Wednesday, November 27, 2024
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घटते आयातों के मद्देनजर देश के उद्योगों को हो रहा भारी नुकसान

कोरोना रूपी वैश्विक महामारी के चलते जैसे ही देश में करीब तीन माह तक लॉकडाउन का फैसला किया गया देश के हजारों उद्योगों में मजदूरों के पलायन स्वरूप ताले लग गए । लॉकडाउन ने देश के उद्योगों की सम्पूर्ण क्रियाविधि को प्रभावित किया जिससे उद्योगपतियों को भारी नुकसान उठाना पड़ा । मगर अनलॉक के बाद उद्योगों की गाड़ी अभी पूरी तरह से पटरी पर आई भी नहीं थी कि चीन व भारत के बीच सीमा विवाद मुद्दा गहरा गया और यह मुद्दा सैनिकों के बीच झड़प में 20 जवानों की शहादत के बाद राष्ट्रीय स्तर पर और भी गहरा गया । जिसके चलते देश में राष्ट्रव्यापी अभियान के तहत चीनी सामानों का बहिष्कार शुरू हो गया जिस कारण सरकार ने भी इस दिशा में कदम उठाते हुए चीनी आयात-निर्यात पर लगाम लगाना शुरू कर दिया । फिर क्या ? देश के उद्योगों का प्रभावित होना तो लाजिमी था और हुआ भी वही अनेकों उद्योगों में फिर से तालाबंदी हो गई । बाजार सूत्रों के हवाले से चीन व भारत के बीच तनातनी के कारण हजारों कार्गो कंटेनर जो चीन से आयातक वस्तुएं देश में लाते थे वह सब अब बंदरगाहों व एयरपोर्टों पर खड़े हो गए हैं । इनमें करीब 1000 कंटेनर ऐसे हैं जिनमें महत्वपूर्ण स्पेयर पार्ट्स , कंपोनेंट्स व करीब 300 करोड़ के कृषि संबंधी उपकरण की तैयार इकाइयां और देश के लगभग बहुधा उद्योगों के आवश्यक उपकरणों से लदे खड़े हैं । ऐसे में देश के उद्योगों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ना लाजिमी है ।
इस तनातनी के चलते एग्रो स्पेयर पार्ट्स व कलपुर्जे युक्त करीब 200 कंटेनर मुंबई बंदरगाह पर जाँच हेतु खड़े हैं इन उपकरणों की जरूरत किसानों को बुआई के समय पर काफी पड़ती है सूत्रों के मुताबिक उद्योगपतियों का कहना है कि अगर जुलाई माह के शुरुआत में उन्हें यह उपकरण नहीं मिलें तो उनकी इस सीजन की फसल पूर्णतः बरबाद हो जाएगी और वह अपना सम्पूर्ण निवेश खो देंगे । इस तनातनी के चलते चीन से आयात किए जाने वाले अनेक सामानों की बड़ी खेप जो नहीं आई है उससे उद्योगों का लगभग पूरा सीजन प्रभावित होना लगभग तय है । आयात-निर्यात के एक सलाहकार का कहना है कि चीन-हांगकांग से आने वाले कंटेनर , जिनमें कई अरब डॉलर के अनेकों उत्पाद हैं वो सभी भारत के अलग-अलग बंदरगाहों पर फँसे पड़े हैं और इन सामानों का देश के उद्योगों में पहुँचने का समय भी अभी तक निश्चित नहीं किया गया है । ऐसे में जिन उद्योगों ने आयातकों के भुगतान कर दिए हैं व सीमा शुल्क देकर मंजूरी ले ली है उन उद्योगों के सम्मुख इस देरी ने अनेक जटिलताएं पैदा कर दी हैं ।
इधर देशव्यापी चीनी सामानों का बहिष्कार धीरे-धीरे ही सही लेकिन तूल पकड़ रहा है ऐसे में अगर समय रहते सामानों की खेप उद्योगों व कृषि कार्यों तक नहीं पहुंचे तो देश के उद्योगों के साथ-साथ भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी इसका बुरा असर देखा जा सकता है ।
रचनाकार – मिथलेश सिंह ‘मिलिंद’