Tuesday, April 22, 2025
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लेख/विचार

भारत की बेटी ने विश्व में रोशन किया देश का नाम

(डॉ एस अनुकृति बनी विश्वबैंक में अर्थशास्त्री) -प्रियंका सौरभ
वो कहते हैं न हौसले बुलंद हो और कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी कामयाबी की छलांग लगाई जा सकती है। कुछ ऐसी ही कहानी है हरियाणा की अनुकृति की, अनुकृति ने ये साबित कर दिखाया है कि बेटियों की जिंदगी सिर्फ चूल्हा-चौके तक सीमित रखना अब पुरानी बात हो गई है। आज बेटियां हर क्षेत्र में अपने परिवार और देश का नाम रोशन कर रही हैं। गरीबों की पढ़ी-लिखी और आगे बढ़ीं चाहें वो देश की बेटी हिमा दास हो या फिर कुश्ती के मैदान में अपना परचम लहराने वालीं फोगाट सिस्टर्स। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि मुहिम है। हरियाणा की बेटियां ने विश्व में नाम रोशन कर भारत को गौरवान्वित किया है। सभी यदि बेटियों की नींव को मजबूत करने में सहयोग करेंगे तो वह दिन दूर नहीं जब भारत दोबारा से विश्व गुरु बन जाएगा।

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चाईनीज मकड़जाल में लगाम अर्थात आनलाइन मुजरा बंद

यूँ तो सत्तासीन पार्टी जब से सत्ता पर काबिज हुई है कुछ ना कुछ तूफानी ही करती आई है। लेकिन इस बार जो सरकार ने जो निर्णय लिया है, वो बेहद काबिलेतारीफ है। सरकार ने चाईना के साथ भारत के मौजूदा हालात को देखते हुए चाईना द्वारा निर्मित 59 चाईनीज़ एप पर सीधे सर्जिकल स्ट्राइक की है। इस सर्जिकल स्ट्राइक के लिए सोशलमीडिया से लेकर असल जिंदगी में लोग सरकार की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं। तारीफ होनी भी चाहिए क्योंकि देश की युवा शक्ति इन चाईनीज़ एप का धीरे-धीरे गुलाम होती जा रही थी।अपने वास्तविक वजूद को खोते हुए मानसिक तौर पर अस्वस्थ होते जा रहे थे। जिसके प्रत्यक्ष उदाहरण हमारे आस पड़ोस में देखने को मिल जाते थे। कोई कुछ भी कहे लेकिन सरकार द्वारा चाईनीज एप बैन किए जाने के निर्णय से वो सभी माँ बाप खुश हैं जिन्हे लाखों मन्नतों के बाद बेटा हुआ था लेकिन युवा अवस्था में आते-आते वह बेटा, बेटा कम तथा सोशलमीडिया पर मुजरा करने वाली नचनियां के नाम पर ज्यादा प्रसिद्ध हो गया था। बेटे की इस मानसिक बीमारी को देख माता-पिता स्वयं मानसिक अवसाद से गुजरने लगे थे। यही हाल मेरे पड़ोसी शकील मियाँ का था। दिनभर चाय की दुकान चलाते हुए वो भारतीय संस्कृति, संस्कार की दुहाई देते नही थकते थे।

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निजी स्कूलों को नियंत्रित कर सरकार शिक्षकों की भर्ती करें

(प्राइवेट पंजों से निकल राज्य के अधीन हो पूरी शिक्षा व्यवस्था, निजी स्कूलों के नेटवर्क पर लगाम लगानी होगी) -प्रियंका सौरभ
दरअसल सरकारी स्कूल फेल नहीं हुए हैं बल्कि यह इसे चलाने वाली सरकारों, नौकरशाहों और नेताओं का फेलियर है। सरकारी स्कूल प्रणाली के हालिया बदसूरती के लिए यही लोग जिम्मेवार है जिन्होंने निजीकरण के नाम पर राज्य की महत्वपूर्ण सम्पति का सर्वनाश कर दिया है। वैसे भी वो राज्य जल्द ही बर्बाद हो जाते है या भ्र्ष्टाचार का गढ़ बन जाते है जिनकी शिक्षा, स्वास्थ्य और पुलिस व्यवस्था पर निजीकरण का सांप कुंडली मारकर बैठ जाता है। आज निजी स्कूलों का नेटवर्क देश के हर कोने में फैल गया है। सरकारी स्कूल केवल इस देश के सबसे वंचित और हाशिये पर रह रहे समुदायों के बच्चों की स्कूलिंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। अच्छे घरों के बच्चे निजी स्कूल में महंगी शिक्षा ग्रहण कर रहें और इस तरह हम भविष्य के लिए दो भारत तैयार कर रहें है।

