मौदहा, हमीरपुर। 06 फरवरी मौदहा के बड़ी देवी मंदिर में शतचण्डी महायज्ञ के दौरान चल रही श्रीमद्भागवत कथा में आज गोवर्धन के प्रसंग को सुनाते हुए कथा व्यास हरगोविंद बाजपेयी ने कहा कि मनुष्य को अपने कर्मों का फल भोगना पड़ता है। हमारे द्वारा की गई किसी भी क्रिया की प्रतिक्रिया जरूरत होती है। आज सातवें दिन गोवर्धन पूजा की कथा के दौरान उन्होंने श्रोताओं को बताया कि हमारे द्वारा की गई किसी भी प्रकार की क्रिया एक प्रतिक्रिया को जन्म देती है। हमारे किये गये कर्म भी लौट कर आते हैं इसी तरह इन्द्र को भी अहंकार हो गया कि वह ही सर्वश्रेष्ठ है। इसी अहंकार को तोड़ने के लिये भगवान ने उसके जड़ पर चोट कर दी इन्द्र की पूजा को बन्द करा कर एक पर्वत की पूजा करा दी जिस से इन्द्र बौखला गया और उसने बृज वासियो को दंड देने के लिये घनघोर वर्षा करने का आदेश दे दिया, मेघो ने सात दिन और सात रात तक वर्षा की पर भगवान ने बृजवासियों की रक्षा की। उन का बाल भी बांका नही हुआ, इंद्र का अहंकार मिटा और भगवान की शरण में गया व क्षमा मांगी। इस से यह सिद्ध होता है कि हमें अपने कर्माे का फल प्राप्त होता है इसलिये सदैव अच्छे कर्म ही करना चाहिये।