राष्ट्रपिता की 150वीं जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रमों का हिस्सा
नई दिल्ली, जन सामना ब्यूरो। पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय ने गांधीवादी विचारधारा और स्वच्छता पर महाराष्ट्र के वर्धा में एक संगोष्ठी का आयोजन किया। संगोष्ठी का विषय स्वच्छता के संबंध में गांधी जी के सिद्धांतों और स्वच्छ भारत अभियान के माध्यम से इसे क्रियान्वित करने पर केंद्रित रहा।
संगोष्ठी में ग्रामीण इलाकों में साफ.सफाई के लिए सही प्रौद्योगिकी, जैव कचरा प्रबंधन तथा नई तालीम और औद्योगिकीकरणः स्वच्छ एवं स्वालंबी संकुल की गांधीवादी अवधारणा से संबंधित निवारक स्वच्छता जैसे विषयों पर व्याख्यान आयोजित किए गए। पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय के सचिव परमेश्वरन अय्यर ने अपने उद्घाटन भाषण में उपस्थित जनों को गांधी जी के प्रिय भजन ’’वैष्णव जन तो’’ के मिश्रित अंतर्राष्ट्रीय संस्करण की जानकारी दी। इसे विदेश मंत्रालय ने 124 देशों के सहयोग से बनाया है। संगोष्ठी का समापन गांधी जी के समय के अनुभवों से सीख लेने के लिए सेवाग्राम की यात्रा के साथ हुआ।
महात्मा गांधी आधुनिक समय में स्वच्छता और साफ.सफाई के बड़े हिमायतियों में से एक थे। वे खुले में शौच और गंदे वातावरण में रहने को असम्मानजनक मानने के साथ ही इन आदतों से पर्यावरण को नुकसान होने की बात भी कहते थे। गांधी जी के साफ.सफाई और स्वच्छता के प्रति गांधी जी के सिद्धांतों से प्रेरणा लेकर ही प्रधानमंत्री श्री मोदी ने देश विकास के एजेंडे में स्वच्छता को सवोच्च प्राथमिकता देते हुए 2014 में स्वच्छ भारत मिशन का शुभारंभ किया था। यह अभियान अब एक व्यापाक जन आंदोलन का रूप ले चुका है। वर्ष 2014 में अपनी शुरूआत के बाद से इसका दायरा 39 प्रतिशत से बढ़कर आज 95 प्रतिशत तक हो चुका है। इस अवधि में देशभर में 8.7 करोड़ शौचालय बनाए गए और 5.15 लाख गांव 530 जिले और 25 राज्य और संघशासित प्रदेशों को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया गया।
संगोष्ठी के अवसर पर महानिदेशक (विशेष परियोजना) अक्षय राउत, महाराष्ट्र सरकार में अतिरिक्त मुख्य सचिव श्यामलाल गोयल के अलावा सोहम पांड्या, डॉ0 डी. करूणाकरन, सुश्री प्रीति जोशी और कनक भाई जैसे विद्वान भी उपस्थित थे।