Tuesday, November 26, 2024
Breaking News
Home » स्वास्थ्य » मूड स्विंग – मन की मनमानी

मूड स्विंग – मन की मनमानी

⇒आजकल यह मूड स्विंग एक महामारी का रूप लेता जा रहा है।आइए जानते हैं मूड स्विंग क्या होता है ?
खुश होना, फिर पल भर में उदास हो जाना या एक दम से मूड बदल जाना, किसी इंसान की भावनात्मक स्थिति में बदलाव होना, अचानक और बिना किसी वजह मूड खराब हो जाना और उतनी ही जल्दी ठीक भी हो जाना। इसे मूड स्विंग होना कहते हैं। मूड स्विंग का मतलब थोड़े समय के अंदर मूड में जल्दी-जल्दी बदलाव होना होता है. इसको तनाव या चिंता ना समझें, यह बिल्कुल अलग है। मूड स्विंग कोई बाइपोलर डिसऑर्डर नहीं है हालांकि बाइपोलर डिसऑर्डर भी मूड स्विंग में पाये जाते हैं। कहने का तात्पर्य है जब भावनाएं नियंत्रित नहीं रहतीं, हावी होने लगती हैं और उनसे रोज़मर्रा की ज़िंदगी पर असर पड़ने लगता है. और साथ ही साथ आपके अपने आसपास के वातावरण में परिवर्तन में भी मूड स्विंग का होना निर्भर करता है। हमारे शरीर में मानसिक तनाव और हार्माेन के बदलाव से भी मूड स्विंग होता है । मूड स्विंग एक बहुत ही चिंता का विषय बनता जा रहा है क्योंकि मूड पर काबू पाना आपकी जिम्मेदारी है। मूड माना आपका है, आप ही इसके शासक हो, आपके कंट्रोल में चीजें होनी ही चाहिए, हालांकि यह बाहरी वातावरण से प्रभावित होता है और पूरी तरह से इस पर निर्भर हो जाना भी गलत है, क्योंकि इससे आपकी निजी ज़िंदगी खराब हो सकती है।इससे घर में और घर वालों में अशांति रहती है। इससे आपस में धीरे-धीरे घर वाले खिंचे खिंचे रहते हैं और इस माहौल से परेशानियां बढ़ती हैं अक्सर जिन लोगों को मूड स्विंग्स होते हैं उन लोगों को पागलपन का शिकार समझा जाता है। मूड स्विंग्स से आपके रिश्ते प्रभावित होते हैं और कभी-कभी तो टूट भी जाते हैं इसका सबसे ज्यादा असर आपके संबंधों पर पड़ता है जब आप ज्यादा चिड़चिड़े होंगे तो आप से लोग भी दूरी बना लेंगे, जिससे आपको अकेलापन महसूस होगा और आप नकारात्मकता से ग्रसित हो जाएंगे और आपका आत्मविश्वास भी डगमगा उठेगा। मूड स्विंग्स का सीधा असर आपके काम पर भी पड़ता है क्योंकि आप एक खिलौना बन जाते हो। अपनी तेज दौड़ती भावनाओं के आप गुलाम बन जाते हो जिसमें रोलर कोस्टर की तरह आपको कितनी भावनाएं दिखती हैं। आप अपना नियंत्रण भावनाओं पर से खो बैठते हैं जिससे आपका सामाजिक स्वास्थ्य भी खराब हो जाता है। मूड स्विंग के लक्षण बेचौनी, घबराहट ,आत्मविश्वास की कमी, हर वक्त चिंता में डूबे रहना, ज्यादा भूख लगना या भूख बिल्कुल नहीं लगना, हर वक्त उदासी या थकावट और शरीर में स्फूर्ति की कमी और वातावरण के विपरीत व्यवहार करना आदि मूड स्विंग्स के लक्षण हैं । मूड स्विंग्स के मुख्य कारण हैं – तनाव, चिंता और बेचौनी की वजह से आपके मूड पर बुरा असर पड़ता है जिसकी वजह से मूड स्विंग्स होने लगते हैं दूसरा मुख्य कारण है हार्माेन का असंतुलन। जब भी शरीर में हार्माेन की मात्रा का असंतुलन होता है कम या ज्यादा तो मूड स्विंग्स देखने को मिलते हैं जैसे कि आपने यह थायराइड की बीमारी में ज्यादा मूड स्विंग्स होते हैं या थायराइड हार्माेन का असंतुलन होता है। तीसरा मुख्य कारण है अनिद्रा अगर आप भरपूर नींद नहीं लेते हैं तो मूड स्विंग्स की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। प्रेगनेंसी में जब आप कोई गर्भवती महिला के शरीर में हार्माेन की बढ़ोतरी हो जाती है जिसकी वजह से मूड स्विंग्स देखने को मिलते हैं। मेनोपॉज या रजोनिवृत्ति