Monday, November 25, 2024
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धेनु ग्रुप की सीबीसीआईडी जांच शुरू

थाना छावनी की पुलिस भी कर रही है पड़ताल
कानपुर, सरोज शुक्ल। धेनु ग्रुप ऑफ कंपनीज द्वारा निवेशकों के साथ की गयी 150 करोड़ की धोखाधड़ी के खिलाफ जहां उत्तराखंड की सीबीसीआईडी टीम ने जांच शुरू कर दी है वहीं कानपुर समेत यूपी की पुलिस भी कम्पनी प्रबंधन के खिलाफ साक्ष्य जुटाने में लगी हुई है। कानपुर छावनी पुलिस सूत्रों के अनुसार उत्तराखंड की सीबीसीआईडी टीम दिसम्बर माह में उक्त कम्पनी के खिलाफ दर्ज एफआईआर में संलग्न दस्तावेजों की जांच करने आई थी। इस बीच विगत लगभग एक माह से कानपुर छावनी थाना अंतर्गत गंगा घाट पुलिस चैकी की टीम पीड़ित निवेशकों के बयान दर्ज कराके कम्पनी प्रबंधन के खिलाफ साक्ष्य जुटाने का प्रयास कर रही है। अब तक लगभग सत्तर निवेशकों के बयान दर्ज हो चुके है। पुलिस सूत्रों के अनुसार कम्पनी प्रबंधन के खिलाफ जल्द ही बड़ी कार्रवाई होने की संभावना है। उक्त कंपनी के अब तक चार निदेशकों के विरुद्ध कार्रवाई करते हुए उन्हें जेल भेजा जा चुका है। जिनमें दो को कानपुर पुलिस ने तथा दो को उरई पुलिस ने गिरफ्तार किया था। जिसमें से एक की जमानत हो चुकी है। जबकि मुख्य आरोपी कंपनी का सीएमडी अनिल तिवारी तथा सीईओ देवेन्द्र प्रकाश तिवारी समेत लगभग ग्यारह निदेशक फरार बताये जाते हैं। हालाकि पुलिस द्वारा कम्पनी के उच्च अधिकारियों सहित 22 लोगों को इस मामले में आरोपी बनाया गया है।
कम्पनी के फील्डकर्मी व निवेशक सरोज शुक्ल के अनुसार वर्ष 2010 में धेनु ग्रीन गार्डेन मार्केटिंग कम्पनी उपरोक्त आरोपियों द्वारा खोली गयी थी। जिसका प्रधान कार्यालय कानपुर के मालरोड पर स्थित क्लाइड हाउस में बनाया गया था। कम्पनी कथित गोवंश संरक्षण के नाम पर आर॰डी॰/एफ॰डी॰ की योजनायेँ चला कर जनता से पैसा जमा करवाती थीद्य जनता में विश्वास जमाने के लिए कम्पनी के प्रबन्धक कम्पनी को आर॰बी॰आई॰ तथा कृषि मंत्रालय का उपक्रम बताते थेद्य कमीशन तथा ज्यादा ब्याज के लालच में लोग इस कम्पनी में जुड़ते चले गए और इसका कारोबार उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्रा सहित देश के विभिन्न राज्यों में फैल गया। वर्ष 2012 में धेनु ग्रीन इंडिया लि॰ तथा वर्ष 2013 में धेनु एग्रो प्रोड्यूसर क॰ लि॰ के नाम से भी कारोबार शुरू हो गया। कम्पनी ग्रुप को बड़ा दिखाने के लिए अन्य कई कंपनियाँ भी खोली गईं। वर्ष 2016 के अन्त में तकनीकी समस्या बताकर कम्पनी द्वारा ग्राहकों का भुगतान बंद कर दिया गया। जब ग्राहकों ने अपने पैसे के भुगतान हेतु कम्पनी के अधिकारियों पर दबाव बनाया तो इन लोगों ने एक दूसरे पर गवन का आरोप लगाते हुए कानपुर शहर के विभिन्न थानों में मुकदमे दर्ज करा दिये और प्रधान कार्यालय समेत सभी शाखा कार्यालयों पर ताले डालकर फरार हो गये।
अपनी गाढ़ी कमाई जाते देख हैरान निवेशक एजेन्टों को परेशान करने लगे। तब पीड़ित निवेशकों को साथ लेकर कंपनी के एजेन्टों ने प्रशासन का दरवाजा खटखटाया। देश के विभिन्न थानों में कम्पनी प्रबन्धकों के खिलाफ दर्जनों एफआईआर दर्ज कराई गई। फील्डकर्मी व निवेशक दिनेश यादव, सुरेन्द्र निषाद, परमेश तिवारी, पवन साहू, रामानुज शुक्ल, राजमोहन सिंह, राकेश कुशवाहा, श्रीकान्त वर्मा, रामभजन, राम प्रकाश मधुर आदि लोगों ने बताया कि हम लोगों के साथ जो धोखाधड़ी की गयी है, उसके संदर्भ में हम लोगों ने न सिर्फ शासन प्रशासन के उच्चाधिकारियों को अपनी व्यथा सुनाई बल्कि विधायक, मंत्री तथा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष भी अपनी समस्या रखी। सब जगह से आश्वासन तो मिला परंतु कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। विगत नवम्बर माह से पुलिस की सक्रियता देखकर निवेशकों को अपने धन वापसी की आशा दिखायी पड़ रही है।