Wednesday, November 27, 2024
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साहब! कोतवाली गेट से चंद कदम की दूरी पर व्यवसाय कर रहे बच्चे

पवन कुमार गुप्ता: ऊंचाहार, रायबरेली। समय समय पर बाल मजदूरी रोकने के नाम पर न अनेक टीमें सामने आती हैं और बाल मजदूरी रोकने सहित भीख मांग रहे बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने की दावा भी करती हैं। लेकिन शहर में आज भी बच्चों को मजदूरी करते हुए देखा जा सकता है। कोई बच्चा कूड़े-कचरे के ढेर में रिसाइकिल होने वाला सामान तलाश कर कबाड़ी की दुकान पर खोजा हुआ सामान बेंचने जाता है, तो कोई बच्चा होटल व ढाबों में काम करता नजर आता है तो कोई स्थानीय बाजारों में सब्जी, फल, चाय इत्यादि की दुकान लगा कर बैठा दिखता है।
हालात ये हो गए हैं कि इन बच्चों को शिक्षा नहीं मिल पा रही है और अपने भविष्य से खिलवाड़ करते हुए पारिवारिक शिक्षा से भी भटक गए हैं।
बताते चलें कि कोतवाली क्षेत्र ऊंचाहार में बाल मजदूरी बरसों से होती चली आ रही है। किसी भी संस्था ने इस ओर अपना ध्यान आकर्षित नहीं किया है। यहां के होटलों में खासकर ऊंचाहार चौराहे के बाजार में आए दिन बच्चे सब्जी, फल इत्यादि की दुकान लगाए हुए नजर आते हैं और यह एक दिन की बात नहीं है। वर्षों से ऐसा होता नजर आ रहा है। इसके पूर्व में भी कोतवाली क्षेत्र के ऊंचाहार में हो रहे बाल श्रम पर खबरें भी प्रकाशित हुई। लेकिन नेता अपनी राजनीति में लगे हुए हैं। उन्हें बच्चों का वोट बैंक मिलना नहीं इसलिए इनकी ओर वह पलट कर भी नहीं देखते हैं और प्रशासन,उसे क्या उनके अपने ही नियम और जवाब रटे हुए होते हैं कि बाल श्रम को रोकने के लिए अलग से टीम है वही अपनी प्रतिक्रिया इस पर देंगी। बता दूं कि यह बच्चे जो दिनभर मजदूरी करते नजर आते हैं तो इन्ही में कुछ बच्चे नशे की गिरफ्त में भी आ रहे हैं।
रायबरेली जिले के ऊंचाहार क्षेत्र में बाल मजदूरी बढ़ती ही जा रही है। हालांकि प्रशासन और चाइल्ड हेल्प लाइन की टीम समय-समय पर अपना काम कर रही हैं। कुछ जगहों पर टीमें भीख मांगने वाले और मजदूरी करने वाले बच्चों को मुख्य धारा से जोड़ने के लिए काम भी कर रही हैं। पिछले कुछ माह में एक-दो जगह कार्रवाई कर बाल मजदूरों को छुड़वाया भी गया, लेकिन जैसी कार्रवाई होनी थी, वैसे नहीं हो सकी।कोरोना महामारी के बाद जगमगाए शहर ने बच्चों को भी मजदूरी करने के लिए धकेल दिया है और कि इस दीपावली के त्यौहार पर क्षेत्र के बाजारों में सबसे अधिक संख्या में बाल मजदूर ही पाए गए जो कि अपनी-अपनी दुकान अलग से लगाए हुए बड़े ही सरल तरीके से बिजनेस करते हुए दिखाई दिए। हालांकि इनमें कुछ बच्चे ऐसे भी थे। जो अपने परिवार के साथ दुकानों पर अपने परिवारी जनों का हांथ बंटा रहे थे। लेकिन इसके बावजूद उन बाजारों के अंदर कुछ बच्चे ऐसे भी थे।जिनके परिवार का ही जीवन यापन बाल मजदूर की ही मजदूरी से चलता है।
मुख्य बाजार के अंदर बढ़े इस बाल श्रम पर जब ऊंचाहार कोतवाली प्रभारी शिवशंकर सिंह से उनकी राय जाननी चाही तो वह झल्ला उठे और बोले आप यह कैसी बातें कर रहे हैं।त्यौहार के दिन बच्चे अपने परिवार की दुकानों पर परिवारी जनों का सपोर्ट कर रहे हैं और आप चाहते हैं कि हम उनको वहां से भगा दें।
अब इस अजीबोगरीब सवाल का तो जवाब भी साहब के द्वारा अजीबो गरीब ही मिलना था।सवाल पूछने पर यह कहा गया कि हम तो देख ही रहे हैं कि बच्चे दुकानों पर काम कर रहे हैं।आप भी यदि कुछ देख सकते हैं तो अपने हिसाब से देख लीजिए।साथ ही अन्य कुछ सवालों पर उनका जवाब यही था कि जो काम हमारा है उसे हम पर छोड़ दीजिए हम अपने हिसाब से देख लेंगे।
वहीं उप जिलाधिकारी से बात करने पर उन्होंने बताया कि बाल श्रम को रोकने के लिए नियम भी बनाए गए हैं। यदि बाजारों के अंदर बाल श्रम हो रहा है तो उन्हें जागरूक करने के लिए भी प्रयास किया जाएगा।