सिकन्द्राराऊः जन सामना संवाददाता। स्वतंत्रता दिवस के 72 वें आयोजन पर राष्ट्रीय कवि संगम के तत्वावधान में स्थानींय सन्त वाटिका गैस्ट हाउस में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठा भानु प्रताप सिंह ने की तथा संचालन कार्यक्रम के संयोजक एंव राष्ट्रीय कवि संगम के सह जिला संयोजक देवेश सिसोदिया ‘आॅसू’ ने किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में पधारे पूर्व एमएलसी डा0 राकेश सिंह राणा ने दीप प्रज्वजन कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। वहीं स्थानींय दिवंगत कवियों की स्मृतियोें में स्थानींय कवियों द्वारा ज्योति जलाई गयी। विशिष्ट अतिथि के रूप में उद्योगपति एंव बरिष्ठ समाज सेवी जयपाल सिंह चैहान एंव पूर्व चेयरमैन विपिन वाष्र्णेय व जितेन्द्र चैहान व राष्ट्रीय कवि संगम के जिला संयोजक अनिल बौहरे उपस्थित रहे। इस अवसर पर सभी अतिथियों और कवियों का साॅल व फूलमाला पहनाकर व सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया। छतरपुर मध्यप्रदेश से पधारे राष्ट्रीय कवि श्रीप्रकाश पटेरिया का नागरिक अभिनन्दन किया गया। इसी दौरान वार्षिक पत्रिका हिन्दी सुरभि के 21 वें अंक का लोकार्पण भी किया गया। कवि सम्मेलन का शुभारम्भ आगरा से पधारी कवियित्री भूमिका जैन की सरस्वती बन्दना से हुआ। स्थानंीय प्रख्यात कवि डा0 विष्णु सक्सैना ने सभी कवियों का अपने शहर में पधारने पर स्वागत किया। छतरपुर मध्यप्रदेश से पधारे श्रीप्रकाश पटेरिया ने पढ़ा कि- ‘‘जो नफरत मर चुकी हो हम उसे जिन्दा नहीं करते, कभी भूले से भी दुश्मन की हम निन्दा नहीं करते’’। अलीगढ़ से आये नरेन्द्र शर्मा नरेन्द्र ने पढ़ा कि ‘‘यों तो पंजाबी, बंगाली, गुजराती, मद्रासी हैं, आॅच एकता पर आये तो हम सब भारतवासी हैं’’। आगरा से आये डा0 अंगद धारिया ने पढ़ा कि ‘‘हमारा प्यारा हिन्दुस्तान जगत से न्यारा हिन्दुस्तान, हिमगिरि के उन्तुग शिखर हैं, औ नदियों की तान’’। दिल्ली से आये सृजन शीतल ने पढ़ा कि- ‘‘सबकी नजरांे से चुरा लूं तुझको, अपने सीने में बसा लूं तुझको’’। सैफई से आये सचिन इलाहाबादी ने पढ़ा कि ‘‘हिमालय की हवाओं से हमें आवाज है आयी, शहीदों की दुआओं ने हमे फरियाद है लाई’’। आगरा से आये दीपक दिव्यांशू ने पढ़ा कि ‘‘लगभग लगभग नामुनकिन है मुझको रखना ताले में, दीपक हूॅ में धरम है मेरा सबको रखूं उजाले में’’। आगरा से आयीं कवियित्री भूमिका जैन ने पढ़ा कि ‘‘धार हूॅ, आधार हूॅ, अवतार हूॅ, उपकार हूॅ मैं, क्या समझ कर कह दिया कि व्यर्थ हूॅ बेकार हूॅ मैं’’। हाथरस से आयीं मनु दीक्षित ‘मनु’ ने पढ़ा कि ‘‘ तिरंगे पे लुटा दे जां यही अरमान लिखते हैं, रक्त की बूंद बूंद से वो हिन्दुस्तान लिखते हैं’’। राणा मुनी प्रताप ने पढ़ा कि लखन सा अनुराग मिथलेश सा विराग त्याग महाभागियों का चुकने ना देंगे हम, चाहे कितना भी कोई करले प्रयास किन्तु अपना तिरंगा कभी झुकने ना देंगे हम। अतुल चैहान ने पढ़ा कि ‘‘परेशानी मुझे जब भी कभी है घेरती आकर, तभी मैं माॅ के फोटो को उठाकर चूम लेता हूॅ’’। काव्यपाठ करने वालों में डा0 अनिल गहलौत, पदम अलबेला, अनिल बौहरे, मनोज चैहान, विपिन चैहान ‘मन’, योगेन्द्र रघुवंशी, सुश्रुत त्रिपाठी ‘मयंक’, अनमोल चैहान, गीती सिंह ‘गीत’ आदि ने काव्यपाठ किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से देवेन्द्र दीक्षित ‘शूल’, बलवीर सिंह पौरूष, ओम प्रकाश एकवोकेट, अजीत शर्मा, पवन पण्डित, विवेकशील राघव, ऋषि सिसोदिया, दीपक चैहान, विजय प्रताप सिंह, ज्ञानी सिसोदिया, पंकज यादव, प्रशान्त पुण्ढ़ीर, अरूण पुण्ढ़ीर, कौशलेश चैहान, यतेन्द्र सिंह फौजी, वीरपाल यादव, दुष्यन्त सिंह चैहान आदि लोग मौजूद थे।