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प्रधानमंत्री मुद्रा योजना गरीबों का सहारा है

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी और माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूशन द्वारा छोटे और मध्यम कारोबारियों को बिना किसी सिक्योरिटी के कर्ज देने का प्रावधान है. यह कर्ज नॉन एग्रीकल्चरल सेक्टर में छोटे कारोबार को बढ़ावा देते हुए रोजगार बढ़ाने के लिए दिया जाता है.हाल ही में 12 महीने की अवधि के लिए प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत शिशु ऋणों की शीघ्र चुकौती पर 2% ब्याज छूट को मंजूरी दी है। कोविद-19 महामारी के तहत लगाए गए लॉकडाउन के कारण ‘सूक्ष्म और लघु उद्यमों’ का कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ है। इससे इन उद्यमों की ऋण अदायगी क्षमता बहुत प्रभावित हुई हैं । अत: इन कारोबारियों के ऋण के डिफॉल्‍ट होने तथा नॉन परफार्मिंग एसेट में बदलने की बहुत अधिक संभावना है इसके परिणामस्वरूप भविष्य में संस्थागत ऋणों तक उनकी पहुँच पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

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भारत के ‘डिजिटल एयर स्ट्राइक’ से चीनी अर्थव्यवस्था नेस्तनाबूद

पिछले कुछ दिनों से जिस तरह सीमा विवाद को लेकर भारत व चीन के बीच तनातनी चल रही है और उसी बीच चीन द्वारा वार्ता के नाम पर हर बार की तरह धोखेबाजी के चलते सीमा पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच झड़प में भारत के २० जवानों की शहादत ने पूरे भारत को चीन के खिलाफ कर दिया। भारत के हर कोने से, हर वर्ग ने चीन के खिलाफ जंग का बिगुल बजा दिया, जगह-जगह चीन का विरोध करते लोग, सोशल मीडिया पर चीनी सामानों व आयातों के बहिष्कार को लेकर सरकार से गुहार ट्विटर जैसे बड़े सोशल नेटवर्क पर बड़ा मुद्दा ट्रेंड कर रहा था, जिसके चलते भारत सरकार ने राजनीति से ज्यादा राष्ट्रनीति को महत्व देते हुए चीन पर ‘डिजिटल एयर स्ट्राइक’ का करारा प्रहार कर दिया। सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान में किए गए एयर स्ट्राइक से कहीं ज्यादा खतरनाक यह डिजिटल एयर स्ट्राइक चीन की अर्थव्यवस्था पर एक साथ ५९ बमों का गिरना, चीन के लिए बेहद ही पीड़ादायक होगा जिसे चीन कभी भी भुला नहीं पाएगा।

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आत्मनिर्भरता की गाथा

आज आत्मनिर्भर शब्द सुनकर ऐसा प्रतीत हो रहा था, मानो धरती पर स्वर्ग का रचना होने वाला है। भारतीय नेताओं के मुंह आत्मनिर्भर सुनकर आज मन बहुत प्रसन्न हो रहा है, राजनीति आत्मनिर्भरता शब्द में आत्मा का नामोनिशान नहीं है।
निर्भरता तो पूर्वजों की एक अमानत और संस्कृति है। हमारे समाज के लोग हमेशा नजर उठाए दूसरों पर निर्भर बने रहते हैं। तभी हम आजादी के 70 साल बाद भी पश्चिमी देशों या फिर चीन की तरफ नजर लगाए बैठे हैं। खैर मैं अर्थव्यवस्था से कोई तालुकात नहीं रखता हूं, क्योंकि मैं अर्थशास्त्री नहीं हूं, ना ही देश का होनहार पत्रकार हूं, मौके पर हर विषय का स्पेशलिस्ट बनकर बड़े-बड़े लेख अखबारों में प्रकाशित करवाएं या फिर समाचार स्टूडियो में बैठकर कबोधन करें।
मेरे परम मित्र राजनीतिशास्त्री ने एक सेमिनार में कहा कि”अब बड़े राष्ट्रीय चैनल पर टीआरपी के लिए लुच्चापन चालू हो गया है। बड़े समाचार पत्रकारों को कोई गंभीरता से नहीं ले रहा है बस यूं ही कह दो कि चौथे लोकतंत्र की एक भरपाई हो रही है। मीडिया वाले आत्मनिर्भर हो चुके है, अब घर में सीरियल कम इनके कार्यक्रम को ज्यादा देखा जाता है। क्योंकि अब सीरियल और कॉमेडी शो से ज्यादा इनके यहां हुल्लड़ होता है।

