Friday, November 1, 2024
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विविधा

बालों का झड़ना कुछ ऐसा है जिसकी आप परवाह नहीं करते हैं?

मुंबई, जन सामना ब्यूरो। क्या आप जानते हैं कि बालों का झड़ना कुछ ऐसा है जिसकी आप परवाह नहीं करते हैं? अगर ऐसा है तो आप गलत हो सकते हैं। पिछले साल, डॉ बत्रा’ ने जीनो होम्योपैथी लॉन्च किया था, जो जेनेटिक परीक्षण के मामले में पूर्वानुमान लगाने वाली नई तकनीक है, और जेनेटिक्स विज्ञान के साथ संयुक्त रूप से तैयार किया गया होम्योपैथी उपचार है। इसके लिए विभिन्न बीमारियों के लिए 24,000 से अधिक नमूनों का परीक्षण किया गया, जिसमें से 10,000 से अधिक परीक्षण बाल झड़ने वाले रोगियों के किये गये थे।
परिणामों के अनुसार, बालों का झड़ना या तो कई बीमारियों (जैसे टाइप 2 डायबिटीज, हाइपोथायरायडिज्म और पीसीओएस) या पोषण संबंधी कमियों का प्रारंभिक संकेत हो सकता है। शुरुआती चरण में इन्हें ठीक करने से न केवल बीमारियों को प्रकट होने से रोका जा सकता है, बल्कि झड़े हुए बालों को भी फिर से हासिल किया जा सकता है।

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ऐतिहासिक ग्रंथ : मास्टर मित्रसेन थापा

नेपाली साहित्य, संस्कृति, संगीत के धरोहर ’’मास्टर मित्रसेन थापा’’ नामक कृति हिंदी भाषा में एक ऐतिहासिक ग्रंथ है। सुवास दीपक द्वारा लिखित यह ग्रंथ गोरखा शिखर पुरुष – श्रृंखला की चौथी पुस्तक है। सुंदर मुखपृष्ट, बढिया क्वालिटी का कागज, स्वच्छ प्रिंटिंग के साथ करीब 242 पृष्ठ से अधिक में निर्मित, आई. एस. बी. एन. नं0 सहित ’भारत की स्वाधीनता के महायज्ञ में तन-मन-धन की आहुति देने वाले तमाम ज्ञात-अज्ञात गोरखा सपूतों को समर्पित है यह कृति’।
मास्टर मित्रसेन थापा को भारत व नेपाल सरकार ने कई प्रतिष्ठित सम्मानों से सम्मानित किया है। दोनों देशों ने उनकी अमूल्य साहित्यिक, कलात्मिक, संगीत आदि सेवाओं को देखते हुए डाक टिकटों पर उन्हें स्थान दिया है।
ग्रंथ-मास्टर मित्रसेन थापा में मित्रसेन जी के सम्पूर्ण जीवन चरित्र सहित हिंदी व नेपाली साहित्य, संस्कृति, संगीत, कला आदि पर भी तमाम सामग्री को स्थान दिया गया है व आजादी के समय में गोरखा समाज द्वारा जो योगदान, बलिदान दिया गया था। उस पर भी प्रमुखता से प्रकाश डाला गया है। कुल मिलाकर सुवास दीपक की यह कृति एक ऐतिहासिक संग्रहणीय कृति बन गई है। उनकी इस कृति को साहित्य, कला, संगीत, संस्कृति जगत में उचित सम्मान मिले, जिसके वे हकदार हैं।

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अंधविश्वास पर जिन्दा है, निम्बू​ और मिर्चे का धंधा

