– हर घर और परिवार से सहयोग आवश्यक
– आहूति में उपस्थित न हो सकें तो सुबह-शाम यज्ञ कुंडों की करें परिक्रमा
हाथरस। ऐसा कहा जाता है कि करीब 65 वर्ष पूर्व हुई एक घटना से नगर एवं क्षेत्र का दायरा अभिशापित हो गया था। उससे अवमुक्ति के लिए ब्रज के आराध्य बलभद्र का प्रसन्न होना आवश्यक है। इसीलिए हर वर्ष श्री बलभद्र महायज्ञ का आयोजन आवश्यक है। जो कम से कम 11 बार होना चाहिए।
यह उद्गार किला राजा दयाराम स्थित मंदिर श्री दाऊजी महाराज परिसर में आयोजित एक बैठक में नगर के ज्योतिषाचार्य पं. उपेंद्रनाथ चतुर्वेदी ने व्यक्त किए। विचार-विमर्श के दौरान वक्ताओं ने बताया कि पूर्व में एक साधु के साथ हुई घटना से अभिशापित नगर एवं क्षेत्र का विकास अवरूद्ध हो गया था। इस से मुक्ति के लिए विष्णु महायज्ञ और बलभद्र महायज्ञ होना जरूरी होता है। उन्होंने बताया कि अंग्रेजी शासन से लेकर आजादी तक नगर में दो दर्जन से अधिक ऑयमिल थे। जबकि 300 सौ से अधिक दाल मिल हुआ करते थे। नगर के उद्योगपतियों का व्यापार बंगाल, महाराष्ट्र, बिहार व मध्यप्रदेश आदि राज्यों तक फेला था, लेकिन नगर के उस फलते-फूलते व्यापार को उस वक्त नजर लग गई जब क्षेत्र अभिशापित हुआ। जहाँ विकास और उन्नति की धारा में वह नगर क्षेत्र जो श्हाथरसश् से बहुत पीछे थे, आगे निकल गये और हाथरस पिछड़ेपन का शिकार हो गया। नगर में बौहरे जवाहर लाल तंबाकूवालों के प्रयास से एक विष्णु महायज्ञ इसी परिसर में हो चुका है और एक बलभद्र महायज्ञ भी हो चुका है। अब 22 फरवरी से दूसरा बलभद्र महायज्ञ का आयोजन दाऊ बाबा की प्रेरणा से होने जा रहा है। इसलिए इस यज्ञ में हर घर और परिवार से सहयोग होना चाहिए।
इस अवसर पर सेवायत पुजारी गोवर्धननाथ चतुर्वेदी, पवन चतुर्वेदी, यज्ञाचार्य पं.उपेंद्रनाथ चतुर्वेदी के अलावा शरद अग्रवाल डिब्बे वाले, मदन गोपाल वार्ष्णेय, कैलाश चंद, केसी गारमेंट्स, दुर्गेश वार्ष्णेय, अभय जी पिंकी वाले व श्याम जी प्रिया गारमेंट्स आदि काफी भक्तजन उपस्थित थे।