कोरोना वायरस का कहर तो सभी ने देखा है और लापरवाही का नतीजा भी देखा गया, लेकिन कोरोना के बदले हुए रूप ‘ओमिक्रोन’ का खतरा भी दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। देखते ही देखते ओमिक्रोन के संक्रमण से ग्रस्त मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। सुर्खियों की मानें तो ओमिक्रोन का संक्रमण 16 राज्यों तक पहुंच गया है और यह वायरस जिस तेजी से लोगों को संक्रमित कर रहा है। नेताओं की रैलियों व अन्य कार्यक्रमों पर इकट्ठी की जा रही भीड़ को देखते हुए इसकी आशंका बढ़ गई है कि आने वाले दिनों में इसके मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ेगी। ऐसे में भारत को अन्य देशों की अपेक्षा कहीं अधिक सतर्क रहना होगा। चूंकि उप्र सहित 5 राज्यों में विधान सभा चुनाव होने हैं और राजनीतिक दलों द्वारा अपनी अपनी रैलियों में अधिक से अधिक भीड़ जुटाने का प्रयास रहेगा, लेकिन इस दौरान संक्रमण से बचाव हेतु समुचित उपाय एवं गाइडलाइन का पालन करने पर ध्यान कतई नहीं देखने को मिल रहा है, ऐसे में वायरस से संक्रमण बढ़ने का खतरा हर पल बना हुआ है।
कोरोना वायरस के बदले स्वरूप से बचाव हेतु केंद्र सरकार व सभी राज्य सरकारों को नए सिरे से सावधानी बरतने की जरूरत इसलिए भी है, क्योंकि देश के कुछ हिस्सों में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। इसका कारण राजनैतिक दलों की रैलियों को ज्यादा ठहराया जा सकता है। वहीं रात्रिकालीन कर्फ्य पर जोर दिया जा रहा है जो कि नाकाफी कहा जा सकता है अगर संक्रमण से बचाव के ठोस कदम उठाने की बात कही जाये तो नेताओं की रैलियों में जुट रही भीड़ को रोकने की जरूरत है या यूं कहें कि नेताओं की रैलियों पर ही रोक लगा दी जाये। लेकिन दुर्भाग्य है कि छोटे-छोटे कार्यक्रमों के लिये नियम कायदे पालन करने पर जोर है और जहां अथाह भीड़ उमढ़ रही है वहां के लिये कोई भी ठोस नीति नहीं अपनाई जा रही है। टीके की बात करें तो यह ठीक है कि करीब साठ प्रतिशत वयस्कों ने टीके की दोनों खुराक ले ली हैं, लेकिन जिन्होंने अभी तक टीके की एक भी खुराक नहीं ली, उनका टीकाकरण प्राथमिकता के आधार पर करने की जरूरत है वहीं यह भी आकलन करने की भी आवश्यकता है कि मौजूदा टीके ओमिक्रोन से बचाव में कितना कारगर साबित करेंगे? इस अंदेशे को दूर करने के साथ ही ओमिक्रोन पर प्रभावी टीके के निर्माण का काम तेज किया जाना चाहिए। लेकिन यह कतई नहीं भूलना चाहिये कि वायरस का संक्रमण फैलने का सबसे बड़ा कारण राजनैतिक दलों की दलों की रैलियां बनेंगी, ऐसे में लोगों को चाहिये कि अपनी जान की परवाह खुद करें और रैलियों में जाने से बचें। अगर जायें तो पूरी सतर्कता रखें क्योंकि जब आप सुरिक्षत रहेंगे तो आपका परिवार व समाज सुरक्षित रहेगा।