घाटमपुर/कानपुर, शिराजी। थाना सजेती क्षेत्र के ग्राम मकरंदपुर में बीती शाम मानसिक रूप से परेशान चल रही महिला ने घर के अंदर फांसी लगाकर जान दे दी। पुलिस ने शव को परीक्षण के लिए कानपुर भेजा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार ग्राम कुटरा मकरंदपुर निवासी राजू निषाद का करीब 15 वर्ष पूर्व प्रेमलता से विवाह हुआ था। ग्रामीणों ने बताया कि 15 वर्ष बीत जाने के बाद भी कोई संतान ना होने से प्रेमलता अक्सर परेशान रहती थी। मृतका पूर्व में भी कई बार आत्महत्या का प्रयास कर चुकी थी। बीती शाम जब घर के लोग बाहर गए हुए थे, सुना घर देखकर प्रेमलता ने अंदर से कुंडी बंद कर अंगौछा से फांसी लगा ली। घर पहुंचे पति राजू निषाद ने पत्नी को फांसी पर लटकता देखकर पुलिस को सूचना दी मौके पर पहुंची सजेती पुलिस ने शव को परीक्षण के लिए कानपुर भेजा है। सूचना पर शनिवार तड़के सुबह लोडर में भरकर पहुंचे मृतिका के मायके वालों ने राजू निषाद के घर पर दहेज हत्या का आरोप लगाकर तोड़फोड़ की तथा राजू निषाद को पकड़कर थाना सजेती मारते हुए ले गए। सजेती पुलिस का कहना है कि शादी करीब 14 -15 वर्ष पूर्व हुई थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद कार्यवाही की जाएगी।
Read More »शहादत दिवस पर याद किये गये शहीदे आजम भगत सिंह
वक्ताओं ने सभा कर अर्पित की श्रद्धांजलि
चकिया/चन्दौली, जन सामना ब्यूरो। गांधी नगर स्थित भगत सिंह पार्क में 23 मार्च को अखिल भारतीय किसान सभा ,नौजवान सभा तथा भगत सिंह विचार मंच के लोगो ने शहादत दिवस के मौके पर एकत्रित होकर शहीदे आजम भगत सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की तथा एक सभा का आयोजन कर अपने-अपने विचारो को रखे। इस मौके पर वक्ताओ ने कहा कि हमारा देश ब्रिटिश सरकार के अधीन गुलाम था, देश की जनता क्रुर हुकूमत के साये में पीस रही थी, 19वीं सदी के प्रारम्भ में भारत के नौजवान ब्रिटिश सरकार के खिलाफ संघर्ष प्रारम्भ कर दिये थे,संघर्ष इतना तीखा था कि ब्रिटिश सरकार हिलने लगी, हिन्दुस्तान के नौजवान भगत सिंह के नेतृत्व में हसते हसते फांसी के फंदे को चुमने लगे, अंग्रेज समझ गये कि अब हिन्दुस्तान में राज करना सम्भव नही है और 1947 में वे देश छोड़ कर चले गये।वक्ताओं ने कहा कि उसके बाद देश में डा०भीम राव अम्बेडकर के नेतृत्व में संविधान बना।
पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय ने जल प्रबंधन कार्यशाला के साथ विश्व जल दिवस को मनाया
नई दिल्ली, जन सामना ब्यूरो। पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय ने 22 मार्च, 2019 को विश्व जल दिवस के अवसर पर भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास के सहयोग और यूनिसेफ इंडिया के समर्थन के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में धूसर जल प्रबंधन (ग्रे वॉटर) और आर्सेनिक और फ्लोराइड युक्त जल शोधन पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला (21 और 22 मार्च) का आयोजन किया।
कार्यशाला के पूर्ण सत्र को पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय के सचिव श्री परमेस्वरन अय्यर, और आईआईटी मद्रास के निदेशक, प्रोफेसर भास्कर राममूर्ति ने संबोधित किया।
कार्यशाला के अवसर पर, अपने संबोधन में सचिव श्री अय्यर ने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत अच्छी स्वच्छता कवरेज प्राप्त करने के बाद, देश ओडीएफ (खुले में शौच मुक्त) से ओडीएफ+स्थिति में पहुंच चुका है और ओडीएफ स्थिति को बनाए रखने के लिए अथक प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि धूसर जल निष्कासन और शोधन के लिए महत्वपूर्ण अनुसंधानों और प्रौद्योगिकी आदानों के अलावा इसके प्रबंधन के लिए स्थानीय स्तर पर कम लागत समाधान की आवश्यकता होती है। इस कार्यशाला में ग्रामीण क्षेत्रों में प्रभावी भूजल प्रबंधन नीति, अनुसंधान, प्रौद्योगिकी और कौशल विकास एकीकरण की आवश्यकताओं पर विचार-विमर्श भी किया गया।
