ऐसा लग रहा है वोटर लिस्ट का काम शिक्षित कर्मचारियों के हाथ में नहीं है
प्रयागराज, वी. डी. पाण्डेय। एक तरफ चुनाव आयोग वोट प्रतिशत बढाने के लिए स्कूली बच्चों को भी धूप में खड़ा करके वाहवाही लूटता है। वही जिन्हे वोट देना है उनका नाम ही वोटर लिस्ट में नहीं है बीएलओ किसका नाम जोड़ते है किसका नाम काटते है यह किसी को पता नहीं चलता, बीएलओ खुद मान रहे है कि गड़बड़ी हुई और करायी भी गयी है।
बीएलओ ग्राम प्रधान के घर पर बैठकर प्रधान की मर्जी के अनुसार नाम जोड़़ते और घटाते है बेटी का नाम है या मां का नाम गायब है, छोटे भाई का नाम है बड़े का गायब है। वोटर यह बता रहे है कि बीएलओ खुद काम नहीं करती है दूसरे लोगों के द्वारा घर पर बैठकर जिम्मेदारी निभायी जाती है।
कुछ ऐसा ही मामला शहर पश्चिमी के नव निर्मित ब्लाक भगवतपुर में सामने आया है जहां कि बीएलओ गीता देवी ने गांव मंे रहने वाले लोगों का नाम गायब कर दिया है और जो लोग शहर में परिवार सहित रह रहे है। उनके नाम वोटर लिस्ट में शामिल कर दिये है यही नहीं सैकड़ों की तादात में वे मतदाता मतदान से वंचित रहे जिन्होने पूर्व में अपने मत का उपयोग कर चुके है।
अधिकतर बीएलओ ने मतदाता सूची काम दो से तीन हजार देकर दूसरो के द्वारा करवाया है जिसका परिणाम अब सामने आ रहा है।
जिले का ऐसा कोई मतदान केन्द्र नहीं रहा जहा मतदाता परेशान न हुआ हो पर्चियां नहीं पहुंचती जबकि पर्चियों को घर-घर पहुंचाने की जिम्मेदारी बीएलओ की होती है। शायद ही कोई बूथ रहा हो जहां की मतदाता सूची शुद्ध रही हो सिविल लाइंस तक के बूथों पर सूची सही नहीं थी लोग परेशान रहे।
अब देखना यह है कि क्या निर्वाचन आयोग इन गलतियों से कुछ सबक लेता है और ऐसे लापरवाह बीएलओ और निर्वाचन विभाग के कर्मचारियों के खिलाफ कुछ कठोर कार्यवाही करता है। या यूही सब पानी की लकीरों को पीटकर शांत हो जाएगा।