Monday, April 29, 2024
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मानसिक स्वास्थ्य जीवन का सबसे अनदेखा क्षेत्र

अभी कुछ दिन पहले सोनी नाम की पेशेंट मेरे पास क्लीनिक पर आई और फूट-फूट कर रोने लगी। मैं चुपचाप देखती रही और पूछा क्या बात है। कहने लगी आजकल मुझे कुछ अच्छा नहीं लगता। मैं अपनी 3 साल के बच्चे को बहुत पीटने लगी हूं उसे अपशब्द इस्तेमाल करती हूं। मैंने उसकी सारी बातें सुनी उसने बताया गुस्सा बहुत आ रहा है, किसी चीज में मन नहीं लगता, पूरे बदन में दर्द, बहुत थकान, नींद ना आना और भूख न लगना। दरअसल सोनी मानसिक रूप से अस्वस्थ थी और अवसाद की शिकार हो रही थी। उसको काउंसलिंग और उचित उपचार की जरूरत थी। ऐसे न जाने कितने लोग मानसिक समस्याओं से जूझ रहे हैं और हीन भावना से ग्रसित हो रहे हैं। मानव जीवन में मानसिक स्वास्थ्य का बहुत महत्व है पर हम लोग सबसे ज्यादा इसको अनदेखा करते हैं जिस तरह शारीरिक स्वास्थ्य महत्वपूर्ण होता है उसी भांति मानसिक स्वास्थ्य भी। जनवरी माह भारत में राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य माह के रूप में मनाया जाता है इसका मुख्य उद्देश्य है मानसिक स्वास्थ्य का जीवन में महत्वत्ता, जागरूकता बढ़ाना और समर्थन प्रदान करना है। इस माह में विभिन्न गतिविधियां आयोजित की जाती है जिसका मुख्य उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य को बेहतरीन दिशा में एक सामूहिक जागरूकता बढ़ाना है। मानसिक स्वास्थ्य एक व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता और समृद्धि लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन मानसिक स्वास्थ्य को परिभाषित करते हुए कहता है कि यह सलामती की एक ऐसी स्थिति है जिसमें किसी व्यक्ति को अपनी क्षमताओं का एहसास रहता है और वह जीवन के समान तनाव का सामना कर सकता है लाभकारी और उपयोगी रूप से कम कर सकता है और अपने समाज के प्रति योगदान करने में सक्षम होता है।
मानसिक स्वास्थ्य का होना मानव जीवन में सकारात्मकता और समर्थन की भावना के साथ जुड़ा होता है। यह व्यक्ति को अपने जिम्मेदारियां का सामना करने में, स्थितियों का सामना करना और जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टि को बनाए रखने की क्षमता प्रदान करता है ।
⇒ आईए जानते हैं कुछ शोध के अनुसार देश में मानसिक स्वास्थ्य का स्तर
देश में मानसिक स्वास्थ्य का स्तर : देश की 37 प्रतिशत 18 से 30 वर्ष की आयु वाले लोग मानसिक रोग की चपेट में है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के शोध के अनुसार प्रति लाख भारतीयों में से तकरीबन 10.9 प्रतिशत आत्महत्या होती हैं। यूनिसेफ 2021 में एक जनगणना के द्वारा देश के 14 प्रतिशत बच्चे अवसाद की गिरफ्त में है। देश में करीब 60 से 70 मिलियन लोग गंभीर मानसिक विकारों से पीड़ित है।
भारत में मानसिक विकार एवं मानसिक अस्वस्थ क्यों तेजी से फैल रहे हैं, कुछ मुख्य कारणों में शामिल हो सकते हैं ?