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घटते आयातों के मद्देनजर देश के उद्योगों को हो रहा भारी नुकसान

कोरोना रूपी वैश्विक महामारी के चलते जैसे ही देश में करीब तीन माह तक लॉकडाउन का फैसला किया गया देश के हजारों उद्योगों में मजदूरों के पलायन स्वरूप ताले लग गए । लॉकडाउन ने देश के उद्योगों की सम्पूर्ण क्रियाविधि को प्रभावित किया जिससे उद्योगपतियों को भारी नुकसान उठाना पड़ा । मगर अनलॉक के बाद उद्योगों की गाड़ी अभी पूरी तरह से पटरी पर आई भी नहीं थी कि चीन व भारत के बीच सीमा विवाद मुद्दा गहरा गया और यह मुद्दा सैनिकों के बीच झड़प में 20 जवानों की शहादत के बाद राष्ट्रीय स्तर पर और भी गहरा गया । जिसके चलते देश में राष्ट्रव्यापी अभियान के तहत चीनी सामानों का बहिष्कार शुरू हो गया जिस कारण सरकार ने भी इस दिशा में कदम उठाते हुए चीनी आयात-निर्यात पर लगाम लगाना शुरू कर दिया । फिर क्या ? देश के उद्योगों का प्रभावित होना तो लाजिमी था और हुआ भी वही अनेकों उद्योगों में फिर से तालाबंदी हो गई । बाजार सूत्रों के हवाले से चीन व भारत के बीच तनातनी के कारण हजारों कार्गो कंटेनर जो चीन से आयातक वस्तुएं देश में लाते थे वह सब अब बंदरगाहों व एयरपोर्टों पर खड़े हो गए हैं । इनमें करीब 1000 कंटेनर ऐसे हैं जिनमें महत्वपूर्ण स्पेयर पार्ट्स , कंपोनेंट्स व करीब 300 करोड़ के कृषि संबंधी उपकरण की तैयार इकाइयां और देश के लगभग बहुधा उद्योगों के आवश्यक उपकरणों से लदे खड़े हैं । ऐसे में देश के उद्योगों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ना लाजिमी है ।

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सरकारी नौकरी, बड़े व्यापारी और नेताओं के लिए सैनिक सेवा अनिवार्य हो -डॉo सत्यवान सौरभ

अब समय आ गया है कि सरकारी कर्मचारियों और 5 लाख से ऊपर की आय वालों के लिए आर्मी सर्विस अनिवार्य की जाये। ताकि देश भक्ति नारों से निकलकर वास्तविक रंग में आये और सबको पता चले कि कैसे एक फौजी देश की धड़कन है?? जो वतन की मिट्टी के लिए कुर्बान होता है अपना सब कुछ भूलकर। इनकम टैक्स की तर्ज और रिजर्वेशन के आधार पर आर्मी सर्विस के साल निर्धारित किये जाए। हर देशवासी को सीमा सेवा का मौका मिलना ही चाहिए ताकि कोई आंदोलन न करें कि मुझे ये अवसर नहीं मिला। न कोई धरने पर बैठे। ग्रुप ए और बी एवं 12 लाख से ऊपर की आय वाले परिवार के के लिए तो ये इस वतन में रहने की प्रथम शर्त होनी चाहिए।
देश के पैसे को अपनी तिजौरी में भरकर देश के अन्न- धन के का लुत्फ लेने वालों को ये अहसास होना भी जरुरी है कि यहाँ का कण-कण कितना कीमती है? गली-मोहल्ले से देश भर की राजनीति में अपना नाम चमकाने वाले परम समाजसेवी राजनीतिज्ञों के लिए चुनाव लड़ने की प्रथम शर्त फौजी सर्टिफिकेट हो ताकि मंच से बोलते वक़्त उनके भावों में देश सेवा की ही रसधार ही बहे। पंडाल से केवल एक ही नारा गूंजे ये देश है वीर जवानों का, अलबेलों का मस्तानों का। मेरा मानना है कि अगर ऐसा होता है तो हमारे देश से भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद, धरने-प्रदर्शन, गली-मोहल्ले के सब झगडे खत्म हो जायँगे। हर फौजी में बहनों को भाई और माँ को बेटा दिखाई देगा। सबकी अक्ल ठिकाने आएगी। संवेदना की एक लहर दौड़ेगी जो तेरे- मेरे कि भावना को खत्म करके प्रेम के धागों को मजबूती देगी।

