⇒नाराज ग्रामीणों ने सोशल ऑडिट बैठक के दौरान किया प्रदर्शन
⇒ग्राम प्रधान पर भेदभाव करने का लगाया आरोप
संतकबीरनगर। आजादी के 75 वर्ष बीत गए लेकिन अभी भी कुछ ग्राम पंचायतों ऐसी हैं, जहाँ विकास की किरन अब तक नहीं पहुंची सकी है। सरकार तो सबको विकास की मुख्यधारा में लाने के लिए भारी-भरकम धनराशि ग्राम पंचायतों में भेजी जा रही लेकिन गाँव के मुखिया की उदासीनता ने ग्रामीणों के जीवन को नारकीय बना दिया है। ऐसा ग्रामीणों का आरोप हैं और ग्रामीण गवाह है कि 75 वर्षों में ग्रामसभा सालेहपुर का वहाँ के चुने गए नुमाइंदों ने क्या दिया है। शायद सिर्फ नारकीय जीवन।केंद्र व प्रदेश सरकार ग्रामीण क्षेत्र में निवास करने वाले लोगों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं के मध्य में ग्राम पंचायतों में भारी-भरकम धनराश भेजी जा रही है लेकिन ग्राम पंचायत के जिम्मेदारों व सरकार के ही मुलाजिमों की उदासीनता ने सरकार की मंशा पर पानी फेरते नजर आ रहे है । जहा गरीब परिवारों को विकास की मुख्यधारा से अभी तक वंचित रखा है आजादी के 75 वर्ष बीत जाने के बाद भी अधिकतर क्षेत्रों में ग्रामीण जनता विकास के किरण का इंतजार कर रही है। आपको बताते चलें कि पूरा मामला जनपद संत कबीर नगर की सबसे बड़ी विकासखंड सेमरियावां क्षेत्र से है जहां मनरेगा योजना व पीएम आवास के लाभार्थियों के सत्यापन के लिए आयोजित सोशल ऑडिट खुली बैठक में ग्रामीणों ने प्रधान के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए प्रदर्शन किया और ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि गांव के अंदर हरिजन बस्ती में आज भी लोग नारकीय जीवन जीने के लिए मजबूर है। गांव न तो जल निकासी की व्यवस्था है ना ही गांव में सड़क की व्यवस्था है। ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि विकासखंड में कार्यरत जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी कभी इस गांव में दर्शन तक नहीं देते जिसके लिए ग्राम पंचायत के ग्राम प्रधान व पंचायत सचिव जिम्मेदार है। इनके द्वारा कागजों में विकास की गंगा बहा कर सरकार द्वारा भेजे गए धन का बंदरबांट किया जा रहा लेकिन जमीनी हकीकत आज भी जस की तस पड़ी हुई है । ग्रामीण महिलाओं ने कहा की 15 वर्षों से जीवन की स्थिति बद से बदतर बनी हुई है। लेकिन जिम्मेदार ग्राम प्रधान व ग्राम पंचायत सचिव चैन की बंसी बजा रहे हैं ब्लॉक स्तरीय अधिकारियों से शिकायत करने के बावजूद भी कोई कार्य नहीं हो रहा है जिससे वे लोग काफी मायूस है। वही पूरे मामले पर जब ग्राम पंचायत अधिकारी से संपर्क करने की कोशिश की गई तो उनका दूरभाष नंबर बंद आ रहा था । प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों में शीला देवी, कौशल्या देवी, सुभावती देवी, प्रेमवती, नेबू लाल आदि सभी ग्रामीण मौजूद रहे।