स्ट्रेस एवं अटपटी जीवनशैली: तेजी से बढ़ती जीवनशैली, भारी काम की भरपूर और समय की कमी आदि के कारण लोग अधिक स्ट्रेस और तनाव महसूस कर रहे हैं, जिससे मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।
सामाजिक दूरी: तकनीकी प्रगति ने लोगों को अधिक समय ऑनलाइन या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में बिताने के लिए मजबूर किया है, जिससे सामाजिक जड़ों में कमी हो रही है और अकेलेपन की समस्या बढ़ रही है।
उच्च अद्यतितता और अधिकतम प्रतिस्पर्धाः पूर्णतावादी और प्रतिस्पर्धात्मक समाज में, विद्यार्थियों, पेशेवरों, और व्यापारियों को अधिकतम प्रतिस्पर्धा और दबाव का सामना करना पड़ रहा है, जिससे मानसिक तनाव बढ़ सकता है।
मानवाधिकार की उल्लंघन: समाज में मानवाधिकार की उल्लंघन, असमानता, और अन्याय भी मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य पर सामाजिक जनमैथुन: मानसिक स्वास्थ्य को लेकर सामाजिक जनमैथुन और उसके साथ संबंधित स्थितियों का अभाव भी मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।
जानकारी की अभाव: जानकारी की कमी और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की अधिकता भी एक मुख्य कारण हो सकता है।
छोटी पारिवारिक इकाइयांः छोटे परिवारों में अक्सर सामाजिक समर्थन की कमी होती है जिससे लोग अकेलेपन महसूस करते हैं और उनमें आत्महत्या जैसी समस्याओं की उत्पन्न हो सकती हैं। इन परिवारों में सदस्यों की जिम्मेदारियां ज्यादा होती हैं जिससे मानसिक दबाव पड़ता है और तनाव ज्यादा रहता है इनमें अकेलापन और सामाजिक अलगाव महसूस होता है।
सामुदायिक भागीदारी में कमी सामुदायिक भागीदारी में कमी से लोग अकेलेपन का अहसास कर सकते हैं, जो मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। इससे उनमें उदासी, चिंता, और लोगों के साथ संबंध बनाए रखने में कठिनाई हो सकती है।
सामुदायिक भागीदारी की कमी से लोगों को स्थानीय समस्याओं, जैसे कि उच्च बेरोजगारी, भूमि-संबंधित मुद्दे और आर्थिक समस्याएं, का सामना करना पड़ सकता है जो मानसिक तनाव पैदा कर सकती हैं।
सामुदायिक भागीदारी की कमी से लोग अपने सामाजिक या सांस्कृतिक उपाधि से वंचित महसूस कर सकते हैं, जिससे उनमें खोई हुई पहचान और आत्मविश्वास की कमी हो सकती है।
सामुदायिक समर्थन की कमी से लोग महसूस कर सकते हैं कि उनका समर्थन और सुरक्षा सामुदायिक स्तर पर नहीं हो रहा है, जिससे उनमें उदासी और असुरक्षा की भावना उत्पन्न हो सकती है।
सोशल मीडिया में वृद्धि: सोशल मीडिया और मानसिक अस्वास्थ्य के आपस में गहरा संबंध हो सकता है। सोशल मीडिया का उपयोग करना और इस पर अक्सर मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है, पहले तो इससे सोशल संबंध, स्वास्थ्यीय अनुपात, और आत्म-उपमहाद्वारा संबंधित विभिन्न पहलुओं का सामर्थ्य बढ़ सकता है ।
समाज में चर्चाएं और संजीवनी परियोजनाएंः मानसिक स्वास्थ्य की चर्चाओं में और इस पर समृद्धि के लिए समाज में जागरूकता और संजीवनी परियोजनाएं की जरूरत है ताकि लोग मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को समझें और उसका सही समर्थन प्राप्त कर सकें।
मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं आम है इसलिए संभव संकेतों के बारे में जानकारी ले लेते हैं:
दैनिक कार्यों में मन ना लगना आत्महत्या के विचार आना। उदासी और शोक की स्थिति चिड़चिड़ापन। उदासी, घबराहट, बेचैनी, बेकारारी आदि। मूड स्विंग। भावनाओं पर नियंत्रण न रख पाना। रिश्ते बनाए रखने में कठिनाई। शौक और आत्मप्रेम में कमी
थकान। नींद, भूख एवं वजन में जबरदस्त बदलाव। भूख, नींद एवं वजन में ज्यादा या कमी हो जाना। पेट में दर्द, एसिडिटी एवं अन्य पेट के रोग। शरीर में दर्द। सिर में भारीपन एवं दर्द आदि।
मानसिक स्वास्थ्य बहुत महत्वपूर्ण है: मानसिक स्वास्थ्य व्यक्ति की सोचने, समझने महसूस करने और कार्य करने की क्षमता प्रभावित होती है। इसका असर व्यक्ति के तनाव को संभालने और जीवन को से जुड़े जरूरी विकल्प के चयन करने में भी पड़ सकता है। मानसिक स्वास्थ्य जीवन के प्रत्येक चरण अर्थात बचपन, किशोरावस्था, व्यस्कता और बुढ़ापे में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ।
