कानपुर देहात। आई फ्लू बड़ी संख्या में बच्चों को चपेट में ले रहा हैं। आंख लाल होने के साथ दर्द से बेहाल बच्चों का स्कूल से घर तक हाल बेहाल है। अस्पतालों में 50 फीसदी मरीज कंजक्टिवाइटिस के पहुंच रहे हैं। बड़ी संख्या में छात्रों के बीमारी के चपेट में आने के बाद भी स्कूलों में उन्हें छुट्टी नहीं दी जा रही है जबकि यह एक संक्रामक बीमारी है। अगर एक बच्चें को यह बीमारी होती है तो उसके संपर्क में जितने भी बच्चे आते हैं और उसे देखते हैं तो यह बीमारी सभी को अपनी चपेट में ले लेती है। ऐसे में यह अत्यंत ही आवश्यक है कि अगर किसी भी विद्यालय में इस बीमारी से ग्रसित कोई भी बच्चा है तो उसे तुरंत ही छुट्टी प्रदान कर देनी चाहिए और जब तक वह पूर्णतयः स्वस्थ ना हो जाए तब तक विद्यालय में नहीं आने देना चाहिए। बच्चों में आई फ्लू तेजी से पैर पसार रहा है। बच्चों के साथ अभिभावक और विद्यालय स्टाफ भी बीमारी की चपेट में आ रहे हैं ऐसे में संबंधित अधिकारी को स्पष्ट आदेश जारी करते हुए इस बीमारी से ग्रसित बच्चों को विद्यालय न भेजे जाने का निर्देश देना चाहिए क्योंकि यह रोग एक दूसरे के संपर्क में आने से बढ़ रहा है। यूपी के अन्य जिलों से भी आई फ्लू के फैलने की खबरें आ रही हैं, विद्यालयों में संक्रमण में सतर्कता नहीं बरते जाने के चलते यह रोग तेजी से फैल रहा है। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सन्दलपुर में तैनात डा0 बैभव कटियार एंव राजेश बाबू कटियार का कहना है कि कंजक्टिवाइटिस एक संक्रामक बीमारी है जो आंख की पुतली के सफेद हिस्से को प्रभावित करती है। यह एलर्जी या बैक्टीरिया या वायरल संक्रमण के कारण हो सकता है। सभी जगह इन दिनों आंखों में कंजक्टिवाइटिस संक्रमण के चलते लगातार मरीज सामने आ रहे हैं। इस संक्रमण से घबराने की नहीं बल्कि सतर्कता रखना जरूरी है। वैसे हर वर्ष इन दिनों में इस संक्रमण के केस बढ़ते हैं।
संक्रमण के लक्षण-
आंख लाल हो जाने के अलावा खुजली, लगातार पानी गिरना और दर्द जैसे लक्षण होते हैं। ऐसे में नेत्र चिकित्सक से उपचार कराना चाहिए। खुद को और दूसरों को संक्रमण न लगे ऐसे जतन भी किए जाने चाहिए।
क्या करें-
संक्रमित व्यक्ति मुंह और अपने हाथों को स्वच्छ रखें। लक्षण होने पर नजदीक के आंख रोग विशेषज्ञ से उपचार कराना चाहिए। डॉक्टर की बताई गई दवाई को आंख में डालने से पहले और बाद में हाथ को अच्छी तरह से धोना चाहिए। संक्रमित व्यक्ति की वस्तुओं जैसे रुमाल, तौलिया आदि का उपयोग दूसरों को नहीं करना चाहिए। आंखों की सुरक्षा को लेकर चश्मा जरूर पहनाना चाहिए। मरीज के सीधे संपर्क में आने से लोगों को बचना चाहिए ताकि दूसरों को यह संक्रमण नहीं लगे। इसके अलावा भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचना चाहिए।