Thursday, May 16, 2024
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Jan Saamna Office

विश्व महासागर दिवस- जीने के लिए महासागरों को बचाना होगा

जीवन में महासागरों के महत्व को समझते हुए पर हम पृथ्वी वासियों का ध्यान महासागरों के अस्तित्व को अक्षुण्ण रखने की ओर अवश्य ही जाना चाहिए। वर्तमान में मानवीय गतिविधियों का असर समुद्रों पर भी दिखने लगा है। समुद्र में ऑक्सीजन का स्तर लगातार घटता जा रहा है और तटीय क्षेत्रों में समुद्री जल में भारी मात्रा में प्रदूषणकारी तत्वों के मिलने से जीवन संकट में हैं। तेलवाहक जहाजों से तेल के रिसाव के कारण समुद्री जल के मटमैला होने पर उसमें सूर्य का प्रकाश गहराई तक नहीं पहुँच पाता, जिससे वहाँ जीवन को पनपने में परेशानी होती है और उन स्थानों पर जैव-विविधता भी प्रभावित हो रही है। महासागरों के तटीय क्षेत्रों में भी दिनों-दिन प्रदूषण का बढ़ता स्तर चिंताजनक है।

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डॉ हेमंत मोहन ने आयुष विभाग के विशेष सचिव से मुलाकात की

कोविड मरीजों पर होम्योपैथिक दवाओं के सकारात्मक असर का ब्यौरा सौंपा
कानपुर, स्वप्निल तिवारी। आरोग्य धाम के वरिष्ठ होम्योपैथिक डॉक्टर हेमंत मोहन ने लखनऊ में आयुष विभाग के विशेष सचिव राजकमल से मुलाकात कर कोविड-19 के मरीजों पर होम्योपैथिक दवाओं के असर का पूर्ण विवरण दिया और उनसे कहा कि आरोग्य धाम की पूरी टीम पिछले 3 महीने से 6000 से अधिक व्यक्तियों को दवाई देकर उनकी इम्यूनिटी बढ़ा चुकी है। इसके साथ यह भी बताया कि 600 से अधिक पुलिसकर्मियों को प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की होम्योपैथिक की निशुल्क दवाइयां दी गई। उसके पश्चात उनकी सबकी रिपोर्ट नेगेटिव आई है। 33 से ज्यादा कोविड के मरीजों को इम्यूनिटी बढ़ाने के साथ आरोग्यधाम की होम्योपैथी दवाओं से पूर्णतया स्वास्थ्यलाभ किया है और साथ-साथ यह भी कहा कि होम्योपैथिक चिकित्सकों की कोरोना के उपचार में सेवाएं ली जाएं जिससे कि इस वैश्विक महामारी से हमारे देश को बचाया जा सके। विशेष सचिव आयुष ने आरोग्य धाम द्वारा किये जा रहे सामाजिक कार्यो के लिए डॉ हेमंत व उनकी टीम की सराहना की एवं कोविड-19 के विरुद्ध लड़ाई में सहयोग के लिए डॉ हेमंत को भविष्य के लिए शुभकामनाये प्रदान की।

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एकता कपूर महिलाओं के नाम पर क्लंक -कुलदीप शर्मा

कानपुर नगर, जन सामना संवाददाता। एकता कपूर ने जो सीरियल में सेना की वर्दी का अपमान किया है हमारी भारत की मातृशक्ति और सैनिकों की पत्नियों का जो अपमान किया है। इसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा समान अधिकार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुलदीप शर्मा ने कड़ा एतराज करते हुए कहा है कि जो महिलाएं अपने सुहाग को अपने पतियों को देश की रक्षा और सुरक्षा के लिए सीमा पर भेजती हैं और गांव में और घरों में रहकर अपने सास और ससुर की सेवा करती हैं। अपने बच्चों को पालती हैं उनको किस रूप में दिखाना कि वह गांव में दूसरे मर्दों के साथ संबंध बनाती हैं और फिर सेना की वर्दी पहना कर उसे फाड़ना यह देश की सेना का अपमान है वर्दी का अपमान है देश का अपमान है।

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मैंने तुम पर भरोसा किया, तुमने किया विश्वासघात

आदमी अपने जीवन काल में क‍िसी न क‍िसी जानवर को पानी प‍िलाता ही है या क‍िसी न क‍िसी रूप में उसे खाना देता ही है। ऐसे में मनुष्‍य और इन जानवरों के बीच कम से कम एक भरोसे का रिश्‍ता तो रहा ही है। बेशक कोई व्‍यक्‍त‍ि हाथी को अपने घर में नहीं पालता, लेक‍िन जब आदमी हाथी को छूता है तो दोनों के बीच एक भरोसा तो होता ही है क‍ि दोनों में से कोई भी क‍िसी को नुकसान नहीं पहुंचाएगा।
देश में गजानन के स्‍वरुप की प्रतीक एक गर्भवती हथि‍नी को भोजन के रूप में पटाखे खिलाकर उसके पेट में पल रहे भ्रुण के साथ उसके जीवन को बेहद ही बेरहमी के साथ ध्‍वस्‍त करने की हदृयव‍िदारक घटना उसी देश में होती है, जहां पुण्‍य-प्रताप के ल‍िए पक्षि‍यों को दाना-पानी और चींटी को आटा खि‍लाया जाता है। गाय और कुत्‍तों को रसोई घर में बनी पहली रोटी खि‍लाई जाती है।

