नई दिल्ली, जन सामना ब्यूरो। केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन, विज्ञान एवं प्रौदयोगिकी और पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा है कि वृक्ष को गिराने की अनुमति केंद्रीय मंत्रालय द्वारा नहीं दी गई है।
डॉ. हर्षवर्धन ने एक बयान जारी कर कहा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की सरकार ने न तो इस संबध में कोई अनुमति ली और न ही उसे इस संबंध में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से ऐसी कोई अनुमति लेने की आवश्यकता है।
डॉ. हर्षवर्धन ने इस बात पर जोर दिया कि वृक्ष गिराने का यह कार्य दिल्ली सरकार के संबधित अधिकारियो की स्वीकृति द्वारा किया गया और इस संबंध में अनुमति दिल्ली वृक्ष संरक्षण अधिनियम-1994 के अनुसार दी गई, जोकि यह एक राज्य अधिनियम है।
श्री हर्षवर्धन ने स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली को दी गई पर्यावरण अनुमति में यह स्पष्ट किया गया था कि यदि किसी वृक्ष को काटने की आवश्यकता है तो उन्हें गिराने की जगह 10 वृक्षो का रोपण आवश्यक है। सामान्य रूप से एक वृक्ष को गिराने पर वृक्ष लगाने की आवश्यकता होती है। उन्होंने यह भी कहा कि संबधित परिसर ऐसी सभी कालोनियो में शायद सबसे अधिक हरा-भरा परिसर है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण अनुमति राज्य सरकार की विभिन्न वैधानिक अनुमति के अनुरूप है,जिसमें दिल्ली वृक्ष संरक्षण अधिनियम 1994 के अंतर्गत अनुमति भी सम्मिलित है।
डॉ. हर्षवर्धन ने यह भी बताया कि पर्यावरण मंजूरी प्रकिया में इस बात पर जोर दिया गया है कि परियोजना स्थल के 40 प्रतिशत अधिक क्षेत्र को हरित क्षेत्र की तरह विकसित किया जाएगा है। दक्षिण दिल्ली स्थित न्यू मोती बाग कॉलोनी इसका एक उदाहरण है जहां निर्माण कार्य पूरा होने के बाद बहुतायत में वृक्ष लगाए गए।
डॉ. हर्षवर्धन ने बताया कि पर्यावरण और जंगलो पर होने वाले नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए मंत्रालय सभी उपाय कर रहा है और मंत्रालय हरित क्षेत्र में वृद्धि के लिए प्रतिबद्ध है। दिल्ली और संपूर्ण भारत में चल रहे वृहत विकास कार्यो के बाद भी हरित क्षेत्र में वृद्धि हो रही है।
डॉ. हर्षवर्धन ने स्पष्ट किया कि गत दो वर्षों में देश के हरित क्षेत्र में 7,84,300 हेक्टेयर की वृद्धि हुई है। इस अवधि में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के हरित क्षेत्र में भी 563 हेक्टेयर की बढोत्तरी हुई है। दिल्ली में कुल हरित क्षेत्र अब 20.59 प्रतिशत है।