Friday, November 29, 2024
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सिर्फ सुन कर निर्णय न करें

प्रस्तुत आलेख का यह शीर्षक कहना चाहता है कि अक्सर हम किसी के बारे में किसी के मुंह से सिर्फ कुछ बनी बनाई मनगढ़ंत बातें सुनकर ही उस व्यक्ति के गुण दोष या चरित्र के बारे में धारणा बना लेते हैं और उस व्यक्ति को बहुत निम्न अथवा उच्च दर्जा अपने हिसाब से उन सुनी बातों के आधार पर ही देने लगते हैं। पर कभी-कभी सत्य कुछ और ही होता है जिसका हमें तनिक भी भान नहीं रहता।
हमारे समाज में प्रायः लोगों की धारणा यही होती है कि सिर्फ बहू ही सास को सता सकती है सास बिचारी तो बुजुर्ग और बेटे बहू के अधीन ही होती है जब की कई परिवारों में इसके बिल्कुल विपरीत सर्वगुण संपन्न एवं स्वभाव से बहुत ही आदर्श बहू को भी अपने बुजुर्ग और स्वभाव से अत्यंत सरल सी प्रतीत होने वाली किन्तु अपने बेटे पर हमेशा पूर्णतः अपने आधिपत्य जमाने वाली सास के द्वारा उत्पन्न किए गए समस्याओं का सामना करते हुए थक हार जाना पड़ता है और सास के द्वारा अपनी ही बहू के खिलाफ फैलाए गए रायते के लिए अथक प्रयास करते देखा गया है क्योंकि अक्सर लोग सुनी सुनाई बातों पर किसी के बारे में बहुत शीघ्र निर्णय कर लेते हैं।
इसी प्रकार लोगों की यह धारणा होती है कि सिर्फ पत्नी ही अत्याचार की शिकार हो सकती है पति नहीं क्योंकि वह तो पुरुष है और पुरुष को स्त्री दुख नहीं दे सकती। जब की कई पुरुष अपने पत्नियों के जिद्दी और घमंडी स्वभाव से परिवार में रिश्तों के बीच के बीच तालमेल बिठाते थक से जाते हैं पर उनकी दयनीय दशा किसी को समझ में नहीं आती नहीं वह किसी से अपने दिल का हाल कह पाता है और ना ही वह किसी के समक्ष स्त्री की तरह रो सकता है। किसी भी बात को आसानी से ना सुनने वाली तथा सर्वथा अपनी मनमानी करने वाली पत्नियां भी है समाज में और ऐसी पत्नियों के पति अपनी व्यथा अपने ही अंदर रखते हैं और सब कुछ अपनी पत्नी के मन अनुसार करने के बावजूद भी उन्हें जीवन भर मानसिक शांति या खुशी नहीं मिलती। किंतु ऐसे पुरुष विचारे चाहे वह किसी के बेटे हों या पति संपूर्ण जीवन रिश्तों में तालमेल बिठाने में कितने तनाव से ग्रसित रहते हुवे भी एक स्त्री की तरह किसी के समक्ष खुलकर रो भी नहीं पाते समाज में अक्सर लोगों की धारणा है कि रोने वाले पुरुष सच्चे पुरुष नहीं होते और पुरुष पर एक स्त्री अत्याचार नहीं कर सकती किंतु किसी किसी पुरुष की स्थिति एक लाचार स्त्री से भी बढ़कर दयनीय होती है। अंततः अपने इस शीर्षक के द्वारा यही कहना चाहूंगी कि सिर्फ सुनकर नहीं बल्कि देख और समझ कर भी किसी के स्वभाव और उसकी स्थिति के बारे में अपनी धारणा बनानी चाहिए।
बीना राय