Tuesday, November 26, 2024
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मुख्य सचिव ने नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के विकास कार्यों का किया स्थलीय निरीक्षण

लखनऊ/गौतमबुद्धनगर। मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के विकास कार्यों का स्थलीय निरीक्षण कर अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिये।
अपने संबोधन में मुख्य सचिव ने कहा कि नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट उत्तर प्रदेश की महत्वाकांक्षी परियोजना है। इस एयरपोर्ट की स्थापना से औद्योगिक अवस्थापना का संरचनात्मक विकास होगा, जिससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, विनिर्माण एवं निर्यात को प्रोत्साहन मिलेगा तथा हवाई यातायात सुगम होगा साथ ही पर्यटन में भी उल्लेखनीय वृद्धि होगी। इस एयरपोर्ट के निकट कई औद्योगिक सेक्टरों का विकास यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में हुआ है। आनेवाले दिनों में यह क्षेत्र सबसे बड़ा औद्योगिक और सर्विस सेक्टर की गतिविधियों का केंद्र बनेगा। उन्होंने कन्सेशनेर को निर्माण कार्य समय से पूर्व पूरा कराने के निर्देश दिये।
निरीक्षण के दौरान बताया गया कि नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट का माह जुलाई, 2017 में साइट क्लीयरेन्स व माह मई, 2018 में इसकी सैद्धांतिक अनुमति भारत सरकार द्वारा प्रदान की गई थी। महज दो वर्षों में इसके लिए 1334 हेक्टयर यानी लगभग 3300 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया, पर्यावरणीय अनुमति के साथ साथ भारत सरकार की विभिन्न मन्त्रालयों और एजेन्सियों से सभी प्रकार की एन0ओ0सी0 प्राप्त कर ग्लोबल बिडिंग के द्वारा बिडर के रूप में एवीएशन सेक्टर की कम्पनी ज्यूरिक एयरपोर्ट इण्टरनेशनल एजी का चयन किया गया। निर्धारित समय में कार्य पूर्ण करने की उत्तर प्रदेश सरकार की यह एक महत्वपूर्ण और उल्लेखनीय उपलब्धि रही है।उत्तर प्रदेश सरकार की सरकारी कम्पनी नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड ने ज्यूरिक एयरपोर्ट की कम्पनी यमुना इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड के साथ 07 अक्टूबर, 2020 को कन्सेशन एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर कर दिल्ली-एनसीआर के दूसरे इंटरनेशनल एयरपोर्ट के निर्माण की नींव डाली। कोविड काल में ही उत्तर प्रदेश सरकार ने 01 मार्च, 2021 को ज्यूरिक एयरपोर्ट के साथ स्टेट सपोर्ट एग्रीमेंट हस्ताक्षरित कर एयरपोर्ट के निर्माण हेतु सभी आवश्यक सहयोग उपलब्ध कराया है और भविष्य में उपलब्ध कराएगी।
यह एयरपोर्ट 100 मीटर एक्सेस कंट्रोल यमुना एक्सप्रेस वे के किनारे स्थित है, जिसे आधुनिक इंटर्चेंज बना कर जोड़ा जाएगा। एयरपोर्ट को यमुना एक्सप्रेस वे के समानांतर 60 मीटर सर्विस रोड का निर्माण कर जोड़ा जा चुका है। इस एयरपोर्ट की कनेक्टिविटी ईस्टर्न पेरीफेरल रोड से भी यमुना एक्सप्रेस वे पर इंटर्चेंज बनाकर की जाएगी। नोएडा एयरपोर्ट को दिल्ली-वाराणसी हाई स्पीड रेल से भी जोड़ा जा रहा है, जिसका स्टेशन नोएडा एयरपोर्ट के टर्मिनल के पास होगा और दिल्ली से नोएडा एयरपोर्ट की दूरी मात्र 21 मिनट में तय होगी।
नोएडा एयरपोर्ट को दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस-वे से बल्लभगढ़ (हरियाणा) से भी जोड़ा जा रहा है। यह 30 किमी लम्बा होगा, जिसमें से 8.5 किमी उत्तर प्रदेश में तथा 21.5 किमी हरियाणा में स्थित है। इस हेतु एन॰एच॰ए॰आई॰ द्वार निर्माण की कार्यवाही की जा रही है। इस प्रकार यह एयरपोर्ट कनेक्टिविटी के दृष्टिकोण से पूरे भारत में अद्भुत है। एयरपोर्ट परियोजना से प्रभावित 3073 परिवारों का पुनर्वासन जेवर कस्बे के पास 50 हेक्टेयर पर सेक्टर बना कर किया गया है।
