यूपी ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट-2023 में देश-विदेश के उद्यमियों से लगातार मिल रहे निवेश के प्रस्तावों से न केवल प्रदेश के आर्थिक ढांचे में आमूल-चूल परिवर्तन के स्पष्ट संकेत दिखाई दे रहे हैं बल्कि रोजगार की भी अपरमित संभावनाएं परिलक्षित हो रही हैं। योगी सरकार का दावा है कि प्रदेश में बेहतर कानून व्यवस्था तथा अच्छे इन्फ्रास्ट्रक्चर के बल पर वह उद्यमियों का भरोसा जीतने में सफल हुई है। जिसका परिणाम यह है कि न केवल भारतीय अपितु विदेशी उद्यमी भी प्रदेश में बड़े पैमान पर पूँजी निवेश करने के लिए आगे आये हैं। प्रदेश की वर्तमान कानून व्यवस्था से प्रदेश का आम जन सन्तुष्ट है या नहीं यह आम आदमी का विषय है। लेकिन यह अवश्य कहा जा सकता है कि देश-विदेश के उद्यमियों ने सरकार पर जबरदस्त भरोसा जताया है। यही कारण है कि यूपी ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट के तहत अब तक सरकार की अपेक्षा से कहीं अधिक निवेश के प्रस्ताव प्राप्त हुए ह। गौरतलब है कि यूपी ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट-2023 का आयोजन 10, 11 और 12 फरवरी को लखनऊ में होना है। इस दिन तक सरकार ने 17 लाख करोड़ के निवेश का लक्ष्य रखा था। लेकिन इससे पूर्व 4 फरवरी को ही 22 लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश हेतु 14 हजार से अधिक समझौता प्रस्ताव (एमओयू) प्राप्त हो चुके थे। 12 फरवरी तक यह आंकड़ा अभी और बढ़ने की पूरी उम्मीद है। पहली बार सत्ता सम्भालने के बाद योगी सरकार ने वर्ष 2018 में इंवेस्टर्स समिट का आयोजन किया था। तब सरकार को 4.68 लाख करोड़ रूपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए थे। लेकिन 2023 में लक्ष्य से कहीं अधिक प्राप्त हुए निवेश प्रस्तावों ने प्रदेश सरकार का उत्साह कई गुना बढ़ा दिया है। यह सब योगी आदित्यनाथ, उनके मन्त्रियों तथा अधिकारियों की कड़ी मेहनत से ही सम्भव हुआ ह। इसके लिए मुख्यमन्त्री, उनके मन्त्रियों तथा अधिकारियों ने देश तथा देश के बाहर रोड शो एवं निवेशक सम्मेलन का बड़े पैमाने पर आयोजन करके उद्यमियों को प्रदेश में न केवल सुरक्षित वातावरण का आश्वासन दिया बल्कि हर तरह की सहायता कम से कम कानूनी औपचारिकताओं के साथ देने का भी वादा किया। उनके इस आश्वासन पर उद्यमियों ने भरोसा जताया और आज इतनी बड़ी संख्या में निवेश हेतु प्रस्ताव प्राप्त हो रहे हैं। 500 करोड़ रूपये से अधिक का निवेश प्रस्ताव देने वाले उद्यमियों को बड़े निवेशकों की श्रेणी में रखा गया है। तीन सौ से अधिक संख्या वाले ऐसे उद्यमियों से चार लाख करोड़ रूपये से भी अधिक का निवेश प्राप्त होने की सम्भावना है। इस निवेश से बीस लाख से भी अधिक युवाओं को प्रत्यक्ष तथा परोक्ष रोजगार प्राप्त होने का अनुमान लगाया जा रहा है। वहीँ करीब 12 हजार छोटे तथा मझोले उद्यमियों से 1.20 लाख करोड़ रूपये का निवेश प्राप्त होगा। जिससे सबसे ज्यादा करीब 1.30 करोड़ लोगों को प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रोजगार मिलने की सम्भावना है। तीन हजार करोड़ या इससे अधिक का निवेश प्रस्ताव देने वाले उद्यमियों को सुपर निवेशकों की श्रेणी में रखा गया है। जिनकी संख्या 150 से भी अधिक है। 4 फरवरी को देश के बड़े उद्योगपति डॉ.संजीव गोयनका ने प्रदेश सरकार की इस पहल की प्रशंसा करते हुए 10 हजार करोड़ रूपये के निवेश का प्रस्ताव दिया था।