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अब साइबर अपराध देश के सामने नई चुनौती -प्रियंका सौरभ

हम जितनी तेज़ी से डिजिटल दुनिया की ओर बढ़ रहे हैं, उतनी ही तेज़ी से साइबर अपराध की संख्या में वृद्धि हो रही है। कोरोना के समय में ऑस्ट्रेलिया की संचार प्रणाली पर हुआ साइबर हमला है, संचार प्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लगता है। इसी बीच अब साइबर विशेषज्ञों ने भारत में भी एक बड़े साइबर हमले की आशंका व्यक्त की है। सरकार ने व्यक्तियों और व्यवसायों के खिलाफ बड़े पैमाने पर साइबर हमले के खिलाफ चेतावनी दी है, जहां हमलावर व्यक्तिगत और वित्तीय जानकारी के लिए कोविड के तहत एकत्रित किये गए डाटा को चोरी कर सकते हैं।
भारत की साइबर सुरक्षा नोडल एजेंसी के सलाहकार चेतावनी जारी की है कि संभावित साइबर हमले सरकारी एजेंसियों, विभागों और व्यापार निकायों को टारगेट कर सकते हैं जिन्हें सरकारी वित्तीय सहायता के संवितरण की देखरेख करने का काम सौंपा गया है। हमलावरों से स्थानीय अधिकारियों के बहाने दुर्भावनापूर्ण ईमेल भेजने की आशंका है जो सरकार द्वारा वित्त पोषित कोविड -19 समर्थन पहल के प्रभारी हैं। जानकारी के अनुसार साइबर हमलावरों के पास 2 मिलियन ईमेल आईडी होने की आशंका हैं और ऐसे समय लुभावनी ईमेल भेजने की योजना बना रहे हैं।

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विश्वव्यापी कोरोना त्रासदी का सूत्रधार चीन आज क्यों बौखलाया -एक मुद्दा

नवंबर 2019 से अपनी विषाणु प्रयोगशाला से जनित मानवजीवन के लिए घातक विषाणु कोरोना को अपनी धरती के छोटे से शहर वुहान से निकाल कर पश्चिमी देशों से घुमाते हुए पूरे विश्व मे प्रसारित करने वाला आपराधिक देश चीन आज किस तरह गिरगिट जैसी रँगबदलती चाल चल रहा है। यह आश्चर्यजनक तो नहीं क्योकि उसका भयावह इतिहास उसकी यह दोगली प्रवृति का साक्षी है किन्तु यह अति निम्नकोटि का व घृणित है जो एक जिम्मेदार विश्व महाशक्ति को कतई शोभा नहीं देता।
चीन का सबसे बड़ा शत्रु अमेरिका है किंतु उसने भारत से पंगा लिया। क्यों? क्योकि एशिया महाद्वीप में उसको यदि कोई चुनौती दे सकता है तो वह भारत है और चीन भारत पर दबाव बनाना चाहता है। कोरोना महामारी संकट की चुनौती को भारत ने 24 मार्च से ही सम्पूर्ण लॉक डाउन लगाकर आत्मसंयम, अनुशासन, आत्मनिर्भरता के दम पर जिस तरह स्वीकारा है और उस पर बड़े बड़े देशों की अपेक्षा बेहतर तरीके से नियंत्रण किया है उसका लोहा अमेरिका सहित पूरे विश्व ने माना है। यह बात चीन को पची नहीं। उसने अपना कोरोनॉ संकट तो वुहान तक ही निपटाकर देश की सभी गतिविधियां सामान्य कर ली किन्तु पूरा विश्व अभी भी कोरोनॉ मकड़जाल में फंसा है। भले ही हमने भी लॉक डाउन 4 के बाद 8 जून से शिक्षासंस्थान छोड़कर सभी औद्योगिक, व्यापारिक गतिविधियों को पूर्ववत चालू कर अपनी अर्थव्यवस्था को गतिशील बनाना प्रारम्भ कर दिया।

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