राजीव रंजन नागः नई दिल्ली। महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने यह कहकर महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल पैदा कर दिया है कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष अपने पद से इस्तीफा देने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं, जिसके बाद इस बात को लेकर चर्चाएं तेज हो चुकी हैं कि वे अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं।
बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मेट्रो रेल का उद्घाटन करने महाराष्ट्र पहुंचे थे। जहां पर राज्यपाल ने पीएम मोदी के समक्ष अपने इस्तीफे की पेशकश की थी। राज्यपाल ने कहा कि, ‘वे अपना शेष जीवन अब लिखने, पढ़ने में लगाना चाहते हैं। लिहाजा अब वह हर प्रकार की राजनीतिक दायित्वों से मुक्ति चाहते हैं।
राज्यपाल ने आगे कहा कि वे उन सभी लोगों का दिल से शुक्रिया अदा करना चाहते हैं, जिनकी बदौलत वह इस पद पर पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि मुझे तीन सालों तक अनवरत आप सभी लोगों का बहुत प्यार, स्नेह, सम्मान मिला, इसके लिए मैं आप सभी लोगों का आभार प्रकट करता हूं। राज्यपाल ने आगे कहा कि मुझे आप लोगों से जो प्यार मिला है, उसे मैं कभी भूल नहीं पाऊंगा।
महाराष्ट्र से लेकर दिल्ली तक यह कयास लगाये जा रहें हैं कि आखिर वह कौन से कारण हो सकते हैं जिसके कारण कोशियारी को राज्यपाल पद से इस्तीफे की पोशकश करनी पड़ी है। हालांकि, इससे पहले कई मौकों पर राज्यपाल अपने पद को लेकर अपनी पीड़ा जाहिर कर चुके हैं। अपने कार्यकाल के दौरान राज्यपाल कई बार विवादों में भी रहे हैं, जिसे लेकर महाराष्ट्र की राजनीति में घमासान भी देखने को मिला था।
राज्यपाल कोश्यारी का नाम कई विवादों में सामने आ चुका है। जिसमें सबसे पहले उन्होंने ज्योतिबाई और सावित्रीबाई फूले के बाल को लेकर विवादित बयान दे दिया था। बता दें कि उन्होंने विवादित बयान पुणे स्थित सावित्रीबाई यूनिवर्सिटी में आयोजित एक कार्यक्रम में दिया था, जिसके बाद महाराष्ट्र की राजनीति में घमासान छिड़ गया था। इसके बाद उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज को लेकर भी विवादित बयान दे दिया था। इतना ही नहीं, उन्होंने मराठी और गुजराती समुदाय को औरंगजेब तक कह दिया था। जिसके बाद राजनीति तेज हो गई और उनसे इस्तीफे की मांग जोर पकड़ने लगी थी।नवंबर 2022 में, कोश्तरी ने छत्रपति शिवाजी महाराज को ‘पुराना आइकन’ कहकर विवाद खड़ा कर दिया। वह औरंगाबाद में डॉ बाबासाहेब अंबेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय में एक समारोह को संबोधित कर रहे थे।
‘पहले जब कोई आपसे पूछता था कि आपका आइकन कौन है, तो जवाहरलाल नेहरू, सुभाष चंद्र बोस और महात्मा गांधी इसका जवाब हुआ करते थे। महाराष्ट्र में, हमारे पास छत्रपति शिवाजी महाराज हैं, जो पुराने दिनों के आइकन थे। लेकिन अब हमारे पास बाबासाहेब अंबेडकर हैं। और नितिन गडकरी, जो वर्तमान समय के नायक हैं,’ कोश्यारी ने कहा था।
हालांकि, बीजेपी ने राज्यपाल के प्रति अपना बचावी रुख जारी रखा, लेकिन महाराष्ट्र में सियासी घमासान की स्थिति भी जारी रही। बहरहाल, अब वर्तमान में जिस तरह से राज्यपाल ने इस्तीफे की पेशकश कर दी है, उसके बाद से प्रदेश में राजनीतिक में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। अब ऐसी स्थिति में आगामी दिनों में प्रदेश की राजनीति स्थिति क्या रुख अख्तियार करता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। राज्यपाल कोश्यारी ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफे की जताकर सबको हैरान कर दिया है।
राजभवन की तरफ से जारी एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया, ‘मैंने राज्यपाल के पद से हटने की इच्छा व्यक्त की है।’ कोश्यारी ने 9 सितंबर, 2019 को महाराष्ट्र के 22वें राज्यपाल के रूप में पदभार संभाला था। इस विज्ञप्ति में आगे कहा गया है कि कोश्यारी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुंबई यात्रा के दौरान पद छोड़ने और अपना शेष जीवन पढ़ने, लिखने और अन्य इत्मीनान की गतिविधियों में बिताने की इच्छा व्यक्त की है।
राजभवन द्वारा जारी बयान में राज्यपाल कोश्यारी ने कहा, ‘महाराष्ट्र जैसे महान राज्य- संतों, समाज सुधारकों और वीर सेनानियों की भूमि के राज्य सेवक या राज्यपाल के रूप में सेवा करना मेरे लिए एक बेहद सम्मान और सौभाग्य की बात थी। ’कोश्यारी ने कहा कि पिछले तीन साल से कुछ ज्यादा समय के दौरान महाराष्ट्र की जनता से मिले प्यार और स्नेह को मैं कभी नहीं भूल सकता।
माननीय प्रधानमंत्री की हाल की मुंबई यात्रा के दौरान मैंने उन्हें सभी राजनीतिक जिम्मेदारियों से मुक्त होने और अपना शेष जीवन पढ़ने, लिखने और अन्य गतिविधियों में बिताने की अपनी इच्छा से अवगत कराया है. मुझे माननीय प्रधानमंत्री से हमेशा प्यार और स्नेह मिला है और मुझे इस संबंध में भी ऐसा ही मिलने की उम्मीद है।’ मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी के बारे में
राज्यपाल की विवादास्पद टिप्पणी पर विवाद के दौरान शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता संजय राउत द्वारा जारी एक बयान के अनुसार कोश्यारी ने पिछले साल नवंबर में इस्तीफे की पेशकश की थी। तब राजभवन ने इस बयान को खारिज कर दिया था। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें प्रधानमंत्री मोदी से प्यार और स्नेह मिला है और भविष्य में भी ऐसा ही मिलने की उम्मीद है।