Friday, April 26, 2024
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बाहर की बातें अन्दर चली जाती हैं तो कश्ट होता है …..

हाथरसः जन सामना संवाददाता। सुबह से षाम तक सिर्फ बाहर-बाहर और बाहर रहते हैं हम और कलियुग में बाहर जो कुछ भी हो रहा है वह ज्यादातर कश्टदायी ही है क्योंकि लोगों का व्यवहार, आचरण ज्यादातर क्रोध, ईश्र्या, द्वेश, काम आदि बुराईयों के वषीभूत होकर हो रहा है। सारे कश्ट आत्मा को ही अपनी षक्ति मन के द्वारा होते हैं। षरीर को तो विश्राम और भोजन दे देते हैं लेकिन मन को विश्राम और श्रेश्ठ संकल्पों का भोजन न मिल पाने से वह दुःखी और अषान्त हो जाता है, जिसके कारण अधिकांष बीमारियाँ पैदा हो रही हैं। बाहर की बातें अन्दर चली जाती हैं तो कश्ट होता है। अन्तःकरण में झाँकने की फुर्सत है ही नहीं। उक्त विचार माउण्ट आबू के एवर हैल्दी हाॅस्पीटल से आये बी0के0 डाॅ0 सुभाश भाई ने मन को दुरूस्त रखने के लिए अलीगढ़ रोड स्थित प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईष्वरीय विष्व विद्यालय के आनन्दपुरी कालोनी केन्द्र पर सोमवार को प्रातःकालीन राजयोग सत्र में ब्रहमावत्सों के मध्य व्यक्त किये। उन्होंने संसार की नष्वरता के विशय में बताते हुए कहा कि इस दुनिया से जो कुछ भी अब तक जो कुछ भी लिया है वह इस दुनिया को ही देकर जाना होगा। यदि समझ में आ जाये तो जीवन का एक-एक सेकण्ड कीमती है। यह देखना चाहिए कि वह कहाँ लगाया जा रहा है। सब कुछ आत्मा में उठ रहे विचारों पर निर्भर करता है। जैसा संकल्प वैसी ही स्थिति बन जायेगी। सुबह उठते ही यदि मन में भय, कश्ट आदि नकारात्मक विचार हैं तो पूरा दिन ही वैसा ही बीतेगा। यदि स्वस्थ रखना चाहते हैं तो मन को दुरूस्त बनाओ। मन दुरूस्त तो तन दुरूस्त।  इससे पूर्व ब्रहमावत्सों को सम्बोधित करते हुए केन्द्र संचालिका बी.के. षान्ता बहिन  ने कहा कि भगवान षिव भोलेनाथ का पार्ट सबको सुख देने का है इसलिए लोग उन्हें नैनों पर रखते हैं, सिर माथे पर रखते हैं तो उनकी सन्तान आत्माओं को भी सभी को सुख देने का पार्ट बजाना चाहिए। चेहरे पर खुषी की झलक हो तो चेहरा चलता फिरता बोर्ड का काम करेगा। संसार परिवर्तन होने में अधिक समय नहीं लगेगा, आत्मा के खराब संस्कारों को श्रेश्ठ संस्कारों के परिवर्तन में समय लग रहा है।   इस अवसर पर बी0केे0 उमा बहिन, बी0केे0 ष्वेता बहिन, बी0के0 मोनिका, बी0के0 कैप्टन अहसान सिंह, राजेष षर्मा, दाउदयाल अग्रवाल, गजेन्द्र सिंह पौरूश, ओम प्रकाष, रामकुमार, टिवंकल खन्ना, रामेष्वर दयाल, नीरज, ममता, सीयाराम , बसन्त षर्मा, प्रेमनाथ अरोरा, केषवदेव, वेदवती, सरोज, राकेष अग्रवाल, गिरीष अग्रवाल, भगवानसिंह सहित प्र्रातःकालीन सत्र के समस्त नियमित ब्रहमावत्स उपस्थित थे।