तनाव से जूझने, शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने लोगों से, अच्छे संबंध बनाए रखना, सामाजिक कार्य में योगदान देने, प्रोडक्टिव काम करने के लिए, अपनी क्षमता को जानने में, स्ट्रोक, टाइप टू डायबिटीज एवं अन्य हृदय रोगों के जोखिम से बचने के लिए मानसिक स्वास्थ्य बेहद जरूरी है ।
मानसिक स्वास्थ्य हमारी शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी है यह हमें सकारात्मक रहने में, दूसरों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखना, अपने जीवन के उद्देश्य को प्राप्त करने में और समाज के लिए उपयोगी रहने में मदद करता है।
मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने के लिए आप निम्नलिखित कदमों का पालन कर सकते हैंः-
नियमित व्यायामः नियमित व्यायाम करना मानसिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। यह तनाव को कम करने में मदद करता है और मानसिक संतुलन को बनाए रखने में सहारा प्रदान करता है।
पौष्टिक आहार का सेवन करेंः आपकी आहार और तंतू भी मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं। सही पोषण, फल, सब्जियां, और पूरे अनाजों को शामिल करें। मीठा, बेकरीवाले खाद्य पदार्थ, शराब, गुटका, मसालेदार, जंक और रेडी टू ईट एवं प्रोसैस्ड फूड का इस्तेमाल ना करें। विटामिन डी एवं ओमेगा 3 फैट युक्त भोजन जैसे अंडा, मछली ,फ्लेक्स सीड्स आदि। पानी का सेवन भरपूर मात्रा में करें।
समय का प्रबंधनः समय का सही प्रबंधन करना भी मानसिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। विशेष रूप से आराम और नींद को प्राथमिकता दें। पर्याप्त नींद लें ।
डिजिटल मीडिया से थोड़ी दूरी बनाएंः इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स जैसे फोन, लैपटॉप, कंप्यूटर आदि का इस्तेमाल ज़्यादा न करें। वर्चुअल वर्ल्ड जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, ट्विटर आदि से दूरी बनाएं।
दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ समय व्यतीत करें। अपने छोटों से प्यार और बड़ो आदर करें। सभी को सम्मान एवं प्रेम की भावना से देखें। खुद की तुलना किसी से ना करें। हम सब अलग हैं और हम जैसे हैं अपने में संपूर्ण और सर्वश्रेष्ठ हैं। स्वयं को भरपूर प्रेम एवं सम्मान दें। ईश्वर का शुक्राना अदा करते रहें। अपने ईश्वर से जुड़े और हर पल उसका शुक्र अदा करें ।
सामाजिक समर्थनः सामाजिक समर्थन मानसिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। अपने साथी, परिवार, और दोस्तों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखना महत्वपूर्ण है।
सीखना और समझनाः अपने आत्म-अवलोकन को बढ़ावा देने के लिए सीखने और समझने की प्रक्रिया में रुचि रखें। नई कौशल सीखें और नए अनुभवों का सामना करें।
स्वास्थ्य सेवाएंः अगर आपको ऐसा लगता है कि आपका मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ रहा है, तो स्वास्थ्य पेशेवरों से सहारा लें।
विश्राम और मनोरंजनः अपने दिन में कुछ समय को विश्राम और मनोरंजन के लिए निकालें। अपनी पसंदीदा गतिविधियों में रुचि रखें और अच्छे समय का आनंद लें।
स्वयं की मान्यताः अपनी स्वयं की मान्यता करना और खुद को स्वीकार करना महत्वपूर्ण है। आपको अपनी स्थिति और अपने आत्म-मूल्य को स्वीकार करने का प्रयास करना चाहिए।
मेडिटेशन और योगः मेडिटेशन और योग भी मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद कर सकते हैं। ये शांति और आत्म-समर्थन की भावना पैदा कर सकते हैं।
ये सभी कदम साथ मिलकर आपको मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य से सिर्फ इतना मतलब नहीं के मानसिक बीमारी की अनुपस्थिति इससे कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है बल्कि यह पूर्ण कल्याण की स्थिति है । हालांकि, अगर आपको अधिक सहायता की आवश्यकता है, तो कृपया डॉक्टर, काउंसलर अथवा साइकोथैरेपिस्ट से संपर्क करें।

डॉ0 अमरीन फातिमा