Tuesday, November 26, 2024
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राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक नाबार्ड द्वारा स्वयं सहायता समूह एवं जेएलजी पर कार्यशाला सम्पन्न

कानपुर देहातः जन सामना ब्यूरो। कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक नाबार्ड द्वारा स्वयं सहायता समूह एवं जेएलजी पर एक दिवसीय जिलास्तरीय कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह ने कहा कि नाबार्ड, बैंक, डीआरडीए आदि से जुडी स्वयं सहायता समूह सम्बन्धित विकास की योजनाये है जो कि समाज के ऐसे लोगों के उत्थान व विकास के लिए है जोकि निचले पायदान पर खडा है। अशिक्षा कमजोर और समाजिक दुराव से गरीबों की समस्या बढ़ती है। उनके पास जो पूंजी होती है व श्रम होता है स्वयं सहायता समूह के माध्यम से सरकार की योजनाओं को भली भांति रूचि लेकर बैंकर्स व अधिकारी रूचि लेकर पूरा करें। समस्याये तो कोई न कोई बनी रहती है समस्याआं के बीच हल निकालना जरूरी है। सकारात्मक दृष्टिकोण से कार्याें में सुधार लाकर महत्वपूर्ण कार्यक्रमों को पूरा किया जाना है। समूह को एक सरकारी मान्यता प्राप्त है जिसे भारतीय रिजर्ब बैंक तथा नाबार्ड द्वारा विशेष मंजूरी दी गई है। स्वयं सहायता समूह क्यों बनाये गये समूह के सदस्यों को क्या लाभ है यह वैसे ही जैसे बूंद बंूद से घडा भरता है और थोडी-थोडी बचत से एक बड़ी राशि बन जाती है बचत ही विकास का पहला कदम है नियमित बचत द्वारा सदस्यों के आर्थिक स्थिति में सुधार व सहयोग की भावना आपसी विश्वास तथा स्वाभिलंबन में वृद्धि होती है। यद्यपि स्वयं सहायता समूह अच्छा कार्य कर रहे है यदि थोडा सा अधिक सहयोग कर दिया जाये तो गरीब तबके के जीवन स्तर में खुशहाली आयेंगी। उन्होंने कहा कि सभी व्यवस्था का अंग है सरकारी कार्य में कोई अवरोध उत्पन्न करता है तो उसके विरूद्ध सख्त कार्यवाही भी की जायेगी। उन्होंने कहा कि जिन बैंकोें में लोन स्वीकृति का प्रतिशत कम है वे अपने कार्यो में सुधार लाये। उन्होंने निर्देश दिये कि पांच सदस्यों की कमेटी बनाकर जिसमें डीसी मनरेगा, एलडीएम, बीडीओ, परियोजना निदेशक आदि को शामिल करे तथा इसकी बैठक 30 या 31 जनवरी में पहली बैठक कर ले तथा टीम पूरी तरह से सक्रिय योगदान में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभायें। स्वयं सहायता समूह का गठन परिचालन सदस्यों की आमदनी बढ़ाने के लिए किन कार्यो के लिए ऋण बैंकों से ऋण की प्राप्ति बचत खाता, सामाजिक बुराईयों के निराकरण के कार्य आदि बिन्दुओं पर चर्चा के साथ ही आमजन व बैंकर्स व अन्य विभागों के साथ सम्बन्ध बढ़े तथा लोगों में सरकारी बैंकों के प्रति अधिक विश्वास उत्पन्न हो व पूरी तरह से पारदर्शिता से कार्य हो इस पर चर्चा हुयी।
जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह ने कहा कि बैंकर्स, डीआरडीए, खण्ड विकास अधिकारी आदि सरकारी संस्थाओं को परस्पर सामजस्य कार्यो में रूचि लेकर अधिक से अधिक लोगों की बेहतर मदद करने में आगे आकर नाबार्ड व सरकार द्वारा द्वारा दिये गये निर्देशों के अनुरूप कार्यो को गति दे। नाबार्ड के सहायक महाप्रबन्धक दीपेन्द्र कुमार ने कार्यक्रम का संचालन किया। स्वयं सहायता समूह का महत्व गरीबी अनुमूलन में स्वयं सहायता समूह के महत्व को भी स्क्रीन के माध्यम से प्रस्तुति कर विस्तार से जानकारी दी गयी। समूह के गठन बैंक लिंकेज के सन्दर्भ, एनआरएलएम की भी विस्तार से जानकारी दी गयी तथा जिले में समूह द्वारा की गयी अब तक की प्रगति पर भी प्रकाश डाला गया। डीडीएम नाबार्ड ने बताया कि 31 मार्च 2017 तक पूरे भारत में कुल 85 लाख समूह चल रहे है तथा 16114 करोड रूपये की बचत बैंक में जमा है। अब तक बैंकों ने कुल रूपया 61600 करोड का लोन भी बांटा है। लोन प्रक्रिया को आसान व सरल बनाने की जरूरत है। जिसमें बैंकर्स अपने अग्रणी भूमिका अदा कर सकते है। जिन बैंकर्स के लक्ष्य पूर्ति नही है वे आगामी दिनों की तिथि निर्धारित कर विशेष अभियान या कैम्प लगाकर लक्ष्य को पूरा करे। कार्यशाला को एलडीएम जीपी भारतीय, पीडी एसके पाण्डेय, डीसी मनरेगा पीएन दीक्षित, डीडीओ अभिराम त्रिवेदी तथा बैंकर्स व खण्ड विकास अधिकारियों ने विस्तार से कार्यशाला में चर्चा की। इस मौके पर समस्त खण्ड विकास अधिकारी, बैंकर्स व स्वयं सहायता समूह आदि के प्रतिनिधि आदि भी उपस्थित रहे।