कानपुर, महेंद्र कुमार। सदियों से ही देश में जादू टोना, झाड़फूंक जैसे अंधविश्वास चलते आ रहे है। चार दिन में परेशानियों से छुटकारा, गारंटी से वशीकरण, ऐसे विज्ञापन से भरी आपको कई दीवारों नजर आएँगी जो अंधविश्वास को बढ़ावा देती है। इन सब के बीच एक ऐसा धंधा भी है जो अंधविश्वास पर टिका होने के बावजूद अंधविश्वास नहीं लगता, ये धंदा है घरों और दुकानों में निम्बू मिर्च लटकाने का। इंसान आज कितना भी अपने आपको मॉडर्न मानने लगे पर कंही न कंही वो भी इस अंधविश्वास में फंसे नजर आते है और इसका अंदाजा दुकानों में और घरों लटकने वाले निम्बू – मिर्चे को देखकर ही लगाया जा सकता है।

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“जाने ने किसकी याद में सावन”

टप टप शाख से टपकी बूँदें,
बूंदों में सिसकी का शोर
रो रो पोंछे हतभागी
पुरवैया नम आँखों की कोर
दिल की हुक को झींगुर
झन झनकर आहों में ढोता है
जाने किसकी याद में सावन
रात रात भर रोता है .
हाथ छुड़ा कर चला गया वो
कभी पलट कर न देखा
सांस सांस पर खींच गया जो
नम वियोग की दृढ रेखा

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सोलर इंस्टालेशन से ग्राहक खुशहाल: बिजली बिल में 100% की बचत

भारत में सौर ऊर्जा तेजी से विकसित होता हुआ उद्योग है। एक रिपोर्ट के अनुसार, देश की स्थारपित सोलर क्षमता 31 मार्च 2019 तक 28.18 गीगावाट तक पहुंच गई है। शुरू में भारत सरकार ने 2022 के लिए 20 गीगावाट का लक्ष्य रखा था, जिसे चार साल पहले ही हासिल किया गया। 2015 में, लक्ष्य को 100 गीगावाट सौर ऊर्जा तक बढ़ा दिया गया था, जिसमें 2022 तक रूफटॉप सोलर इंस्टाकलेशन से हासिल किया जाने वाला 40 गीगावाट शामिल है, जिसके लिए 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश का लक्ष्य रखा गया है। तो इससे यह स्पतष्टश है कि सोलर अब हमारा भविष्य बनने जा रहा है और भारत में इसका उपयोग बढ़ने जा रहा है। आम आदमी के लिए सौर उर्जा कल्याणकारी है। एक रिपोर्ट बताती है कि रूफटॉप से मिलने वाली सौर ऊर्जा से 3.4 गीगावाट बिजली मिलती है, जिसमें से 70% औद्योगिक या कमर्शियल होती है। बड़े पैमाने पर ग्रिड से जुड़े सोलर फोटोवोल्टिक (पीवी) पहल के अलावा, भारत स्थानीय ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने के लिए ऑफ-ग्रिड सौर ऊर्जा विकसित कर रहा है। सोलर लालटेन और सोलर कुकर जैसे सौर उत्पादों ने ग्रामीण जरूरतों को पूरा करने में मदद की है।

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बिन मोबाइल सब सून

गत दिवस मेरा मोबाइल अचानक से बंद हो गया मैं सर्विस सेंटर लेकर गया, सर्विस सेंटर से पता चला कि फोन सुधरने में कम से कम बारह घंटे का समय लगेगा, इतना सुनते ही मैं आवाक रह गया, मेरे मुंह से शब्द ही नहीं निकल रहे थे, जैसे तैसे होश संभालते हुए मैं ने कहा बारह घंटे??? यह तो बिना मोबाइल के गुजरा एक सदी सा होगा..!! मैं ने सर्विस सेंटर वाले से अनुरोध किया कि सर्विस चार्ज बढ़ा लो पर समय कम लो, क्योंकि मोबाईल से बारह घंटे दूर रहने पर मैं खुद ‘आदमी रिपेयर सेंटर’ जाने लायक हो जाऊंगा। यह स्थिति केवल मेरी ही नहीं अपितु देश के 75 प्रतिशत मोबाइल यूजर्स की है, खाना कम मिले चलेगा, पीने का पानी कम मिले चलेगा, यहाँ तक कि आक्सीजन कम मिले तब भी चलेगा। लेकिन मोबाइल फोन 100 प्रतिशत फुल बैट्री के साथ 24 घंटे चालू हालत में ही चाहिए।