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उपजिलाधिकारी ने शिवली के बाजार का किया निरीक्षण

शिवली/कानपुर देहात, जन सामना संवाददाता। उपजिलाधिकारी मैथा ने किया कस्बा शिवली के बाजार का निरीक्षण दी सख्त हिदायत किसी भी तरह की लापरवाही बरतने पर होगी कार्यवाही। उपजिलाधिकारी राम शिरोमणि ने कस्बा शिवली में सब्जी, फल बेच रहे दुकानदारों को हिदायत दी है कि सभी मास्क व दस्ताने पहनकर दुकानों में बैठे समय-समय पर सेनेटाइजर का प्रयोग करें। किसी भी दुकानदार को नियमों का उलघ्नन करते पाया गया तो सख्त कार्यवाही की जाएगी। इस मौके पर उपजिलाधिकारी राम शिरोमणि, अधिशाषी अधिकारी एमएल गौतम व समाज सेवी रिशु प्रजापति, अनुभव, राधा रमण, अमन अवनीश मौजूद रहे।

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कानपुर मंडल में वृक्षारोपण का लक्ष्य 203.95 लाख पौधों के रोपण का -मंडलायुक्त

कानपुर नगर, जन सामना ब्यूरो। मंडल के सभी जनपद सघन वृक्षारोपण के कार्य की तैयारी में युद्धस्तर पर लग जाय। चालू वर्ष में कानपुर मंडल का वृक्षारोपण का लक्ष्य 203.95 लाख पौधों के रोपण का है-यह निर्देश मंडलायुक्त द्वारा आज वृक्षारोपण की मंडलीय समीक्षा बैठक में दिए गए। वृक्षारोपण की जियोटैगिंग की जाएगी। समस्त डेटा फीड होगा।
डॉ बोबडे ने संयुक्त विकास आयुक्त अभिराम त्रिवेदी व वन संरक्षक अरविंद गुप्ता को निर्देशित करते हुए कहा कि समस्त CDO के माध्यम से विभागवार/ग्राम पंचायत वॉर एक सप्ताह में पौधों की मांग प्राप्त कर ली जाय। पौधों की मांग में स्थानीय आवश्यकतानुसार पौध- प्रजातियों का उल्लेख अवश्य किया जाय। तत्काल वृक्षारोपण की तैयारी शरू कर दी जाय। गड्ढे खोदने का कार्य युद्ध स्तर पर किया जाय ताकि 01 जुलाई से 07 जुलाई तक सघन वृक्षारोपण हो सके। गड्ढे की खुदाई में लोगों को रोजगार भी मिलेगा।

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कॉंग्रेस जनो ने अजय लल्लू महारसोई की शुरुआत कर सेवा सत्याग्रह का बिगुल फूंका

कानपुर, स्वप्निल तिवारी। महानगर कॉंग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हर प्रकाश अग्निहोत्री के नेतृत्व में कॉंग्रेस जनो ने तिलक हाल में अजय लल्लू महारसोई की शुरुआत कर प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू की रिहाई के लिए सेवा सत्याग्रह का बिगुल फूंका प्रदेश कॉंग्रेस कमेटी ने हर जिले मे अजय लल्लू की महारसोई संचालित कर 25 लाख जरुरतमंदों को खाना खिलाने का लक्ष्य रखा है। इसी परिप्रेक्ष्य में शहर में जरुरतमंदों की विशाल संख्या को देखते हुए महारसोई की शुरुआत की गई है। अग्निहोत्री ने बताया कि प्रदेश कॉंग्रेस के कॉंग्रेस अध्यक्ष की रिहाई की मांग को लेकर प्रदेश की भाजपा सरकार के विरूद्ध हमारा नारा है सेवा की होगी विजय, हम सबमें लल्लू अजय और हमारी थीम है सेवा सत्याग्रह इन्हीं नारों के साथ जरुरतमंदों के बीच भोजन वितरित किया जायेगा। कहा कि कांग्रेस का सिपाही, मजदूर का भाई इस महाअभियान का बिंदु है और प्रदेश अध्यक्ष की रिहाई के लिए कानपुर सहित पूरे प्रदेश में 10 लाख पोस्टर लगाये जायेंगे।

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फीस जमा करने में असमर्थ है अभिभावक की चर्चा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में हुई

