रायबरेली। जिलाधिकारी माला श्रीवास्तव ने कहा कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओं योजना का तात्पर्य केवल बेटियों को बचाना और पढ़ाना ही नहीं बल्कि सदियों से चली आ रही धार्मिक प्रथाओं एवं गलत मानसिक विचारधारा में परिवर्तन लाना भी है। महिलाओं के शिक्षित होने से वे अपने ऊपर होने वाले उत्पीड़न का विरोध कर सकती है और अपने अधिकार की मांग कर सकती है।
जिलाधिकारी माला श्रीवास्तव आज बचत भवन सभागार में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओं योजनान्तर्गत टास्क फोर्स की बैठक की अध्यक्षता कर रहीं थी। बैठक में मुख्य विकास अधिकारी पूजा यादव, मुख्य चिकित्साधिकारी डा0 वीरेन्द्र सिंह, सीएमएस रेन चौधरी व जिला प्रोबेशन अधिकारी जयपाल वर्मा सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहें। जिलाधिकारी ने कहा कि माह के प्रथम व तृतीय सोमवार को बालिका के जनपद के प्रति समाज में सकारात्मक सोच को बढ़ावा देने के लिए जनपद के जिला महिला चिकित्सालय, सीएचसी ब्लाक कार्यालयों व सब सेंटर जहां पर्याप्त संख्या में प्रसव होते हो, उनमें कन्या जन्मोत्सव का आयोजन किया जाए। उन्होंने कहा कि आयोजनों को मिशन शक्ति से जोड़ते हुए उत्कृष्ट कार्य कर रही महिला कर्मियों यथा पुलिस कर्मी, डॉक्टर, टीचर इत्यादि को भी कार्यक्रम से जोड़ा जाए।जिलाधिकरी ने कहा कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं के अन्तर्गत किये जाने वाले कार्यक्रम एवं इसके अन्तर्गत उत्कृष्ट महिला, बालिकाओं को सम्मानित किया जाये। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजनान्तर्गत जनपद के विभिन्न सार्वजनिक स्थलों पर दीवार लेखन व होर्डिंग की स्थापना किये जाये तथा नारी चौपाल, नुक्कड़ नाटक, कठपुतली शो इत्यादि के माध्यम से जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन भी किये जाए। जनपद में बालिकाओं को खेल प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग किये जाने हेतु प्रोत्साहन प्रदान किया जाना भी सुनिश्चित किया जाए। जिलाधिकारी ने कहा कि जनपद स्तर पर योजना के अन्तर्गत आयोजित होने वाली गतिविधियों तथा उन पर खर्च व डिस्ट्रिक्ट एक्शन प्लान तैयार कर गतिविधियों का आयोजन कराते हुए बजट धनराशि का उपभोग कराएं। इसके साथ ही बैठक में अन्य बिंदुओं पर विस्तार पूर्वक चर्चा की गई।
Home » मुख्य समाचार » महिलाओं के शिक्षित होने से वो उत्पीड़न का विरोध और अपने अधिकार की मांग करने में सक्षम होंगी – डीएम