खीरों/रायबरेली, जन सामना ब्यूरो। हजरत बाबा फतेह शहीद शाह रहमतुल्लाह अलैहे के सालाना उर्स के दूसरे दूसरे दिन शुक्रवार को फज्र की नमाज के बाद कुरआन ख्वानी हुई। सुबह 10 बजे कुल शरीफ हुआ। जिसमें बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के अलावा अन्य वर्ग के लोगों ने हिस्सा लिया और दुआएं मांगी। शाम को अकीदतमंदों ने बाबा को चादर चढ़ाई। रात में कलाकारों ने बेहतरीन कव्वाली पेश की जिसका लोगों ने आनंद लिया।
खीरों कस्बा स्थित बाबा की दरगाह पर मगरिब की नमाज के बाद सदर शिबू खान की ओर से चादर व गागर का जुलूस निकाला गया। जो पुराना खीरों,फतेहपुर मोहल्ला,से वापस होते हुए बाबा के आस्ताने पहुंचा। जहां अकीदतमंदों ने चादर चढ़ाई। इसमे बच्चे, बूढ़े, नौजवान, सभी शामिल हुए। जुलूस मे बैंड बाजे के साथ खीरों चौराहे पर जुलूस का इस्तेकबाल किया। इस दौरान दरगाह के अध्यक्ष शिबू खान, मोबीन खा, सुल्तान खा, कुन्नू, नाज़िम अली, मुसर्रत अली, नफीस, बिरजिस, घुरू शाह, कलाम बाबा, सलमान चिश्ती सभी पत्रकार बंधु मौजूद रहे। हिंदू बुरा है ना मुसलमान बुरा है। आ जाये बुराई पे तो इंसान बुरा है। यह कव्वाली ऐटा से आए फनकार फैज़ान रजा चिश्ती व उनके ने सुनाया। श्रोताओं ने उनके हर एक शेर पर तालियां बजाकर उनका उत्साह बढ़ाते। मौका था हजरत बाबा फतेह शहीद शाह रहमतुल्लाह अलैहे के उर्स-ए-पाक का। नमाज बाद रात करीब 10 बजे कव्वाली का मुकाबला शुरु हुआ। जहां उन्होंने हिंदू-मुस्लिम एक ही थाली में खायें। ऐसा ¨हिंदुस्तान बना दें या अल्लाह।इस कव्वाली पर वाहवाही बटोरी। अब बारी थी कव्वाला शबनम बानो दिल्ली व उनके साथियों की। उन्होंने ‘दीवानें हैं, दीवानें रंग अपना जमा लेंगे। छेड़ो ना हमें वरना ख्वाजा को बुला लेंगे।’ पेश किया। उन्होंने बाबा की शान में ‘ऐसा तो कोई हीरा खजाने में नहीं है। जैसा है मेरा पीर जमाने में नहीं है। प्रस्तुत किया। कव्वाली का सिलसिला पूरी रात चलता रहा। इस मौके पर दरगाह के अध्यक्ष सहित तमाम लोगों ने कलाकारों का हौसला बढ़ाया। इस दौरान बड़ी संख्या में अकीदतमंद मौजूद रहे।