वाइस एडमिरल करमबीर सिंह अगले नौसेना प्रमुख का पदभार संभालेंगे
नई दिल्ली, जन सामना ब्यूरो। सरकार ने वाइस एडमिरल करमबीर सिंह को अगले नौसेना प्रमुख के रूप में नियुक्त किया है। वाइस एडमिरल करमबीर सिंह वर्तमान में पूर्वी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडर-इन-चीफ (एफओसी-इन-सी) के तौर पर कार्यरत हैं। नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा के सेवानिवृत्त होने के साथ ही वाइस एडमिरल करमबीर सिंह की नियुक्ति 31 मई, 2019 की दोपहर से प्रभावी होगी।
03 नवंबर, 1959 को जन्मे, वाइस एडमिरल करमबीर सिंह को 01 जुलाई, 1980 को भारतीय नौसेना की कार्यकारी शाखा में नियुक्त किया गया था।
अपनी लगभग 39 वर्षों की लंबी और प्रतिष्ठित सेवा के दौरान, उन्होंने विभिन्न कमानों, स्टाफ और इंस्ट्रक्शनल नियुक्तियों में कार्य किया है। वाइस एडमिरल करमबीर सिंह की समुद्री कमानों में गाइडेड मिसाइल डेस्ट्रॉयर आईएनएस राणा और आईएनएस दिल्ली शामिल हैं। उन्होंने पश्चिमी बेड़े के फ्लीट ऑपरेशन्स ऑफिसर के रूप में भी कार्य किया और वह महाराष्ट्र और गुजरात क्षेत्र के कमांडिंग फ्लैग ऑफिसर भी रहे हैं। अक्टूबर, 2017 में पूर्वी नौसेना कमान के एफओसी-इन-सी के रूप में कार्यभार संभालने से पहले, वह प्रोजेक्ट सीबर्ड के महानिदेशक, नौसेना स्टाफ के उप प्रमुख और नौसेना स्टाफ के वाइस प्रमुख रहे हैं।
वाइस एडमिरल करमबीर सिंह, वेलिंगटन के डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज से स्नातक हैं। वाइस एडमिरल करमबीर सिंह को परम विशिष्ट सेवा पदक (पीवीएसएम) और अति विशिष्ट सेवा पदक (एवीएसएम) से अलंकृत किया गया है।
रियर एडमिरल संजय जसजीत सिंह ने वेस्टर्न फ्लीट कमांडर का पदभार संभाला
मुंबई, जन सामना ब्यूरो। मुंबई के नौसेना डॉकयार्ड में 22 मार्च, 2019 को आयोजित एक भव्य परेड में, रियर एडमिरल संजय जसजीत सिंह, एनएम ने रियर एडमिरल एमए हम्पीहोली, एवीएसएम, एनएम से भारतीय नौसेना की ‘स्वॉर्ड आर्म’ वेस्टर्न फ्लीट कमांडर का पदभार संभाल लिया है।
रियर एडमिरल संजय जसजीत सिंह को 1986 में भारतीय नौसेना में नियुक्त किया गया था और वह राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खडकवासला के पूर्व छात्र हैं। नौवहन और निर्देशन के विशेषज्ञ, रियर एडमिरल संजय जसजीत सिंह की अपने करियर के दौरान कई कमान, प्रशिक्षण और कर्मचारियों की नियुक्तियों में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उनकी समुद्री कमान नियुक्तियों में एएसडब्ल्यू और यूएवी-नियंत्रण फ्रिगेट तारगिरी शामिल हैं, जहां उन्हें नौसेना पदक और बहु-भूमिका फ्रिगेट त्रिशूल से सम्मानित किया गया था। उनकी अन्य महत्वपूर्ण नियुक्तियों में ऑफिसर-इन-चार्ज लोकल वर्कअप टीम (वेस्ट), ईरान में भारतीय नौसेना अटैची, संयुक्त कार्मिक निदेशक, भारतीय नौसेना मुख्यालय (एन) में नौसेना संचालन के प्रधान निदेशक और रणनीति, अवधारणाओं और परिवर्तन के प्रमुख निदेशक के रूप में कार्यभार शामिल है। फ्लैग रैंक में पदोन्नति होने पर, उन्होंने सहायक स्टाफ चीफ ऑफ नेवल स्टाफ (कम्युनिकेशन स्पेस एंड नेटवर्क सेंट्रिक ऑपरेशन) और फ्लैग ऑफिसर सी ट्रेनिंग के रूप में भी कार्य किया।
राष्ट्रपति का विश्व क्षय रोग दिवस की पूर्व संध्या पर संदेश
नई दिल्ली, जन सामना ब्यूरो। राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने प्रत्येक वर्ष 24 मार्च को मनाये जाने वाले विश्व क्षय रोग दिवस की पूर्व संध्या पर अपने संदेश में कहा कि मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि 1882 में क्षय रोग (टीबी) के जीवाणु की खोज करने वाले डॉ. रॉबर्ट कोच की स्मृति में प्रत्येक वर्ष 24 मार्च को ‘विश्व क्षय रोग दिवस’ मनाया जाता है।
इस वर्ष विश्व क्षय रोग दिवस का घोष वाक्य है ‘इट्स टाइम’ (यही समय है)। इस भावना के अनुरुप, भारत ने वैश्विक लक्ष्य से पांच वर्ष पूर्व ही अर्थात् वर्ष 2025 तक क्षय रोग के उन्मूलन की अपनी प्रतिबद्धता और इरादों को दोहराया है। यह समय-सीमा काफी मुश्किल है फिर भी, इस रोग को समाप्त करने की हमारी इच्छाशक्ति को देखते हुए, इसे प्राप्त किया जा सकता है।
