केंद्रीय मंत्रिपरिषद मंत्रिमंडल से किसी को बाहर निकाला गया तो किसी को शामिल किया गया और परिणामतः केंद्रीय मंत्रिपरिषद में शामिल नवनियुक्त मंत्रियों ने अपना कामकाज संभाल लिया। इस बारे में कुछ भी कहा जाये लेकिन सभी मंत्रियों के सामने चुनौतियां लगभग एक जैसी हैं और स्मरणीय यह रहे कि कम समय में ज्यादा काम करने की आवश्यकता सभी को है क्योंकि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ-साथ देश की जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरने की चुनौती भी है।
देश कोरोना सहित अन्य कई समस्याओं का सामना कर रहा है ऐसे में उम्मीद की जाती है कि सभी मंत्री अपने समक्ष उपस्थित चुनौतियों का सामना बेहतर ढंग से करेंगे। कोरोना के कारण स्वास्थ्य सेवायें चरमराती दिखीं यह किसी से छुपा नहीं है। कोरोना की अगली लहर आने की सम्भावना पहले से ही जतायी जा रही है ऐसे में यह सबसे अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है कि अगली लहर में स्वास्थ्य सेवायें ठीक रहें, इस ओर स्वास्थ्य मन्त्री को कुछ बेहतर योजना तैयार करने की आवश्यता है।
वहीं इन दिनों सोशल प्लेटफाॅर्मों की मनमानी रोकने के लिये नियमावली लागू करने पर भी हो हल्ला मचा हुआ है और ट्विटर, फेसबुक जैसे डिजिटल प्लेटफाॅर्मों से निपटना भी प्रौद्यौगिकी क्षेत्र की एक गभीर चुनौती है। समय समय पर ट्विटर की हिटलरशाही भी सामने आ रही है, माननीय कोर्ट भी इस बारे में नसीहत पर नसीहत दे रहा है। ऐसे में सूचना एवं प्रौद्यौगिकी मन्त्री को एक ठोस फैसला लेना होगा क्योंकि सोशल प्लेटफाॅर्म भी अब देश की शांति व्यवस्था के लिये खतरा बनते दिख रहे हैं। इन प्लेटफाॅर्मों पर जितनी अच्छाइयां देखने को मिलती हैं उससे ज्यादा कहीं अब बुराइयां उपलब्ध हैं। ऐसे में इनसे निपटने हेतु सार्थक फैसला उठाने की आवश्यकता है। वहीं फेसबुक, यू-ट्यूब सहित अन्य प्लेटफाॅर्मो को भी चाहिये कि युवा वर्ग के लिये जानकारी से परिपूर्ण सामग्री परोसने पर जोर दे लेकिन इन दिनों इसके उलट नजारे देखने को मिल रहे हैं और अश्लीलता से परिपूर्ण सामग्री प्रचुर मात्रा में देखने को मिल रही है जिसके चलते युवा वर्ग ही नहीं बल्कि बच्चों का मनमस्तिष्क भी प्रभावित हो रहा है। इससे निपटना बहुत आवश्यक है।