नई दिल्ली/पुणे, जन सामना ब्यूरो। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कल पुणे में सिम्बायोसिस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के 15वें दीक्षांत समारोह को संबोधित किया।
राष्ट्रपति ने इस अवसर पर कहा कि यह हम सभी के लिए गर्व की बात है कि भारत सदियों से शिक्षा का केन्द्र रहा है। तक्षशिला से लेकर नालंदा तक इस उपमहाद्वीप के सदियों पुराने विश्वविद्यालयों ने एशिया के विभिन्न हिस्सों और उसकी सीमाओं से भी आगे के देशों के छात्रों को अपनी ओर आकर्षित किया है। आज के आधुनिक दौर में भी हमारे विश्वविद्यालय कई देशों खास कर पड़ोसी देशों और अफ्रीका जैसे महाद्वीपए जिनके साथ हमारे विशेष संबंध रहे हैं, के प्रतिभावान युवाओं के लिए खुले हैं।
श्री कोविंद ने कहा कि यह उल्लेखनीय है कि 146 देशों से आए 46,144 विदेशी छात्र देश के विभिन्न कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में शिक्षा ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसमें सिम्बायोसिस बड़ी भूमिका निभा रहा है। राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें इस बात की खुशी है कि सिम्बायोसिस में 1000 से ज्यादा विदेशी छात्र पढ़ रहे हैं। विश्वविद्यालय से स्नातक बनकर निकलने वाले छात्रों में से 329 भारत के अलावा 33 अन्य देशों से हैं। उन्होंने कहा कि यह सिम्बायोसिस को विविध संस्कृति और विभिन्न महानगरों की जीवन शैली से जुड़ा माहौल प्रदान करता है जो विभिन्न देशों के बीच सौहार्द को बढ़ावा दे रहा है।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत में 903 विश्वविद्यालय और 39050 कॉलेजों का व्यापक नेटवर्क है लेकिन इसके बावजूद शिक्षा की विश्वस्तरीय गुणवत्ता हासिल करने के मामले में इनमें अभी भी कुछ कमियां रह गई हैं। ऐसे में सरकार ने देश के 20 उच्च शिक्षा संस्थानों को प्रतिष्ठित संस्थाओं के रूप में विकसित करने का फैसला किया है। इसके तहत इन संस्थाओं को नियुक्तियां करने और पाठ्यक्रम तय करने का अधिकार दिया जाएगा ताकि वे विश्वस्तरीय शिक्षा मानकों को हासिल कर सकें। श्री कोविंद ने इस अवसर पर सिम्बायोसिस के प्रशासनिक अधिकारियों, प्रोफेसरों, छात्रों और पूर्व छात्रों से सिम्बायोसिस में कम से कम एक ऐसी प्रतिष्ठित संस्था बनाने का आह्वान किया।
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