समय के चलते स्वतंत्रता को अपना नैतिक हक समझने वाली आजकल की पीढ़ी स्वच्छंदता का अंचला ओढ़े मनमानी कर रही है। या यूँ कहे कि, माँ-बाप के बनाए हुए दायरे को तोड़ कर आज़ाद ज़िंदगी जीने की होड़ में बर्बादी के पथ पर चल पड़ी है। खासकर लड़कियाँ अपने आप को बहुत एडवांस और होशियार समझते माँ-बाप के संस्कारों को निलाम करने पर तुली है। लड़कियों को जवानी के एक पड़ाव पर ठहरकर सोचने की जरूरत है कि वह क्या चाहती है। अपना लक्ष्य तय करते करियर बनाने की उम्र में प्रेम, प्यार के चक्कर में समय बर्बाद करते कहीं की नहीं रहती। एक उम्र के बाद जायज़ है शारीरिक विकास के साथ विपरीत सेक्स के प्रति आकर्षण होना; पर उस उन्माद को प्यार का नाम देकर मनचले लड़कों के हाथों की कठपुतली बनकर खुद के साथ-साथ माँ-बाप की इज़्जत की धज्जियां उड़ाने का हक आपको हरगिज़ नहीं। दर असल पारिवारिक संस्था की व्यवस्था ही डावाँडोल होने लगी है। पहले के ज़माने में घर में पिता का एक रुतबा हुआ करता था, जो परिवार के हर सदस्यों को अनुसाशन में रखता था। दिनभर कितने भी उछल कूद कर लेते थे शाम को पिता जी के ऑफ़िस से आने का वक्त होते ही बच्चें सावधान होकर एकदम शांत होकर अपने काम में व्यस्त हो जाते थे। डर कहो, या सम्मान कहो पर पिता का वो रोबिला अंदाज़ बच्चों को अनुसाशन में जरूर रखता था। आजकल तो माँ-बाप का कुछ भी कहना बच्चों को बंदीशें लादना और शोषण लगने लगता है। माँ-बाप भी अपने आप को खुले विचारों वाले आधुनिक समझते बेटियों को कुछ ज़्यादा ही छूट देने लगे है, जिसका कुछ ना समझ लड़कियाँ गलत फ़ायदा उठाते, मनमर्ज़ी करते ऐसे रास्ते पर चल पड़ती है जहाँ से उनकी लाशें ही वापस आती है। ऐसे किस्सों में कहीं पैसों की भूख, तो कहीं शारीरिक भूख ही मुख्य कारण होती है। वेब सीरिज़ों में लड़कियाँ जिस तरह बिंदास गालियाँ बक रही है, कपड़े उतारने लगी है क्या उसके परिवार वाले वो सब नहीं देखते होंगे? या पैसों के लिए सब नज़र अंदाज़ करते होंगे? बड़ी-बड़ी शादीशुदा हीरोइनें भी पैसों की ख़ातिर अंग प्रदर्शन करने से नहीं शर्माती। वही बिंदास अंदाज़ जब आम लड़की अपनाती है तब उसको लूटने वालों की दुनिया में कोई कमी नहीं है।
ज़िंदगी में कितना कुछ करने के लिए होता है, अपने भविष्य को सुरक्षित करने हेतु पढ़ लिखकर कुछ बनकर दिखाओ। अगर आप में कोई हुनर है तो उसे विकसित करो और आगे बढ़कर अपने माँ-बाप का नाम रोशन करो। लड़कियों संभल जाओ… खाने, खेलने और करियर बनाने की उम्र में शारीरिक आकर्षण को प्यार समझकर ऐसे लड़कों के बहकावे में आकर ज़िंदगी तबाह मत करो; जिनको प्यार, इश्क, मोहब्बत की परिभाषा ही पता नहीं। प्यार कोई खेल नहीं, प्यार एक ऐसा रूहानी एहसास है जो अपने साथी की खुशी में अपनी खुशी तलाशते फ़ना हो जाता है। दो अरमाँ भरे दिलों को एकसूत्रता में बाँधता है प्यार। प्यार का वो धागा इतना अटूट होता है कि बड़े से बड़ा बवंडर प्रेमियों के इरादों को हिला नहीं पाता। पहले के ज़माने में दो प्रेमियों का बाजु में बैठकर गुफ़्तगु करते इश्क लड़ाना और उसपर भी ऊँगली से ऊँगलियों का छू जाना रोमांच पैदा करता था और हाथ पकड़ना रोमांस की चरम कहलाता था। आज रोमांस ने उन्माद और सेक्स का रुप ले लिया है..
किसीको चुम्बन करना और दिल देना जैसे चना कुरमुरा बाँटने जैसी क्रिया बन गई है। आजकल तो सोशल मीडिया पर दिल और चुम्बन वाली इमोजी हर कोई हर किसीको चिपका देता है, प्यार के एहसास को खास से फ़ालतू और आम बनाकर रख दिया है। प् सवअम लवन का मतलब मैं तुम्हारे साथ पूरी ज़िंदगी बिताना चाहता हूँ ये होता है पर आजकल एक ही व्यक्ति 50 लड़कियों को प् सवअम लवन के नाम पर घूमा रहा होता है। आज बारह साल के बच्चों को हर अंगों का और प्रेमियों के बीच एकांत में होने वाली हर क्रियाओं का ज्ञान होता है। कहने और सुनने में ये बात भले कठोर लगे पर अब लड़का और लड़की एक दूसरे में प्यार, इश्क, मोहब्बत नहीं ढूँढते बल्कि शारीरिक उन्माद का शमन ढूँढते है। ये तीन शब्द प् सवअम लवन वासनापूर्ति का ज़रिया बन गया है।
दो तथाकथित प्रेमियों के बीच भरोसे का नहीं, ब्रेक अप का सेतु होता है जो छोटी सी बात पर कभी भी ढ़हने की कगार पर खड़ा होता है।
सच्चा प्यार साथ खड़ा रहता है अपने पार्टनर को कभी हारने नहीं देता, न मौत के मुँह में धकेल देता है। यूँ प्यार में धोखा मिलने पर किसके लिए आप खुद को और अपने परिवार वालों को इतनी घिनौनी सज़ा दे रही हो? जिसे आपकी भावनाओं की कद्र नहीं, न आपकी ज़िंदगी से कोई सरोकार होता है। ये प्यार नहीं सोची समझी साज़िश होती है, लड़कियों को बर्बाद करने का षड्यंत्र होता है। हर कुछ दिन बाद ऐसी वारदातें सामने आ रही है उससे कुछ तो सबक लो। अब भी न संभलोगी और न समझोगी तो यूँहीं जान गँवाती रहोगी। अपने साथ-साथ परिवार वालों को भी बर्बाद और बेइज्ज़त करवाती रहोगी। चार छह महीने के प्यार के चक्कर में कितना कुछ लूटाती रहती है लड़कियाँ! जान तक हार जाती है। अब अपने एहसासों पर काबू रखो और खुद को लूटाने से बचो, उसी में आपकी परिवार वालों की और समाज की भलाई है।
भावना ठाकर ‘भावु’ बेंगलोर