में मासिक बंद हो जाने के बाद महिलाओं में एस्ट्रोजन की कमी होने लगती है जिसकी वजह से मूड स्विंग्स होते हैं। प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम मासिक के 3 से 10 दिन पूर्व कुछ महिलाओं में अक्सर पाया जाता है जिससे कि पेट में दर्द रहना जी मिचलाना महसूस होता है, क्योंकि एस्ट्रोजन हार्माेन नाटकीय रूप से बढ़ता और घटता है। केवल महिलाओं में ही नहीं पुरुषों और बच्चों में भी पाया जाता है। हां, महिलाएं मूड स्विंग का ज्यादा शिकार होती हैं क्योंकि उनके मासिक धर्म में हारमोंस का बहुत बड़ा रोल होता है।
मूड स्विंग के उपचार/मूड स्विंग को कहें अलविदा
1. स्ट्रेस को मैनेज करें और अपने अंदर सकारात्मकता बढ़ाएं ।
2. बेकार की चिंताएं ना करें।
3. किसी से खुद की बराबरी ना करें।
4. पुराने गिले-शिकवे पर मिट्टी डालें।
5. भविष्य की ज्यादा चिंता न करें और नकारात्मकता से दूर रहें।
6. खुश रहें और अपने अंदर की इंसानियत की भावना को जिंदा रखें।
7. व्यायाम जरूर करें इसको अपने जीवन का हिस्सा बनाएं जैसे की योग, जुंबा, जिम, तेज दौड़ना, डांस आदि मूड स्विंग को कंट्रोल करने में उपयोगी हैं।
8. कुछ ना कुछ अपने शौक को बढ़ावा दें फिर चाहे वह संगीत हो चित्रकला हो या कुछ भी जो आपका दिल कहे।
रोज पैदल जरूर चलें। कम से कम रोज 3 से 4 किलोमीटर टहलें प्रकृति से सामंजस्य स्थापित करें, मनुष्य का विकास पैदल चलने से ही हुआ है, बैठने से नहीं। मन को स्वस्थ रखना है तो शरीर में हलचल जरूरी है इसलिए जरूर से टहलने जाएं। पानी ज्यादा से ज्यादा पिएं, इंसानी शरीर का 80 प्रतिशत पानी है और पानी मानव जीवन के लिए बेहद जरूरी है। बात अगर मूड स्विंग को ठीक करने की हो तो पानी रामबाण है इससे आपका मन शांत और फ्रेश रहेगा। पानी कम से कम 3 से 4 लीटर पीना चाहिए अगर आप किसी बीमारी से ग्रस्त हैं तो पानी की मात्रा डॉक्टर की सलाह अनुसार जरूर पिएं । प्रतिदिन नहाने से शरीर के साथ-साथ मन भी साफ होता है और मूड में भी शांति उत्पन्न होती है। सेहतमंद और संतुलित खाना खाएं। खाने में मौसम की हरी सब्जियों का इस्तेमाल, फलों का इस्तेमाल, अंकुरित सब्जियों का इस्तेमाल करें। आप जो भी खा रहे हैं उसका सीधा असर आपके मूड पर पड़ता है तो कोशिश करें देसी शुद्ध पदार्थ लें और जंक फूड न लें, तेल चिकनाई वाला खाने का सामान कम मात्रा में खाएं। भरपूर नींद लें 6 से 8 घंटे की नींद हर व्यक्ति के लिए जरूरी है रात को समय पर सोना आपकी दिनचर्या को सही करता है जिससे आपको खुशनुमा एहसास होता है और मूड स्विंग्स भी कम हो जाते हैं नींद गहरी हो और अच्छी हो तो आपका स्वभाव खुश और आपका हार्माेन बैलेंस भी गुड रहता है। नकारात्मक माहौल और ऐसे लोगों से दूर रहें । जब कभी मूड फ्रेश होने लगे तो तनाव या नकारात्मक लोगों से दूरी बना लें।आप खुश रहें और खुद को समय जरूर से दें। मूड स्विंग हमारे मन में उथल-पुथल करता है जिससे मन शांत और बेचौन होता है । कई लोग छोटी बात समझ कर इसे नजरअंदाज कर देते हैं लेकिन इसको हल्के में बिल्कुल ना लें। यह एक चिंता का विषय है ऐसी स्थिति में अपने आप की जीवनशैली में कुछ जरूरी बदलाव करके आप अपनी मूड स्विंग की परेशानी से निजात पा सकते हैं ।
किसी का कोई भी प्रश्न हो तो नीचे दिए गए ईमेल एड्रेस के माध्यम से या इंस्टा अकाउंट पर या फेसबुक पर आप सवाल पूछ सकते हैं ।
नीचे दी गई तीनों आईडी पर आप सवाल पूछ सकते हैं और अपनी किसी भी बीमारी को लेकर अपने मन की शंका दूर कर सकते हैं ।

-डॉ अमरीन फातिमा