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संहिता मंच, राष्ट्रीय नाट्य लेखन प्रतियोगिता

डॉ॰ दीपकुमार शुक्ल। हमारे आस पास अनेक लेखक लगातार नाट्यलेखन करते रहते हैं। परंतु उनका नाटक निर्देशकों, नाट्य संस्थाओं तथा प्रकाशकों तक कई बार नहीं पहुँच पाता है। उन्ही संहिताओं को मंच देने के लिए बीइंग एसोसीएशन, मुंबई ने 2017 से ‘संहिता मंच’ नाट्यलेखन प्रतियोगिता का आयोजन शुरू किया और पहले दो वर्षों में पूरे हिन्दुस्तान से बहुत से लेखकों को अपने साथ जोड़ा। बीइंग एसोसिएशन पिछले दो वर्षों में संहिता मंच के माध्यम से 6 नए हिंदी नाटकों को मंचित कर चुका है। साल दर साल प्रदर्शित नाटकों ने देश भर में बड़े पैमाने पर प्रशंसा अर्जित की है। अब हिंदी नाटकों की राष्ट्रव्यापी खोज लगातार अपने तीसरे वर्ष तक पहुँच गई है और इस वर्ष, और बड़े पैमाने पर, एक बार फिर संहिता मंच का आयोजन किया जा रहा है। देश के हर कोने से नए लिखे गए हिंदी नाटक आमंत्रित हैं। लेखक पूरी तरह से मूल, अनुकूलित या अनुवादित हिंदी नाटक भेज सकते हैं।

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छायावाद का पुनर्पाठ जरूरी है

मुंबई, जन सामना ब्यूरो। जापान से पधारीं डॉ. तोमोको किकुचि ने कहा कि महादेवी वर्मा और जापानी कवयित्री निकोयो न केवल समकालीन थीं अपितु दोनों ही नारी जीवन का समान चित्र खींचती हैं। इस मौके पर प्रस्तावना प्रस्तुत करते हुए हिंदी विभाग के प्रोफेसर एवं अध्यक्ष डॉ. करुणाशंकर उपाध्याय ने कहा कि छायावादी कवियों के समक्ष हिंदी कविता को विश्वस्तर पर प्रतिष्ठित करने की चुनौती थी जिसे उन्होने बखूबी पूरा किया।यहां विज्ञान, धर्म, दर्शन और ज्ञान- विज्ञान के तमाम अनुशासन काव्य- संपत्ति बन जाते हैं। ये बड़ी चिंता के कवि है जो विश्वस्तरीयप्रश्न उठाते हैं। इस बहुस्तरीय, जटिल और बहुआयामी काव्य का सही मूल्यांकन होना अभी बाकी है। इस मौके पर अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए डॉ. सूर्यप्रसाद दीक्षित ने कहा कि छायावादी कवियों के प्रति आलोचकों का रवैया बहुत अच्छा नहीं रहा। आचार्य शुक्ल से लेकर अब तक के आलोचक भी उसके साथ न्याय नहींकर पाये हैं। मुंबई विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग ने अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के आयोजन द्वारा एक ऐतिहासिक पहल की है।

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तनाव रहित जीवन जीने का नुस्खा- एम. अफसर खान ‘सागर’