प्राप्त जानकारी के अनुसार 10 से 12 फरवरी तक लखनऊ में होने वाले यूपी ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट में 40 देशों के प्रतिनिधि सहित 10 हजार अतिथि भाग लेंगे। मुख्यमन्त्री तथा प्रधानमन्त्री के अलावा राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू भी इस कार्यक्रम में शामिल होने आ रहीं हैं। इस तरह 10 से 12 फरवरी तक लखनऊ में चलने वाले औद्योगिक महोत्सव में प्रदेश की आर्थिक तश्वीर बदलने के लिए एक नयी इबारत लिखी जाएगी। हालाकि सरकार ने सारा रोडमैप पहले ही तैयार कर लिया है, केवल सार्वजनिक करना भर शेष है। निवेशकों ने सर्वाधिक रूचि निर्माण, कृषि तथा आधारभूत संरचना के विकास में दिखाई है। उसमें भी 56 प्रतिशत प्रस्ताव अकेले निर्माण क्षेत्र के लिए प्राप्त हुए हैं। निवेशकों की इस क्षेत्र में रूचि जहाँ प्रदेश के आर्थिक ढांचे को स्थाई मजबूती प्रदान करेगी वहीँ बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर भी प्रदान करेगी। 15 प्रतिशत के लगभग कृषि क्षेत्र के लिए मिलने वाले निवेश प्रस्ताव कृषि को भी एक बड़े एवं लाभकारी उद्योग के रूप में प्रतिष्ठित करने की दिशा में अहम् भूमिका निभायेंगे। शिक्षा क्षेत्र के लिए भी 54 निवेशकों से 1.57 लाख करोड़ रुपये के प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। ये उद्यमी प्रदेश में निजी विश्वविद्यालय, निजी विद्यालय तथा शिक्षा से जुड़े संस्थान खोलेंगे। जिससे युवाओं को उच्च तथा प्राविधिक शिक्षा हेतु प्रदेश के बाहर भागने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। इसी प्रकार अन्य विभिन्न क्षेत्रों में भी निवेशकों ने निवेश के प्रस्ताव देकर उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने में अहम योगदान देने के स्पष्ट संकेत दिए हैं। लेकिन यहाँ यह भी आवश्यक है कि यह सब व्यावहारिक धरातल पर भी पूर्णतः सफल और सदपरिणाम देने वाला सिद्ध हो। इसकी जिम्मेदारी उद्यमियों से कहीं अधिक सरकार तथा समाज की है। योगी सरकार सुशासन का कितना भी दावा क्यों न करे परन्तु सरकारी विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार पर अब तक अंकुश नहीं लग पाया है। सूक्ष्म एवं लघु से लेकर बड़े उद्योगों तक को स्थापित करने के लिए उद्यमियों को एक निश्चित कानूनी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। जिसमें औपचारिकताओं के नाम पर प्रायः जमकर वसूली होती हैद्य उसके बाद उद्योग-व्यापार की निगरानी तथा कर सम्बन्धी विभागों के भ्रष्ट अधिकारी विभिन्न प्रकार के भय दिखाकर अपनी जेब गरम करने का दबाव उद्यमियों पर प्रायः डालते हैं। राष्ट्रीय मार्गों पर जगह-जगह व्यापारियों के माल वाहन रोककर चेकिंग के नाम पर अवैध वसूली जग जाहिर है। जिसके कारण अक्सर मार्ग दुर्घटनाएं भी हो जाती हैं। केन्द्र में भाजपा सरकार बनने के बाद चार लाख से भी अधिक कम्पनियों को बन्द किया गया। इसका जिक्र अक्सर प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी अपने भाषणों में भी करते हैं। भविष्य में ऐसी स्थिति से बचने के लिए सरकार ने क्या उपाय किये हैं, यह भी सुनिश्चित होना चाहिए। क्योंकि यह तो तय है कि व्यापार छोटा हो या बड़ा हो उसके लिए व्यावहारिक धरातल पर सभी कानूनी प्रक्रियाओं को पूरा कर पाना सम्भव नहीं है। जिसके चलते सरकार जब चाहे तब किसी भी उद्योग या व्यापार को बन्द कर सकती है। अतः सरकार को इस दिशा में गम्भीरतापूर्वक विचार करना चाहिए। वहीँ यह भी ध्यान रखने की आवश्यकता है कि नियमों में अनावश्यक ढील टैक्स चोरी तथा अन्य ऐसी वृत्तियों को बढ़ावा देने लगती है। जैसा कि मनमोहन सरकार के समय हुआ और बाद में मोदी सरकार को ऐसे सभी संस्थानों पर ताला लगाना पड़ा। जिससे अचानक उत्पन्न हुआ बेरोजगारी जैसा गंम्भीर संकट आज तक देश झेल रहा है। योगी सरकार ने उद्योग जगत को जो भरोसा दिया है उसकी निरन्तरता बनी रहना परम आवश्यक है। वहीँ उद्यमियों की भी यह जिम्मेदारी बनती है कि वह प्रदेश की आर्थिक प्रगति तथा बेरोजगारी के असीमित अवसर प्रदान करने के सरकार के उद्देश्य के प्रति पूर्ण निष्ठा एवं ईमानदारी का परिचय दें।
-डॉ. दीपकुमार शुक्ल, स्वतन्त्र टिप्पणीकार