बैठक में निवेश के साथ.साथ रूस से कारोबारी सहभागिता बढ़ाने पर भी चर्चा हुई
नई दिल्ली, जन सामना ब्यूरो। केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग और नागरिक उड्डयन मंत्री सुरेश प्रभु से शनिवार को नई दिल्ली में रूस के एक उच्चस्तरीय कारोबारी प्रतिनिधिमंडल ने भेंट की। इस दौरान निवेश के साथ.साथ रूस से कारोबारी सहभागिता बढ़ाने पर भी चर्चाएं हुईं।
रूस ने वर्ष 2000 और वर्ष 2017 के बीच भारत में 1.2 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश किया है। वर्ष 2017 में सेंट पीटर्सबर्ग में भारत के प्रधानमंत्री और रूस के राष्ट्रपति के बीच हुए 18वें वार्षिक शिखर सम्मेलन में अगले 6.7 वर्षों के दौरान निवेश को 10 गुना बढ़ाने का निर्णय लिया गया था। रूस के निवेश वाले महत्वपूर्ण क्षेत्रों में तेल एवं गैस, रक्षा उपकरणों की आपूर्ति, विद्युत एवं ऊर्जा और व्यापक बुनियादी ढांचागत परियोजनाएं शामिल हैं।
दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को और ज्यादा बढ़ाने के साथ.साथ क्रेता.विक्रेता संबंधों से भी परे जाने की अपार संभावनाएं हैं। सुरेश प्रभु ने कहा कि इस राह में सहूलियत के उद्देश्य से भारत ने ’इन्वेस्ट इंडिया’ में रूसी कंपनियों के लिए ’रूस प्लस’ नामक एक वन.स्टॉप शॉप या केन्द्र की स्थापना की है जो निवेश में तेजी लाएगा। मंत्री महोदय ने कहा कि दिल्ली.मुम्बई औद्योगिक कॉरिडोर, स्मार्ट सिटी, रेलवे, सार्वजनिक परिवहन, स्वच्छता और किफायती आवास में रूस की ओर से निवेश की व्यापक संभावनाएं हैं। वाणिज्य मंत्री ने कहा कि रूस सूचना प्रौद्योगिकी और सेवा क्षेत्र में एक मूल्यवान बाजार बन सकता है क्योंकि भारत से सर्वाधिक निर्यात सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और सेवाओं का ही होता है। भारतीय कंपनियां विनिर्माण क्षेत्र के लिए आवश्यक माने जाने वाले सॉफ्टवेयर में रूसी कंपनियों के साथ सहभागिता सुनिश्चित करने की संभावनाएं भी तलाश सकती हैं।
भारत से रूस को दवाओं का भी अच्छा.खासा निर्यात होता है लेकिन रूस के (फार्मा 2020 कार्यक्रम) के तहत भारत की अग्रणी फार्मा कंपनियों द्वारा संयुक्त निवेश करने की संभावनाएं भी तलाशी जा रही हैं। वाणिज्य मंत्री ने कहा कि रूस वैसे तो भारत को रक्षा उपकरणों की आपूर्ति का एक प्रमुख स्रोत है, लेकिन भारत में रक्षा उत्पादन क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का मार्ग प्रशस्त हो जाने से अब दोनों देशों के लिए और ज्यादा अवसर उपलब्ध हो गए हैं। रूसी कंपनियां हेलिकॉप्टरोंए परमाणु रिएक्टरों और सोलर पैनलों के लिए कलपुर्जों की आपूर्ति हेतु नए मानकों के तहत रक्षा विनिर्माण के लिए एक समर्पित औद्योगिक पार्क में निवेश करने पर विचार कर सकती हैं। सुरेश प्रभु ने कहा कि भारत एक जीवंत स्टार्टअप व्यवस्था स्थापित करने की इच्छा रखता है और रूस इन्क्यूबेशन केन्द्रों की स्थापना के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकी एवं सहायता मुहैया कराने के साथ.साथ स्टार्टअप्स में निवेश करके भी इस दिशा में सक्रियतापूर्वक साझेदारी कर सकता है। इस बैठक के दौरान तेल एवं गैस क्षेत्र, एयरोस्पेस, बंदरगाहों एवं शिपिंग और रेलवे के साथ.साथ उर्वरक, रत्न एवं जेवरात तथा पर्यटन क्षेत्रों में भी सहयोग की संभावनाओं पर विचार.विमर्श किया गया।
वाणिज्य मंत्री ने भारत के टियर.2 एवं टियर.3 शहरों में ग्रीनफील्ड अथवा नए हवाई अड्डों के साथ.साथ ब्राउनफील्ड हवाई अड्डों की भी स्थापना से जुड़ी प्रक्रिया एवं नीति के बारे में विस्तार से बताया। देश में प्रायोगिक तौर पर स्थापित किए जा रहे प्रशिक्षण केन्द्र में भी रूसी निवेश की संभावनाएं तलाशी जा सकती हैं। श्री प्रभु ने रूस की एयरोस्पेस कंपनियों को जनवरी 2019 में भारत में आयोजित होने वाले वैश्विक उड्डयन शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया।
वर्ष 2017 में भारत और रूस के बीच व्यापार कुल मिलाकर 10.13 अरब अमेरिकी डॉलर का हुआ। इस दौरान रूस से निर्यात 8.04 अरब अमेरिकी डॉलर का हुआ। जबकि भारत से निर्यात 2.08 अरब अमेरिकी डॉलर का हुआ। वाणिज्य मंत्री ने विशेष जोर देते हुए कहा कि व्यापार घाटे में कमी के लिए हरसंभव प्रयास किए जाने चाहिए। बैंकिंग, स्वच्छता एवं पादप. स्वच्छता (फाइटो सैनिटरी) मुद्दों जैसी व्यापार बाधाओं, भाषा संबंधी बाधा और वीजा से जुड़े मुद्दों के कारण ही द्विपक्षीय व्यापार का स्तर अपेक्षा से कम है।
सुरेश प्रभु ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय उत्तर दक्षिण कॉरिडोर (आईएनएसटीसी) भारत, रूस और ईरान द्वारा की गई एक महत्वपूर्ण पहल है जिसका उद्देश्य परिवहन क्षेत्र में सहयोग बढ़ाना और मध्य एशिया के देशों के साथ कनेक्टिविटी को बेहतर करना है। आईएनएसटीसी ईरान से रूस और उत्तरी यूरोप होते हुए हिंद महासागर और फारस की खाड़ी को जोड़ने वाला सबसे कम दूरी का मल्टी.मोडल परिवहन रूट है। इस कॉरिडोर के जरिए वस्तुओं को ढोने की अनुमानित क्षमता प्रति वर्ष 20.30 मिलियन टन है और इससे परिवहन में लगने वाले समय एवं लागत में 30 से लेकर 40 प्रतिशत तक की कमी आएगी। सुरेश प्रभु ने कहा कि आईएनएसटीसी पर 23 नवंबर 2018 को होने वाली त्रिपक्षीय बैठक में सभी मुद्दे संभवतः सुलझा लिए जाएंगे, ताकि इस रूट को जल्द से जल्द चालू किया जा सके।