Saturday, July 6, 2024
Breaking News
Home » मुख्य समाचार » राजा, इष्ट और गुरु के समक्ष नहीं जाना चाहिए खाली हाथः अमित सागर

राजा, इष्ट और गुरु के समक्ष नहीं जाना चाहिए खाली हाथः अमित सागर

फिरोजाबाद। सुहागनगरी में वर्षा योग कर रहे जैन आचार्य अमित सागर महाराज द्वारा प्रतिदिन धर्म प्रभावना किया जा रहा है। प्रवचनों के माध्यम से जैन समाज को धर्म की राह दिखा रह है। शनिवार को दिगंबर जैन नसिया जैन मंदिर कोटला रोड पर अमित सागर महाराज ने धर्मसभा में कहा कि साधु की दो प्रकार की सामायिक होती है, एक नियत काल स्वाध्याय के समय होती है। दूसरी अनियत काल सामायिक चलने की क्रिया से भी हो जाती है। मुनि श्री ने कहा कि श्रद्धा का अर्थ है अपने संपूर्ण आत्मा का इष्ट के प्रति समर्पण। भक्ति के अंदर दान और पूजा समाहित होते हैं। राजा, इष्ट और गुरु के समक्ष खाली हाथ नहीं जाना चाहिए। पूजा तीन प्रकार की होती हैं, जो प्रतिदिन करते है वो जघन्य पूजा है। उत्कृष्ट पूजा में व्यक्ति अपने द्रव्य से मंदिर बना कर जिनेंद्र भगवान की प्रतिष्ठा करा कर उसका पंचकल्याणक कराके भगवान का मस्तकाभिषेक करके तब पूर्ण होती है। कार्यक्रम का संचालन राजेश जैन सरल ने किया। इस दौरान प्रवीन जैन, मनोहर, डॉ महेंद्र जैन, सत्येंद्र जैन साहू, अजय जैन बजाज, राजीव जैन रागी, महेंद्र जैन गप्पू, संभव प्रकाश जैन, महेंद्र जैन गुल्ली, अपूर्व जैन, नितिन जैन, राहुल जैन इसौली, विपुल जैन आदि मौजूद रहे।