डेरापुर/कानपुर देहात, अजीत प्रताप सिंह (लालू भदौरिया)। मंगलवार को डेरापुर तहसील दिवस अधिकारियों के लिए मोबाइल थिएटर बनकर रह गया है। क्षेत्रीय खाद्य अधीकारी अनिल श्रीवास्तव समेत कई जिम्मेदार घंटो इंटरनेट चैटिंग में व्यस्त रहे। सरकार लाख दावे करें, अपितु अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों पर खरे नहीं उतर रहे हैं। वैसे तो यह विशेष दिवस शिकायतों को सुनने और उनके निस्तारण के लिए लगता है, लेकिन इस बार मंगलवार को तहसील सभागार में लगा डीएम कानपुर देहात राकेश कुमार सिंह का तहसील दिवस मोबाइल थिएटर साबित हुआ। यह हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि यहां एक ओर डीएम व एसपी समस्याएं सुन रहे थे, तो दूसरी ओर सामने बैठे अधीनस्थ कई विभागों के अधिकारी अपने-अपने मोबाइलों में बातें और चैटिंग करने में मस्त थे। सरकार, फरियाद लेकर आने वाले फरियादियों की शिकायतों के निस्तारण में परदर्शिता लाने का प्रयास करती है।
बात करें तहसील संपूर्ण समाधान दिवस की, तो यह दिवस सरकार की प्राथमिकता में भी शुमार है और अधिकारियों को इस बाबत समय-समय पर निर्देशित भी किया जाता है। प्रदेश में सरकार बदले भले एक साल से ज्यादा का समय बीत चुका हो, लेकिन यहां अधिकारी अपने पुराने ढर्रे पर ही चल रहे हैं। दरअसल, संपूर्ण समाधान दिवस में अधिकारी कोई रूचि नहीं दिखाते नजर आ रहे हैं। मंगलवार को तहसील के सभागार कक्ष में डीएम राकेश कुमार सिंह की अध्यक्षता में तहसील दिवस आयोजित हुआ है।
हैरत की बात है कि डीएम के तहसील दिवस में भी अधिकारी अपने मोबाइल फोनों पर व्यस्त रहे। कोई अधिकारी फेसबुक चलाता, तो कोई वाट्सएप। कोई चैटिंग कर रहा था, तो कोई मोबाइल लाइन पर बातें।
उधर, डीएम क्या कर रहे थे किसी को कोई खबर ही नहीं थी। अधिकारी मोबाइल पर मस्त थे, लेकिन उनकी ओर डीएम का भी ध्यान तक नहीं गया। सवाल है कि आखिर अधिकारियों की उदासीनता और उपेक्षापूर्ण रवैये के चलते फरियादियों को समय से न्याय कैसे मिल पाएगा? क्या इस ओर डीएम कोई कदम उठाएंगे?