Wednesday, November 27, 2024
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पर्वतमाला परियोजना, पहाड़ों की मुश्किल भौगोलिक स्थितियों के लिए वरदान साबित होगी

पर्वतमाला परियोजना से रोपवे के बुनियादी ढांचे संचालित प्रमुख कारकों परिवहन का किफायती माध्यम, तेज माध्यम पर्यावरण के अनुकूल लास्ट माइल कनेक्टिविटी का लाभ मिलेगा- एड किशन भावनानी
भारत तेज़ी के साथ अपने लक्ष्य विज़न 2047 सहित अनेक क्षेत्रों के बुनियादी ढांचे को नए भारत, डिजिटल भारत के अनुसार बनाने, ढांचागत सुधार करने और भारतीय अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने के लिए अर्थव्यवस्था में जान फूंकने कौशलता विकास कार्यक्रमों, स्टार्टअप, एमएसएमई, डिजिटल कृषि सहित परिवहन क्षेत्र में सबसे बड़ी परियोजनाओं भारतमाला, सागरमाला और अभी बजट 2022 में प्रस्तावित पर्वतमाला परियोजनाओं को शामिल करके बुनियादी परिवहन ढांचे का आधुनिकीकरण कर दुर्गम पहाड़ी इलाकों में परिवहन कनेक्टिविटी से पर्यटन उद्योग और रोज़गार को बढ़ावा देने में मील का पत्थर साबित होगी और वर्तमान प्रस्तावित पर्वतमाला परियोजना से रोपवे के बुनियादी ढांचे संचालित करने वाले प्रमुख कारकों में परिवहन का किफायती मध्यम, तेज माध्यम, पर्यावर अनुकूल, लास्ट माइल कनेक्टिविटी का अधिक लाभ मिलने की पूर्ण संभावना है।
साथियों बात अगर हम पर्वतमाला परियोजना को समझने की करें तो इसका अर्थ और पर्यायवाची रज्जुपथ संस्कृत [संज्ञा पुल्लिंग] ऊँची-नीची पहाड़ी जगहों, बड़े-बड़े कल कारखानों आदि में एक स्थान से दूसरे स्थान तक सामान पहुँचाने के लिए बड़े-बड़े खंभों में रस्से बांधकर बनाया गया मार्ग ; रस्से का मार्ग(रोप वे)। आजकल पहाड़ी क्षेत्रों में एक कुशल परिवहन नेटवर्क विकसित करना एक बड़ी चुनौती है। इन क्षेत्रों में रेल और हवाई परिवहन नेटवर्क सीमित हैं, जबकि सड़क नेटवर्क के विकास में तकनीकी चुनौतियां हैं। इस पृष्ठभूमि को देखते हुए क्षेत्र में, रोपवे एक सुविधाजनक और सुरक्षित वैकल्पिक परिवहन साधन के रूप में उभरा है।
साथियों बात अगर हम पर्वतमाला परियोजना के लाभ की करें तो, पीआईबी के अनुसार परिवहन का यह माध्यम कठिन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को गतिशीलता प्रदान करेगा और उन्हें मुख्यधारा का हिस्सा बनने में मदद करेगा। ऐसे क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीण/किसान अपनी उपज को अन्य क्षेत्रों में बेच सकेंगे, जिससे उन्हें अपनी आय बढ़ाने में मदद मिलेगी, इसके दूरगामी लाभ इस प्रकार है, अ)अर्थव्यवस्था: रोपवे जिसमें एक ही पावर-प्लांट और ड्राइव मैकेनिज्म द्वारा संचालित कई कारें हैं। यह निर्माण और रखरखाव लागत, दोनों को कम करता है। पूरे रोपवे के लिए एक ही ऑपरेटर का उपयोग श्रम लागत में एक और बचत करता है। समतल जमीन पर, रोपवे की लागत नैरो-गेज रेलमार्गों के साथ प्रतिस्पर्धी है और पहाड़ों में रोपवे कहीं बेहतर है।ब)लचीला-विभिन्न सामग्रियों का परिवहन – एक रोपवे विभिन्न प्रकार की सामग्री का एक साथ परिवहन कर सकता है। क) बड़ी ढलानों को संभालने की क्षमता- रोपवे और केबल-वे (केबल क्रेन) बड़े ढलानों और ऊंचाई में बड़े अंतर को संभाल सकते हैं। जहां किसी सड़क या रेलमार्ग को स्विचबैक या सुरंगों की आवश्यकता होती है, रोपवे सीधे ऊपर और नीचे फॉल लाइन की यात्रा करता है। इंग्लैंड में पुराने क्लिफ रेलवे और पहाड़ों में स्की रिसॉर्ट रोपवे इस सुविधा का लाभ उठाते हैं।ड) कम ज़मीन की ज़रूरत- तथ्य यह है कि अंतराल पर केवल संकरे -आधारित लंबवत समर्थन की आवश्यकता होती है, शेष जमीन को मुक्त छोड़कर, निर्मित क्षेत्रों में और उन जगहों पर जहां भूमि उपयोग के लिए तीव्र प्रतिस्पर्धा होती है, रोपवे के निर्माण को संभव बनाता है।
इसका मुख्य उद्देश्य पर्यटन को बढ़ावा देना है, जिससे आने वाले समय में कोरोना महामारी के साये में डूबे पर्यटन क्षेत्र में उबारा जा सके और पर्यटन क्षेत्र को एक नई दिशा प्रदान की जा सकेगी, इसके अतिरिक्त यात्रियों को बेहतर कनेक्टिविटी और सुविधा प्रदान करना है। इसमें भीड़भाड़ वाले शहरी इलाकों को भी शामिल किया जा सकता है,जहांपारंपरिक जन परिवहन प्रणाली संभव नहीं है। 2022-23 में 60 किमी लंबी 8 रोपवे परियोजनाओं के ठेके दिए जाएंगे।