पुस्तक – जीवन के अनसुलझे रहस्य की खोज
लेखक – मनीष
प्रकाशक – नोशन प्रेस, चेन्नई
कीमत – 199 रुपए
जिन्दगी की भाग दौड़ में इंसान भौतिक संसाधन जरूर हासिल कर रहा है मगर उसके जीवन से सकून गायब सा होने लगा है। तनाव रहित जीवन जीने के लिए लोग न जाने कितने तदबीर कर रहे हैं। ‘जीवन के अनसुलझे रहस्य की खोज’ पुस्तक के माध्यम से मनीष ने मेडिटेशन और योग को अपना कर तनाव रहित जीवन जीने की कला को बहुत फलसफाने अंदाज में बयान किया है। लेखक ने बतलाया है कि योग सही तरह से जीवन जीने का विज्ञान है। यह व्यक्ति के सभी पहलुओं पर काम करता है – भौतिक, मानसिक, भावनात्मक, आत्मिक और आध्यात्मिक। पुस्तक के माध्यम से लेखक ने लोगों को योग के गूढ़ रहस्यांे से परिचय कराया है। भारतीय रेल सेवा के अधिकारी मनीष ने अति दुरूह ध्यान प्रयोगों के माध्यम से उस रहस्य को जानने का कामयाब कोशिश किया है। लेखक ने तकरीबन पन्द्रह सालों तक विश्व के तमाम धर्मों के विभिन्न शाखओं का अध्ययन एवं समकालीन विचारकों के ग्रंथों का गहन अध्ययन एवं विशलेषण करने के पश्चात यह पुस्तक लिखा है। लेखक ने बतलाया है कि भारतीय दर्शन की नींव सत्य, प्रेम, अहिंसा एंव सर्व कल्याण को ध्यान में रखते हुए रखी गयी है। इस संस्कृति में सत्य को प्रतिपादित करते हुए मानव कल्याण की खातिर मनसा, वाचा, कर्मणा की अवधारणा को महत्व दिया गया है। लेखक बतलाता है कि हमारा सबका सुख सामूहिक सुख है, और दुःख है। भारतीय दर्शन में अध्यात्म मनुष्य के वास्तविक स्वरूप को जानने के साथ-साथ भौतिक जगत के सम्बंध को भी पहचाना है।

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वसुधा ऑर्गेनिक किसानों के लिए अधिक कमाई और कम खर्च सुनिश्चित करता है

वर्तमान और भविष्य में लोगों, और धरती की शांति और समृद्धि के लिए साझा ब्लूप्रिंट प्रदान करने के उद्देश्य से 2015 में सभी संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों द्वारा सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) को अपनाया गया था। सतत विकास लक्ष्य अंतरराष्ट्रीय विकास संबंधित लक्ष्यों का समूह हैं, जिनको 2015 से 2030 तक हासिल करने की परिकल्पना की गई है। लेकिन यथार्थ की जमीन पर देखें तो 2030 तक सभी लक्ष्यों का पूरा होना संभव नहीं दिखता, इसलिए सरकारों और संस्थाओं ने प्राथमिकता के आधार पर लक्ष्यों को पूरा करने का संकल्प लिया है। वसुधा ऑर्गेनिक भी सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) का समर्थन करता है। वसुधा ऑर्गेनिक निम्नलिखित लक्ष्यों को प्राप्त करने की अपनी सोच पर ध्यान केंद्रित करने की रणनीति अपनाता हैरू गरीबी निषेध, भूख की समाप्ति, अच्छा स्वास्थ्य और कल्याण, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, जलीय जीवन, भूमि पर जीवन, शांति, न्याय, मजबूत संस्थाएं और लक्ष्यों के लिए साझेदारी। इन लक्ष्यों को गरीबी खत्म करने वाले, धरती की रक्षा करने वाले और सबके लिए शांति और समृद्धि सुनिश्चित करने वाले वैश्विक लक्ष्यों के रूप में भी जाना जाता है। वसुधा आर्गेनिक, निरंतर विकास हेतु वैश्विक साझेदारी को पुनर्जीवित करने के लिए, अपने विभिन्न पहलों में फेयर ट्रेड, पीस इंडिया, टेक्सटाइल एक्सचेंज, एसएसी, कॉटन कनेक्ट, सीएंडए फाउंडेशन, बीसीआई, आदि सस्टेनेबल आर्गेनाइजेशन के साथ सहयोग करते हुए काम करता है।

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