कानपुरः जन सामना संवाददाता। यूं तो प्रदेश सरकार, कानून व्यवस्था के नाम पर अपनी पीठ थपथपाते नहीं थकती है किन्तु कुछ ऐसे मामले प्रकाश में आ ही जाते हैं जिससे सवालिया निशान लगना लाजिमी है। ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है और यह मामला है कानपुर पुलिस कमिश्नरेट अन्तर्गत का। जहां पुलिस के लचीले रवैए से परेशान एक बुजुर्ग दंपत्ति पुलिस अधिकारियों की चौखट के चक्कर लगा रहा है और अपने बेटे की तलाश में धक्के खाता फिर रहा है।
मिली जानकारी के अनुसार, बर्रा 8 में रहने वाले 65 वर्षीय जगदीश नारायण सचान रिटायर्ड बैंक कर्मी है। सचान के अनुसार उनका इकलौता बेटा सुमित सचान जो कि गुड़गाव में एमएनसी कंपनी में बतौर इंजीनियर पद पर कार्यरत था, कानपुर स्थित घर से रहकर कंपनी का कार्य कर रहा था। वह 4 माह पूर्व से संदिग्ध परिस्थितियों में गायब है। सचान के अनुसार, 1 अक्टूबर की शाम 7 बजे सुमित अपने परिजनों को अपने दोस्तों के साथ जाने की बात कह कर निकला था रात करीब 2 बजे तक घर वालों से बात होती रही उसने बताया कि वह अपने मित्र दीपेंद्र के साथ है। सुबह जब सुमित घर नही लौटा उनको चिंता हुई। करीब 8 बजे बेटे के मित्र सिद्धार्थ के पिता ने घर पर बताया कि सुमित व उसके मित्र सिद्धार्थ की भैरवघाट में डूब गए हैं।यह जानकारी उन्हें उनके बेटे के मित्र ने दी है। सूचना मिलते ही आनन फानन में परिजन थाना कोहना पहुंचे। इसके बाद कोहना पुलिस द्वारा गंगा में काफी देर मशक्कत करने के बाद दोनों दोस्तों में किसी का भी कोई सुराग नहीं मिला न ही उनके कपड़े व मोबाइल, पर्स, चेन, अंगूठी मिली जिस पर परिजनों ने 6 अक्टूबर को कोहना थाने में सुमित सचान के दोस्त आनंद सचान, माईकल व अन्य साथियों के खिलाफ लूट, अपहरण कर हत्या करने का आरोप लगाया। परिजनों द्वारा पुलिस आयुक्त के यहां कई चक्कर लगाने के बाद इस मामले की जांच क्राइम ब्रांच को सौंप दी आरोपियों का पॉलीग्राफी टेस्ट कराने का आश्वासन परिजनों को दिया। घटना के 4 माह बीत जाने के बाद भी कानपुर पुलिस घटनाक्रम का खुलासा करने में असफल रही। परिजनों ने बताया कि उनके बेटे के दोस्त आनंद ने पहले जानकारी दी कि रात को तीन लोग थे बाद में बयान पलट कर 4 लोगों के साथ होने की जानकारी दी। परिजनों ने यह भी बताया कि घाट पर से उनके बेटे के कपड़े, अंगूठी, चेन, मोबाइल, पर्स व अन्य कागजात कुछ भी नही मिला।
परिजनों का आरोप है कि आरोपी आनंद ने कई बार अपने बयान पलटे जिससे उसकी बातों पर शक होता है कि वो कहीं न कहीं कुछ छुपाने का प्रयास कर रहा है। पुलिस की लापरवाही के कारण उनके बेटे का आज तक कोई पता नहीं चल पाया है। परिजनों ने सुमित की पत्नी का सिद्धार्थ के साथ संबंधों की बात भी कही और सिद्धार्थ के परिजनों द्वारा सिद्धार्थ की गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज नही कराई जो कि प्रश्नचिन्ह लगाता है, सुमित के दोस्त आनंद का एक सीसीटीवी फुटेज भी सामने आया है जिसमें वह एक अक्टूबर की रात को बर्रा स्थित एक मेडिकल स्टोर में भी देखा गया है जिसमें वह नशे की दवा व इंजेक्शन मांगता है जिसे मेडिकल स्टोर वाले ने देने से मना कर दिया, वहीं एक दूसरी फुटेज में एक बाइक में दो अन्य लोग सुमित को बेहोशी अवस्था में ले जाते दिखे जिसमें सुमित बाइक में बीच में बैठा हुआ है पीछे वाले युवक ने उसको पकड़ रखा है, परिजनों के अनुसार इस पूरे घटनाक्रम के कई ऐसे बिंदु है जिस पर पुलिस जांच करे तो कई महत्वपूर्ण सुराग मिल सकते हैं।
‘जन सामना’ से हुई बातचीत के दौरान परिजनों ने कहा बेटे को न्याय दिलाने के लिए वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास जायेंगे।
अब ऐसे में आखिर यह बात सोचने पर मजबूर कर देती है कि पुलिस की कार्यशैली में इतना बदलाव कैसे हो सकता है जिस लॉ एंड ऑर्डर की व्यवस्था के नाम पर पूरे देश में अपनी मार्केटिंग करने वाली यूपी पुलिस ऐसे घटनाक्रमों का खुलासा करने में असफल क्यों हो जाती है ? बुजुर्ग माता पिता अपने इकलौते बेटे की तलाश में 4 माह से पुलिस अधिकारियों के यहां चक्कर लगाते फिर रहे हैं और जवाब में सिर्फ यही मिलता है जांच चल रही है…! जांच चल रही है…!!
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