नौकरियां उत्पन्न होगी, कोरोना महामारी की वजह से लाखों लोगों की नौकरियां चली गई है, अगर इससे पर्यटन क्षेत्र बूम आता है तो निश्चित तौर पर नौकरियों और रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। इससे अतिरिक्त दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र में रहने वाले लोगों का जीवन आसान होगा और वे मुख्य धारा से जुड़ सकेंगे।
साथियों बात अगर हम बजट 2022 में पर्वतमाला परियोजना के धमाकेदार उल्लेख की करें तो, केंद्रीय वित्त मंत्री ने वर्ष 2022-23 के लिए केंद्रीय बजट पेश करते हुए यह घोषणा की थी कि सरकारी-निजी भागीदारी -पीपीपी के आधार पर राष्ट्रीय रोपवे विकास कार्यक्रम – पर्वतमाला परियोजना शुरू की जाएगी। यह परियोजना दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में पारंपरिक सड़कों के स्थान पर एक पसंदीदा पारिस्थितिकी रूप से स्थायी विकल्प होगा। इस परियोजना का उद्देश्य दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने के अलावा, यात्रियों के लिए संपर्क और सुविधा में सुधार करना है। इस परियोजना में भीड़भाड़ वाले शहरी क्षेत्रों को भी शामिल किया जा सकता है, जहां पारंपरिक सामान्य परिवहन प्रणाली संभव नहीं है। वित्त मंत्री ने घोषणा की थी कि वर्ष 2022-23 में 60 किलोमीटर की दूरी के लिए 8 रोपवे परियोजनाओं के ठेके दिए जाएंगे। यह परियोजना वर्तमान में उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर,जम्मू- कश्मीर और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों जैसे क्षेत्रों में शुरू की जा रही है।
साथियों बात अगर हम पर्वतमाला परियोजना पर पीएम के विचारों की करे तो मीडिया के अनुसार उन्होंने बताया कि उत्तराखंड सहित देश के हिमालयी राज्यों में ‘पर्वतमाला प्रोजेक्ट’ से बहुत फायदा होगा। कहा कि उत्तराखंड के सीमावर्ती गांवों में बुनियादी सुविधाओं का विकास होने के साथ ही सड़कों का जाल बिछाएगा जाएगा। इस प्रोजेक्ट से रुद्रप्रयाग जिले में केदारनाथ, चमोली जिले में गोविंदघाट-घांघरिया समेत उत्तराखंड में 27 प्रोजेक्टों के धरातल पर उतरने की आस भी बढ़ी है। पर्वतमाला योजना से पहाड़ी राज्यों में ट्रांसपोर्टेशन के आधुनिक साधनों की व्यवस्था की जाएगी, ताकि ट्रांसपोर्टेशन आसान हो सके। पीएम मोदी ने कहा कि बॉर्डर एरिया डेवलपमेंट प्रोजेक्ट (बीएडीपी) पर विशेष फोकस किया गया है।
साथियों बात अगर हमपर्वतमाला परियोजना के प्रमुख कारकों की करें तो, रोपवे के बुनियादी ढांचे को संचालित करने वाले प्रमुख कारक 1)परिवहन का किफायती माध्यम- चूंकि रोपवे परियोजनाएं पहाड़ी इलाके में एक सीधी रेखा में बनाई जाती हैं, इस लिए इस परियोजना में भूमि अधिग्रहण की लागत भी कम आती है। इसलिए, सड़क परिवहन की तुलना में प्रति किलोमीटर रास्ते के निर्माण की अधिक लागत होने के बावजूद, रोपवे परियोजनाओं की निर्माण लागत सड़क परिवहन की तुलना में अधिक किफायती हो सकती है।2)परिवहन का तेज़ माध्यम- परिवहन के हवाई माध्यम के कारण, रोपवे का सड़क मार्ग परियोजनाओं की तुलना में एक फायदा यह है कि रोपवे एक पहाड़ी इलाके में एक सीधी रेखा में बनाए जा सकतेहैं।3)पर्यावरण के अनुकूल- धूल का कम उत्सर्जन। सामग्री के कंटेनरों को इस तरह से डिजाइन किया जा सकता है ताकि पर्यावरण में किसी भी तरह की गंदगी फैलाने से बचा जा सके।4)लास्ट माइल कनेक्टिविटी- 3 एस (एक तरह की केबल कार प्रणाली) या समकक्ष तकनीकों को अपनाने वाली रोपवे परियोजनाएं प्रति घंटे 6000-8000 यात्रियों को ले जा सकती हैं।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि पर्वतमाला परियोजना पर्यटन उद्योग, रोज़गार, पहाड़ों की मुश्किल भौगोलिक स्थितियों के लिए वरदान साबित होगी। पर्वतमाला परियोजना से रोपवे के बुनियादी ढांचे संचालित करने वाले प्रमुख कारकों का प्रभावशाली लाभ होगा।
-संकलनकर्ता लेखक- कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र