Tuesday, November 26, 2024
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कारगिल विजय दिवस पर शहीदों को जिलाधिकारी ने दी भावभीनी श्रद्धांजलि

कानपुर देहात। अपने शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजलि देने और उनको नमन करने के लिए पूरा देश आज के दिन को कारगिल विजय दिवस के रूप में मना रहा है। कारगिल में शहीद हुए सैनिकों का बलिदान हमें अपने कार्याे के प्रति ईमानदार और निष्ठावान तो बनाता ही है, साथ ही अपने देश के प्रति अपने कर्तव्य का भान भी कराता है। देश के कोने-कोने में कारगिल में शहीद हुए सैनिकों की यशगाथा आने वाली पीढ़ियों को बतायी जा रही हैं। इसीक्रम में जनपद कानपुर देहात के शुक्ल तालाब में भी शहीदों की स्मृतियों में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। आयोजन स्थल पर पूर्व सैनिकों के अलावा, उनके परिजन और जनपद के नागरिक भी उपस्थित थे, जिलाधिकारी नेहा जैन, सैनिकों के बीच पहुंचकर और उनकी यशोगाथा सुनकर अत्यधिक गौरवान्वित और प्रफुल्लित हुई। इस मौके पर जिलाधिकारी ने उपस्थित सैनिकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि भारत के वीर सपूतों ने हर युद्ध में अपने शौर्य का अद्भुद प्रदर्शन किया है। एल0ओ0सी0 पर जाने का अवसर मुझे प्राप्त हुआ, मैने देखा कि किस तरह से हमारे सैनिक हमारी सीमाओं की सुरक्षा पूरे शिद्त के साथ कर रहे है। उन्हीं की देन है कि आज हम चौन के साथ सास ले रहे है। उन्होंने कहा कि आज के समय में जब हर राष्ट्र के पास घातक हथियार मौजूद है तो ऐसी स्थिति में युद्ध होने पर न कोई विजेता रह जायेगा, और न कोई विजित रह जायेंगा। लेकिन अगर पस्थितियां युद्ध की उत्पन्न होती है तो हमारे सैनिक इसका माकूल जबाब देने के लिए पूरी तरह से सक्षम है। आने वाले 15 अगस्त को हम ईको पार्क माती में एक बड़े शहीद स्थल का उद्घाटन करने की तैयारी कर रहे है। जिससे प्रेरणा लेकर आज की पीढ़ी अपने राष्ट्र के प्रति कृत संकल्पित बन सके। इससे पूर्व इस कार्यक्रम का उद्घाटन जिलाधिकारी ने शहीद स्मारक पर माल्यार्पण कर किया। इस मौके पर उन्होंने शहीदों के परिजनों को शॉल भेट किया। साथ ही शुक्ल तालाब के प्रांगढ़ में जामुन के पेड़ का रोपण भी उनके करकमलों द्वारा हुआ। इस मौके पर उप जिलाधिकारी पूनम गौतम के साथ, कर्नल राजेश गुप्ता, 1971 की लड़ाई के साक्षी रहे सामंत सिंह, के साथ शहीदों के परिजन जिनमें अमर सिंह, माया कुशवाहा, मीना, प्रीती देवी, रेखा देवी, राजकुमारी, शकुन्तला, सुशीला, कुशमा, फूला आदि भी उपस्थित रहीं। इस पूरे कार्यक्रम का संचालन कैप्टन रामस्वरूप पाल ने किया।