कानपुर, स्वप्निल तिवारी। उद्योग व्यापार मंडल की चेयरमैन ज्योति शुक्ला ने बताया कि उद्योग महिला व्यापार मंडल द्वारा प्रदेश अध्यक्ष आरती दीक्षित के तत्वधान द्वारा वीडियो कॉन्फेंसिंग का आयोजन किया गया। जिसमें काफी महिलाओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया यह मीटिंग 3 महीने के पीरियड की लॉकडाउन के विषय में थी जिसमें बहुत से अभिभावक आर्थिक स्थिति के कारण परेशान हैं अपने बच्चों की फीस जमा करने में असमर्थ है इसी विषय को लेकर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग हुई है। उम्मीद है कि बहुत ही जल्द सभी अभिभावकों को इससे राहत मिलेगी उद्योग महिला व्यापार मंडल लगातार इस पर कार्य कर रही है और तब तक करती रहेगी जब तक सभी अभिभावकों के बच्चों की फीस 3 महीने की माफ नहीं हो जाती आप सभी लोग इस अभियान में जुड़े ताकि ज्यादा से ज्यादा अभिभावकों को इससे राहत मिल सके।

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आत्मनिर्भरता से पहले जागरूकता की जरूरत

आज देश में आत्मनिर्भरता की मुहिम जो चल रही है वह अपने आप में एक उत्कृष्ट पहल है जिसे बहुत पहले ही चलाया जाना चाहिए था। जब स्थितियां सामान्य थीं लोगों का अर्थतंत्र गतिशील था लोग आत्मनिर्भरता को हासिल करने में सक्षम थे तब यह मुहिम शायद काफी ज्यादा प्रभावी होती मगर आज देश ही नहीं बल्कि पूरा विश्व इस कोरोना महामारी की चपेट में है और सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था चरमाराई हुई है लोगों के रोजगार छिन गए हैं लोग भूखे-प्यासे दर-दर भटक रहे हैं निम्न व मध्यमवर्गीय लोगों में तो इतनी भी क्षमता नहीं कि वो खुद को ही संभाल सकें ऐसे में आत्मनिर्भरता की बात तो बेमानी होगी।
इस आत्मनिर्भरता की रोटी को थाली में परोसने से पहले उसे इस रोटी को खाने के तरीके से अवगत कराया जाना चाहिए था क्योंकि बिना जागरूकता के कोई भी अभियान का सफल होना नामुमकिन है। जागरूकता किसी भी अभियान के लिए वह संजीवनी बूटी है जो शून्यावस्था के अभियान को एकजुट होकर शिखर पर पहुंचा देती है।

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विकास का आधार स्तंभ प्रवासी श्रमिकों का पलायन

कोरोना का कहर पूरे विश्व में छाया है कोरोना को फैलाव को रोकने के लिए सरकार सम्पूर्ण भारत मे लॉकडाउन कर रखा है जिससें पूरा देश
थम गया है सभी गतिविधियां बंद है हवाई, रेलवें, सड़क यातायात बंद है सभी शहरों व गांवों की सड़कें और गलियां सुनी पड़ी हैं। जो जहाँ है वो वही ठहर गया सभी देशवासी अपने घरों में कैद जीवन को जी रहे है सरकार ने मुलभूत आवश्यकओं के लिए राशन, दवाई आदि की दुकानों को सोसल डिसटेंस के साथ खोलने और होम डिलीवरी की सुविधा दी है।
लेकिन एक वर्ग ऐसा भी है जो शहरों में दिहाड़ी कर शाम को अपने तथा अपने परिवार की रोटी का जुगाड़ करता था वह कहां? जाए। इन प्रवासी मजदूरों की जेब में न तो पैसे हैं और न ही खाने के लिए घर में राशन घर में बैठकर कोरोना वायरस से जंग जीतने के लिए कोई विकल्प नहीं है। लॉकडाउन के कारण सारा कामकाज ठप है। व्यवस्था अस्त-व्यस्त है। दिहाड़ीदार मजदूर जो छोटे-मोटे उद्योगों, दुकानों व ढाबों पर कार्य करते थे उनके पास भी कुछ करने को नहीं है। उनके पास काम नहीं तो पैसा नही खाने के लाले उपर कमरे के किराए के लिए प्रेशर भूखे और बदहाली में कोरोना, संक्रमण और जमा पूंजी के खत्म होने के साथ मौत के काउंडाउन के बीच अपने भूख प्यास से बिलखते परिवार की जान की सुरक्षा और भविष्य की चिंता और हालात से मजबूर जाएं तो जाएं कहां! चूंकि लॉकडाउन की अवधि धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है इससे प्रवासी मजदूरों मे अनिश्चितता के डर और घबराहट की स्थिति में शहरों से पलायन कर अपने घर-गांव वापस जाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है।

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