निरीक्षण के दौरान यह भी बताया गया कि सम्पूर्ण 3300 एकड़ भूमि का लाइसेन्स और कब्जा बिडर एवं ज्यूरिक एयरपोर्ट इण्टरनेशनल एजी की एसपीवी कम्पनी-यमुना इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड ने ईपीसी कांट्रेक्टर के रूप में टाटा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड को चयन कर रनवे, एटीसी और टर्मिनल बिल्डिंग का निर्माण किया जा रहा है।
यह भी बताया गया कि इस एयरपोर्ट का विकास दो स्टेज में होगा। प्रथम स्टेज में यह एयरपोर्ट दो रन-वे का होगा जो दूसरे स्टेज में बढ़ कर पाँच रन-वे का हो जाएगा। दो रन-वे का यह एयरपोर्ट 70 मिलियन यानी 7 करोड़ वार्षिक यात्रियों की क्षमता का होगा और इस पर लगभग 30 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। इसका विकास चार चरणो में होगा। प्रथम चरण में वर्ष 2023-24 में 12 मिलियन यानी 1 करोड़ बीस लाख वार्षिक यात्रियों की क्षमता का यह एयरपोर्ट प्रारम्भ में एक रनवे का होगा जो वर्ष 2031 में बढ़कर 30 मिलियन यानी 3 करोड़ यात्रियों की वार्षिक क्षमता का और दो रन वे का हो जाएगा। वर्ष 2036 में यह 50 मिलियन और वर्ष 2040 में यह 70 मिलियन यानी 7 करोड़ यात्रियों की वार्षिक क्षमता का हो जाएगा।
चारों चरणों में इस परियोजना पर 29,560 करोड़ की धनराशि खर्च होगी। यह एयरपोर्ट आधुनिक, डिजिटल और नेट जीरो कॉर्बन उत्सर्जन से युक्त होगा। यह एयरपोर्ट सितंबर, 2024 में जनता को समर्पित होगा और पहली उड़ान प्रारम्भ होगी।
कन्सेशनेर ने प्रथम फेज (12 मिलियन) के विकास हेतु 5730 करोड़ रुपये खर्च करेगी, जिसके लिए 3725 करोड़ रुपये का लोन एस॰बी॰आई॰ से प्राप्त कर चुकी है तथा शेष 2005 करोड़ रुपये की धनराशि ज्यूरिक एयरपोर्ट इण्टरनेशनल एजी उपलब्ध कराएगी।
कन्सेशनेर द्वारा 40 एकड़ क्षेत्रफल में एमआरओ (मेन्टीनेन्स, रिपेयर एण्ड ओवरहालिंग) सर्विस का भी विकास किया जाएगा। नोएडा एयरपोर्ट परियोजना से कुल 1.0 लाख लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार की प्राप्ति होगी। साथ ही अनुमानतः 60,000 करोड़ रुपये का आर्थिक प्रतिफल (इकोनॉमिक आउटपुट) भी प्राप्त होगा।
एयरपोर्ट के पास अपना डेडिकेटेड कार्गाे टर्मिनल भी होगा, जिसकी क्षमता 20 लाख मीट्रिक टन होगी, जिसे बढ़ा कर 80 लाख मीट्रिक टन तक किया जाएगा। कार्गाे के लिए अलग रूट की भी व्यवस्था की जा रही है। इस कारण से यह एयरपोर्ट इस क्षेत्र में स्थापित विभिन्न उद्योगों के उत्पादों के परिवहन के लिए वरदान साबित होगा।
एयरपोर्ट के विस्तारीकरण के क्रम में दूसरे स्टेज में तीन रन वे बनाए जाएँगे। तीसरा रन-वे 1365 हेक्टेयर में, चौथा रन-वे 1318 हेक्टेयर और पाँचवा रन-वे 735 हेक्टयर में बनाया जाएगा।
तीसरे रन-वे के निर्माण के लिए आवश्यक 1365 हेक्टेयर भूमि के अधिग्रहण के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने अनुमति के साथ बजट भी उपलब्ध करा दिया है और अधिग्रहण की प्रक्रिया प्रारम्भ हो चुकी है।
5 रन-वे की कुल क्षमता 225 मिलियन की होगी। इस प्रकार नोएडा इंटनेशनल एयरपोर्ट जेवर जो विस्तारीकरण के बाद 5 रन-वे का होगा, इसमें कुल 225 मिलियन की क्षमता होगी।
निरीक्षण के समय सीईओ नायल डा0 अरुण वीर सिंह, निदेशक नागरिक उड्डयन कुमार हर्ष, नोडल ऑफिसर नोएडा एयरपोर्ट शैलेंद्र भाटिया, सीओओ कन्सेशनेर किरण जैन, सीडीओ निकोलस, हेड प्रोजेक्ट दिनेश जामवाल के साथ सीआईएसएफ, इमेग्रेशन, आईएमडी, एएआई, ब्यूरो ऑफ सिक्योरिटी आदि उपस्थित थे।