⇒चंद्रोदय मंदिर में भक्तिमय वातावरण में संपन्न हुआ नित्यानंद महाप्रभु आविर्भाव महामहोत्सव
वृन्दावन। वृन्दावन चंद्रोदय मंदिर में शुक्रवार को श्रील नित्यानंद महाप्रभु का आविर्भाव महामहोत्स बड़े ही हर्षाेउल्लास के साथ मनाया गया। भक्तों को संबोधित करते हुए, चंद्रोदय मंदिर के अध्यक्ष चंचलापति दास ने कहा कि चौतन्य महाप्रभु जी ने श्रील रूप गोस्वामी को आदेश करते हुए, श्रील नित्यानंद महाप्रभु को समस्त जीवों के लिए गुरूतत्व कहा है। उन्होंने कहा कि आचार्य श्रील नरोत्तम दास ठाकुर जी नित्यानंद महाप्रभु के विषय में बतातेे हैं कि यदि आप भगवत धाम में श्री राधा-कृष्ण के संग के लिए व्याकुल हैं। तो सर्वाेत्तम युक्ति यह है कि आप श्री नित्यानंद प्रभु का आश्रय ग्रहण करें।
गौड़ीय वैष्णव सम्प्रदाय के भक्तों द्वारा माघ मास की त्रयोदशी को श्रील नित्यानंद महाप्रभु (जो श्री बलराम अवतार हैं) के आविर्भाव दिवस के रूप में मनाया जाता है। श्रील नित्यानंद महाप्रभु द्वापर में प्रभु श्रीराम के अनुज लक्ष्मण, त्रैता युग में श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम एवं कलिकाल में नित्यानंद महाप्रभु के रूप में सन् 1474 में पश्चिम बंगाल के बीरभूम जनपद के छोटे से गांव एकचक्र में मुकुंद पंडित एवं पद्मावती जी के यहां अवतरित हुए।
कार्यक्रम की श्रृंखला में भक्तों द्वारा विभिन्न प्रकार के पुष्पों का चयन कर मंदिर को मनोहर रूप में सुसज्जित किया गया। इसके पश्चात छप्पन भोग, पालकी उत्सव एवं वैदिक मंत्रों का उच्चारण कर पंचगव्य, फलों के रस, औषधियों एवं पुष्पों से श्रीश्री निताई गौर के महाभिषेक की प्रक्रिया को सम्पन्न किया गया।
कार्यक्रम में भक्तों ने महामंत्र की मधुर ध्वनि में मंत्रमुग्ध होकर नृत्य किया एवं श्रीश्री निताई गौर से प्रेम भक्ति प्राप्ति हेतु कामना की।
इस महामहोत्स में सहभागिता हेतु दिल्ली, गुरूग्राम, आगरा एवं मथुरा जनपद के लोगों ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया।