कानपुर देहात, जन सामना ब्यूरो। लॉकडाउन के बीच बढ़ते साइबर फर्जीवाड़े से बचने के लिए एक बार फिर भारतीय स्टेट बैंक की ओर से अपने ग्राहकों को आगाह किया गया है कि ग्राहक इंटरनेट बैंकिंग में मजबूत पासवर्ड बनायें जिसे किसी को भी न बतायें। एसबीआई प्रमुख ने कहा कि ट्विटर पर व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें क्योंकि साइबर ठग इसके सहारे बैंक कर्मचारी बन फोन कर रहे हैं और फर्जीवाड़े को अंजाम दे रहे हैं। साइबर क्राइम दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। कई लोगों को इससे हजारों लाखों की चपत लग चुकी है। साइबर ठग ऑनलाइन ठगी के लिए आपके डेबिट और क्रेडिट पर नजर गढ़ाए बैठे रहते हैं। साइबर क्राइम इतना ज्यादा बढ़ गया है कि भारत में हर साल बड़ी संख्या में लोग इसके शिकार बनते हैं। इनमें क्रेडिट या डेबिट कार्ड फ्रॉड के मामले काफी ज्यादा होते हैं। ठग आपके क्रेडिट कार्ड के डाटा से ही बैंक अकाउंट खाली कर सकते हैं।
ठगी के तरीके-
लॉकडाउन में साइबर अपराधी कर्जदारों के पास बैंक प्रतिनिधि बनकर फोन कर रहे हैं। वे आसानी से कर्ज और क्रेडिट कार्ड दिलाने का झांसा दे रहे हैं। वे लोगो से ओटीपी या व्यक्तिगत जानकारी साझा करने को कहते हैं। कई लोग ठगों के झांसे में आकर ओटीपी शेयर कर देते हैं जिसके बाद ठग उनके खाते से पैसे निकाल ले रहे हैं।
पूर्व माध्यमिक विद्यालय सरवनखेड़ा में कार्यरत राजेश बाबू कटियार ने बताया की बैंकिंग क्षेत्र में साइबर फर्जीवाड़े से बचने के लिए यह गलतियां कभी न करें-
1. किसी गलत वेबसाइट या फोन कॉल पर बैंक डेबिट कार्ड या क्रेडिट कार्ड की डिटेल व ओटीपी साझा न करें।
2. बैंक की वेबसाइट से लेनदेन करें फर्जी वेबसाइट को न खोलें।
3. सोशल मीडिया पर चलाए जा रहे मुफ्त स्कीम के लालच में न आएं और ऐसे लिंक को कभी भी न खोलें।
4. ट्विटर या अन्य सोशल साइट्स पर कभी भी बैंक से सम्बंधित जानकारी किसी को शेयर न करें।
5. बैंक पासवर्ड को समय-समय पर बदलें और मजबूत पासवर्ड बनाएं।
अगर हो जायें ठगी के शिकार तो क्या करें-
अगर आप भी कभी साइबर ठगी का शिकार हो जाएं तो कुछ ऐसे काम हैं जो आपको तुरंत करने चाहिए ताकि आप फिर से इसके शिकार न हों। इसके लिए आपको हम चार ऐसी टिप्स बता रहे हैं जिन्हें आपको ठगी हो जाने पर तुरंत करना होगा।
1. सबसे पहले अपने क्रेडिट या डेबिट कार्ड को ब्लॉक करें। अगर आप ऐसा नहीं करना चाहते तो पिन चेंज कर लें।
2. यदि आप अपने बैंक खाते में किसी भी प्रकार के फ्रॉड ट्रांजेक्शन को देखते हैं, चाहे वह जितनी भी छोटी राशि हो, अपने बैंक को कॉल कर इसकी सूचना दें। यदि आप कस्टमर केयर को कॉल कर रहे हैं तो कस्टमर एग्जिग्यूटिव के नाम और रिफरेंस नंबर को नोट करें। यदि आप एक फिजिकल लैटर समबिट कर रहे हैं तो अपने पास भी इसकी एक कॉपी रखें। इसी तरह यदि आप एक ईमेल भेजते हैं तो उसका भी रिकॉर्ड रखें।
3. यदि आपको तय अवधि के भीतर अपने बैंक से उत्तर नहीं मिलता है या बैंक शिकायत को अस्वीकार करता है। वहीं अगर यदि आप उत्तर से संतुष्ट नहीं हैं तो आप बैंकिंग लोकपाल के पास जा सकते हैं। बैंकिंग लोकपाल के पास जाने के लिए आपको सबसे पहले यह जांचना होगा कि आप किस क्षेत्राधिकार में आते हैं।
4. यदि आप बैंकिंग लोकपाल के निर्णय से संतुष्ट नहीं हैं और आप अपना मनी बैंक प्राप्त करने में असमर्थ हैं तो अपीलीय अथॉरिटी से साक्ष्य सहित संपर्क स्थापित करें।