया है कि इसके द्वारा प्रदेश में जल संसाधन से सम्बन्धित सामाजिक-आर्थिक-पर्यावरण प्राथमिकताओं के परिवर्तन एजेण्डे को मार्गदर्शन प्रदान किया जायेगा। साथ ही विषयगत और भौगोलिक दृष्टि से केन्द्रित वर्कस्ट्रीम पहचानने, सार्वजनिक क्षेत्र उद्योग और नागरिक समाजध्शिक्षण अकादमी के क्षेत्र में संतुलित प्रतिनिधित्व के साथ वर्कस्ट्रीम के सदस्यों को चुनने और उनको नियुक्त करने का दायित्व दिया गया है। वर्कस्ट्रीम की प्रगति पर नजर रखने, अन्तर-विभागीय और स्टेकहोल्डर के मुद्दों सहित बकाया वस्तुओं को सम्बोधित करने और उच्च स्तर की दिशा प्रदान करने की भी इसकी जिम्मेदारी होगी।
उल्लेखनीय है कि बुंदेलखण्ड में राज्य सरकार द्वारा गत वर्ष राज्य ‘‘भू-जल संरक्षण मिशन‘‘ नामक महत्वाकांक्षी योजना प्रारम्भ के साथ कई अन्य कार्यक्रम और परियोजनाओ की शुरूआत की गई हैं। इसके अलावा नागरिक समाज और निजी क्षेत्र में भी कई नए कदमों की भी शुरूआत की गई है। इस प्रकार सामूहिक कार्यवाही के साथ-साथ एक एकीकृत बहु-हितकारक दृष्टिकोण इस क्षेत्र में किये जा रहे प्रयासों से वर्तमान स्थित को और अधिक सुदृढ़ करने के साथ-साथ अच्छे परिणामों को देने में भी सहायक सिद्ध होगा।
जल संसाधन समूह 2030 एक सार्वजनिक -निजी-नागरिक सामाजिक जिम्मेदारी है और दीर्घकालिक विकास के लिए स्थायी जल संसाधन प्रबंधन में सुधारों को गति देने के लिए सरकार के साथ सहयोग करना चाहता है। इसके द्वारा बंुदेलखण्ड क्षेत्र में एक व्यापक एकीकृत मल्टी स्टेट होल्डर जल संसाधन विभिन्न योजना के क्रियान्वयन हेतु प्रस्ताव किया गया है। प्रारम्भिक चरण में इसके द्वारा बहुहितकारक (मल्टी स्टेट होल्डर) के नेतृत्व वाले एकीकृत कार्यक्रम के लिए किसानों के लाभ को बढ़ाने के लिए बुंदेलखण्ड में वाॅटर शेड में टिकाउ व प्राकृति संसाधनों के उपयोग सुधार के लिए अवसर बढ़ाने पर बल दिया गया है। सरकारी, निजी क्षेत्र, नागरिक समाज और अकादमिक क्षेत्र में सक्रिय प्रतिनिधत्व के साथ-साथ बहुहितकारक परामर्शदात्री चर्चा द्वारा जरूरतों का आकलन किया जा रहा है।
2030 (डब्ल्यूआरजी) द्वारा जनपद झाँसी और बांदा में एक बैठक का आयोजित की गयी जिसमें सभी प्रमुख बहु-हितधारकों ने अपनी सूचनाओं को साझा किया। भारत और इजराइल के 80 हितधारकों को साथ में लाने के लिये लखनऊ में एम0एस0पी0 की तीसरी बैठक आयोजित की गयी। सरकारी मंत्रालय के अलावा एम0एस0पी0 की बैठक में प्राइवेट सेक्टर का प्रतिनिधित्व फिक्की, सी0आई0आई0, एसोचैम, डिस्पा, आई0आई0ए0 इत्यादि। प्रमुख प्राइवेट सेक्टर की कंपनियां डी0सी0एम0 श्री राम बजाज, आर्गेनिक इण्डिया, तथा होमग्रोन मार्डन टैक्नोलाॅजिस जैन इरिगेशन, भुंगरू और इन्कार्डियो राइट। नाबार्ड तथा सिविल सोसाइटी संस्था ने बहुत ही मजबूती से प्रतिभाग किया जिसको परमार्थ डेवलपमेन्ट आॅलटरनेटिव ने प्रस्तुत किया।