मैं, सभी प्रतिभागियों से आग्रह करता हूं कि क्षय रोग मुक्त भारत बनाने के लिए वे सब मिलकर कार्य करें। आइए, इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कार्य में जुट जाएं।
होली की मस्ती में डूबा खीरों कस्बा, चारो ओर बिखरे नजर आए रंग और गुलाल
खीरों/रायबरेली, जन सामना ब्यूरो। खीरों कस्बे में चारों ओर होली की खुमारी छाई हुई है। रंग-गुलाल के साथ मोहल्ले ओर बाजारों में होल्यारों की टोलियां नजर आई। वही लोग एक दूसरे को रंग लगाकर होली की शुभकामनाएं देते रहे। श्रद्धालुओं ने होलिका माता के चारों ओर परिक्रमा कर विधि विधान से पूजा-अर्चना की और खुशहाली की कामना की। एक दूसरे को अबीर गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएं दी गई। गुरुवार को खीरों कस्बे क्षेत्र में होली का त्योहार हर्षोल्लास से मनाया। आपसी भाईचारे और सामाजिक सौहार्द के प्रतीक होली में लोगों ने एक दूसरे को अबीर-गुलाल के रंगों से रंगने के बाद बधाई दी।
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छायावाद का पुनर्पाठ जरूरी है
मुंबई, जन सामना ब्यूरो। जापान से पधारीं डॉ. तोमोको किकुचि ने कहा कि महादेवी वर्मा और जापानी कवयित्री निकोयो न केवल समकालीन थीं अपितु दोनों ही नारी जीवन का समान चित्र खींचती हैं। इस मौके पर प्रस्तावना प्रस्तुत करते हुए हिंदी विभाग के प्रोफेसर एवं अध्यक्ष डॉ. करुणाशंकर उपाध्याय ने कहा कि छायावादी कवियों के समक्ष हिंदी कविता को विश्वस्तर पर प्रतिष्ठित करने की चुनौती थी जिसे उन्होने बखूबी पूरा किया।यहां विज्ञान, धर्म, दर्शन और ज्ञान- विज्ञान के तमाम अनुशासन काव्य- संपत्ति बन जाते हैं। ये बड़ी चिंता के कवि है जो विश्वस्तरीयप्रश्न उठाते हैं। इस बहुस्तरीय, जटिल और बहुआयामी काव्य का सही मूल्यांकन होना अभी बाकी है। इस मौके पर अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए डॉ. सूर्यप्रसाद दीक्षित ने कहा कि छायावादी कवियों के प्रति आलोचकों का रवैया बहुत अच्छा नहीं रहा। आचार्य शुक्ल से लेकर अब तक के आलोचक भी उसके साथ न्याय नहींकर पाये हैं। मुंबई विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग ने अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के आयोजन द्वारा एक ऐतिहासिक पहल की है।
Read More »लोकसभा चुनाव… भाजपा की सत्ता में वापसी ?
आखिर 2019 आ ही गया… मतलब सत्ता के 5 साल की अवधि पूरी होने को आई। 2014 में पूर्ण बहुमत के साथ वर्तमान सरकार बहुत सारे वादों के साथ सत्ता में आई थी। काले धन की वापसी,नोटबंदी, भ्रष्टाचार का खात्मा, बेरोजगारी, जीएसटी, किसान, शिक्षा और स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों से भाजपा सरकार ने जनता को लुभाया। वर्तमान सरकार ने 700 से अधिक योजनाएं शुरू की लेकिन सिर्फ आंकड़ों में ही योजनाएं सफल दिख रही हैं, जमीनी स्तर पर नहीं।
काला धन वापस आया? नोट बंदी से भ्रष्टाचार में कमी आई? दो करोड़ रोजगार देने का वादा पूरा हुआ? किसानों की आत्महत्या रुकी? बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान कितना सफल रहा?महिला सुरक्षा कितनी कारगर? नमामि गंगे परियोजना कितनी सफल? आदर्श ग्राम योजना कितनी सफल? जवान कितने सुरक्षित? अभी हालिया घटना पर ही ध्यान दें। नक्सली हमलों में कितनी कमी? राम मंदिर मुद्दा इन 5 सालों में कितना सुलझा? यह सिर्फ भाजपा सरकार की बात नहीं है पिछली सरकार में भी यही समस्यायें मुंह बाए खड़ी थी। लोगों की बात सही है जो काम 70सालों में नहीं हुआ वह 5 साल में कैसे पूरा होगा लेकिन फिर एक सवाल कि कहीं तो आंशिक सफलता दिखाई देती इन मुद्दों में? सवर्ण नाराज, दलित नाराज और अल्पसंख्यक नाखुश, धर्म के नाम पर सियासत, सांप्रदायिकता को बढ़ावा, आम आदमी डर कर जी रहा।