नई दिल्ली, जन सामना ब्यूरो। रक्षा मंत्रालय द्वारा सेना के तीनों अंगों को बढ़ी हुई वित्तीय शक्तियां सौंपने के बाद सेवा मुख्यालय, कमान मुख्यालय और तीनों सेवाओं के निचले प्रशासनिक स्तरों द्वारा तय किए गए मामलों की संख्या में इजाफा दर्ज किया गया है।
सेवा मुख्यालय के आंकड़ों के अनुसार वित्तीय शक्तियां सौंपने के प्रभाव के मद्देनजर खरीद मामलों को अंतिम रूप देने के समय में कटौती हुई है। इसके संबंध में सेवा मुख्यालय और अन्य स्तरों पर खरीद के मामले तय करने की प्रक्रिया में तेजी आई है। इसके कारण रक्षा मंत्रालय द्वारा बजटीय प्रावधानों का बेहतर इस्तेमाल हुआ है।
वर्ष 2016-18 अवधि के दौरान रक्षा सेवाओं को ज्यादा वित्तीय शक्तियां प्रदान की गई हैं। यह शक्तियां रोजमर्रा और आपातकालीन खरीद के संबंध में हैं, जिसका उद्देश्य खरीद समय को कम करना और रक्षा तैयारियों को बढ़ाना है।
पूंजी पक्ष के मद्देनजर सेना को अब 300 करोड़ रुपये तक की अलग-अलग योजनाओं के लिए ‘आवश्यकताओं को स्वीकृति’ (एक्सेप्टेंस ऑफ नेसेसिटी-एओएन) देने का अधिकार मिल गया है। यह बढ़ोतरी दो चरणों में हुई है। इसके संबंध में 2015-17 के 50 करोड़ रुपये से बढ़कर 2017-19 के दौरान 150 करोड़ रुपये की गई और 2019-20 में यह 300 करोड़ रुपये कर दी गई है। राजस्व पक्ष के मद्देनजर सेवाओं को अब अपने स्तर पर 500 करोड़ रुपये तक के प्रस्तावों को मंजूर करने का अधिकार मिल गया है। यह व्यवस्था अक्टूबर, 2018 में बनाई गई और पहले की 200 करोड़ रुपये की सीमा के स्थान पर इसे लागू किया गया।
रक्षा मंत्रालय ने जुलाई, 2019 में रक्षा सेवाओं को बढ़ी हुई वित्तीय शक्तियां सौंपने के प्रभाव की समीक्षा की। समीक्षा का परिणाम इस प्रकार रहा-
1. सेना के संबंध में अप्रैल, 2012 से 21 मार्च, 2015 के बीच एओएन देने के लिए रक्षा मंत्रालय के समक्ष कुल 327 मामले पेश किए गए थे, जबकि 2015-17 के दौरान केवल 132 मामले आए थे।
2. इसी तरह वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान और 31 दिसंबर, 2018 तक रक्षा मंत्रालय को नौसेना ने जो मामले रक्षा मंत्रालय के एओएन के लिए पेश किए थे, उनके संबंध में एओएन में लगातार कमी देखी गई है। इस तरह बढ़ी हुई वित्तीय शक्तियों के तहत सेना द्वारा दिए जाने वाले एओएन की संख्या में इजाफा हुआ।
3. वायु सेना के संबंध में अब वायु सेना मुख्यालय खुद 80-85 प्रतिशत मामलों में अपनी स्वीकृति दे रहा है।
4. कमान मुख्यालयों और निचले प्रशासनिक स्तरों पर बढ़ी हुई वित्तीय शक्तियां सौंपने के बाद एओएन दिए जाने की संख्या में इजाफा हो रहा है।
5. पूंजी पक्ष के मद्देनजर सेना मुख्यालय द्वारा दिए जाने वाले एओएन में तेजी आई है और वह 2015-17 में 21 प्रतिशत से बढ़कर 2019 में 67 प्रतिशत हो गया है।
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