लखनऊ। मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र की अध्यक्षता में राज्य गंगा समिति-उत्तर प्रदेश की 10वीं बैठक आयोजित हुई।
अपने संबोधन में मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश के विभिन्न जनपदों में नदियों के पुनरुद्धार कार्य अभूतपूर्व है, इस कार्य में आम जनमानस का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। पीलीभीत जनपद में गोमती नदी के पुनरुद्धार के लिए सराहनीय कार्य किया गया है।
उन्होंने कहा कि सभी नदियाँ आम जनमानस के लिए पूजनीय है। जनपद स्तर पर छोटी नदियों के जीर्णाेद्धार और पुनर्जीवन कार्य की योजनाओं का नियमित परीक्षण किया जाये। इस कार्य के लिए मंडलायुक्त की अध्यक्षता में गठित की गई कमेटी की नियमित बैठकें आयोजित की जायें।
उन्होंने कहा कि ठोस कचरे को नदियों के किनारे फेंकने से नदियां प्रदूषित होती है, इसलिये ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की व्यवस्था की जाये। शहरी निकायों के पास वेस्ट टू कम्पोस्टिंग की व्यवस्था की जा सकती है। सभी एसटीपी पर डिसइंफेक्शन की सुविधा को सुचारु रूप से स्थापित करते हुए इस प्रणाली को नियमित सुचारु रूप से संचालित किया जाए। भारत सरकार के अर्थ गंगा कार्यक्रम के तहत गंगा के किनारे आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाये।
बैठक में बताया गया कि 139.55 करोड़ रुपये की लागत से 75 नदियों (कुल लम्बाई 3149 कि0मी0) का जीर्णोंद्धार कार्य कराया गया है। इन नदियों में गोमती (पीलीभीत), वरुणा, हिण्डन, काली (पूर्व), रामगंगा शामिल है। नदियों के किनारे 69.58 लाख पौधों का रोपण कराया गया तथा 1281 नालों का जीर्णोंद्धार कराया गया।
जैव विवधिता संरक्षण एवं जलज परियोजना के लिये प्रथम चरण में 6 साइट्स खेड़की हेमराज बिजनौररू आजीविका (गांव भ्रमण/नदी भ्रमण), बिजनौर बैराजरू इकोटूरिज्म (नदी और जैव विविधता दर्शन), कटिया मुजफ्फरनगर (आजीविका केन्द्र सह उत्पादन इकाई-वेटलैंड वाक एंड बर्ड), गांधी घाट नरोरा-इको टूरिज्म (रिवर वॉक एंड बर्ड वाचिंग), जलालपुर-कौशांबी (इको टूरिज्म-रिवर वॉक और बर्ड वाचिंग), ढाका-वाराणसी (जागरूकता, आजीविका-हस्तशिल्प मेला, रिवर वॉक, डॉल्फिन वॉच प्वाइंट) भारतीय वन्यजीव संस्थान को स्वीकृत किये गये हैं।
प्रदेश में 113 सीवेज उपचार संयत्र (एसटीपी) क्रियाशील हैं तथा 1004.15 एमएलडी क्षमता के 52 एसटीपी का कार्य प्रगति पर है तथा 15 एसटीपी टेण्डर प्रक्रिया में है। नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत 56 सीवर शोधन परियोजना स्वीकृत हैं, जिसमें से 28 पूर्ण हो चुकी हैं, शेष 17 पर कार्य प्रगति पर है, 11 परियोजना टेंडर प्रक्रिया में हैं। इन परियोजनाओं के पूरा होने पर 1852.़10 एलएलडी जल अतिरिक्त शोधित हो सकेगा। इसके अतिरिक्त नमामि गंगे कार्यक्रम के अन्तर्गत 685.3 एमएलडी क्षमता के 24 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की डीपीआर विचाराधीन है।
पूरे गंगा बेसिन पर अनुसंधान को बढ़ाने के लिए एक अधिक व्यापक परियोजना वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (डब्ल्यूआईआई) को सौंपी गई है। डब्ल्यूआईआई गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों की वर्तमान जलीय प्रजातियों की जनसंख्या स्थिति और वितरण सीमा को समझने और विभिन्न रेंज राज्यों में, बचाव और पुनर्वास केन्द्र स्थापित करने के लिए नियमित निगरानी कर रहा है। गंगा व उसकी मुख्य सहायक नदियों में उपस्थित राष्ट्रीय जल जीव डॉलफिन के संरक्षण के प्रयास किये जा रहे हैं।
गंगा के किनारे जैविक खेती तथा प्राकृतिक खेती के लिए गंगा के तटों पर स्थित 27 जनपदों के साथ बुंदेलखण्ड के समस्त सातों जनपदों को शामिल किया गया है। जैविक/प्राकृतिक खेती पर अभिनव कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। वर्ष 2015-16 जैविक कृषकों की संख्या 28,750 तथा क्षेत्रफल 11500 हेक्टेयर था, वर्ष 2022-23 में कृषकों की संख्या बढ़कर 289687 तथा क्षेत्रफल 152080 हेक्टेयर हो गया है।
गंगा और उसकी सहायक नदियों के प्रदूषित नदी खंडों में जल गुणवत्ता निगरानी 69 स्थानों पर की गई है, जिसमें बीओडी में 49.59 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।
बैठक में प्रमुख सचिव नमामि गंगे अनुराग श्रीवास्तव, प्रमुख सचिव पर्यटन मुकेश मेश्राम, एमडी जल निगम (ग्रामीण) बलकार सिंह सहित संबंधित विभागों के अन्य अधिकारीगण आदि उपस्थित थे।
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