चकिया चन्दौली। भाकपा-माले, खेग्रामस व ऐक्टू ने कहा है कि प्रवासी मजदूरों को उनके घर जाने की इजाजत मिलना आंदोलनों की जीत है। इन तीनों संगठनों ने मजदूरों की सुरक्षित घर वापसी के सवाल पर लाॅकडाउन में भी लगातार आंदोलन चलाया था, जिसका दबाव सरकार पर काम कर रहा है। उक्त बातें 1 मई मजदूर दिवस मनाए जाने के दौरान भाकपा (माले)राज्य कमेटी सदस्य तथाअखिल भारतीय खेत मजदूर सभा राष्ट्रीय सचिव कामरेड अनिल पासवान ने उसरी गांव में मनरेगा के तहत हो रहे कार्यस्थल पर मौजूद मजदूरों को मई दिवस के अवसर पर सम्बोधित करते हुए कही।
माले नेता ने कहा कि अब बिना किसी देरी के सभी मजदूरों को वापस लाने की व्यवस्था की जानी चाहिए। लेकिन इस मामले में यह देखा जा रहा है कि केंद्र सरकार दिशा-निर्देश जारी करके अपने काम से मुक्त सी हो गई है ऐसा नहीं हो सकता है। केंद्र सरकार मजदूरों की घर वापसी के लिए तत्काल सेनेटाइज रेलों की व्यवस्था करे।
उन्होने कहा कि लाॅकडाउन की मार झेल रहे प्रवासी मजदूरों के खिलाफ चारो तरफ दुष्प्रचार चलाया जा रहा है।
अल्पसंख्यकों, प्रवासी मजदूरों व कोरोना मरीजों के प्रति यह तंग नजरिया बेहद निंदनीय है। इसलिए सभी कोरोना मरीजों के प्रति सहानुभूति व प्यार का रिश्ता रखना चाहिए और उनके सही इलाज की गारंटी होनी चाहिए। अंत में 1886 के आंदोलन से लेकर अब तक मजदूर आंदोलनों में शहीद नेताओं कार्यकर्ताओं के प्रति 1 मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई।
इस दौरान श्यामलाल पाल, मेवालाल पासवान,सुनील खरवार, चंद्रशेखर पासवान, मंजू देवी, आरती देवी, रमावती देवी मिलन पासवान सहित तमाम लोग मौजूद रहे।