Thursday, March 28, 2024
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कागजी आंकड़ों में पूरा बिधनू ब्लाॅक हो गया ओडीएफ

-स्वच्छ भारत मिशन को ग्राम विकास अधिकारी व ग्राम प्रधान लगा रहे पलीता
-खण्ड विकास अधिकारी बोले जिला प्रशासन के कहने पर ओडीएफ घोषित किया
-दबी जुबान में बोले ग्राम प्रधान, कमीशनबाजी के चलते सब कुछ हो जाता है माफ
-सरकारें बदली लेकिन नहीं बदली अधिकारियों की कार्यशैली
-शौचालयों के निर्माण में मानकों की उड़ाई गई जमकर धज्जियां
-आधे-अधूरे बनाये गये शौचालयों को भी दिखा दिया गया उपयोग में

कानपुर। कागजों पर ही ब्लाॅक हो गया ‘खुले में शौच मुक्त’। जी हां स्वच्छ भारत मिशन के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में बनाये गये शौचालयों की जमीनी हकीकत यही है कि उन्हें कागजों पर बना दिया गया है और उनके उपयोग करने की रिपोर्ट लगा कर ओडीएफ घोषित कर दिया गया है।
‘खुले में शौच मुक्त भारत’ का स्वप्न देखने वाले देश के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी के इस स्वप्न को पलीता लगाया जा रहा है और इस अभियान को पलीता लगाने में ग्राम प्रधान और ग्राम विकास अधिकारी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं। खास बात यह है कि इस अभियान को पलीता लगाने वाले ग्राम विकास अधिकारियों व ग्राम प्रधानों को खण्ड विकास अधिकारी से लेकर जिले स्तर के अधिकारियों का पूर्ण संरक्षण प्राप्त है।
स्वच्छ भारत मिशन के अन्तर्गत बनाये गये शौचालयों की जमीनी हकीकत देखने के लिए बिधनू ब्लाॅक के मंझावन की वार्ड 1 बारा दुआरी मोहल्ले की आबादी में जब मीडिया टीम मौके पर पहुंची और शौचालयों की उपयोगिता पर बात की तो लोगों ने बताया कि प्रधान जी हम लोगों की सुनते ही नहीं। वहीं इस वाबत नाम ना छापने की शर्त पर ग्राम प्रधानों ने बताया कि 10 प्रतिशत तक कमीशन लिया जाता है और इसका माध्यम ग्राम विकास अधिकारी बन रहे हैं जो हम लोगों से उगाही करके जिले के अधिकारियों की जेबें भरने का काम कर रहे हैं इसी लिए सभी शिकायतों को दबा दिया जाता है। जो लोग कमीशन नहीं देते उन पर कार्रवाई कर प्रताड़ित किया जाता है।
कुछ भी हो लेकिन शौचालयों के निर्माण की जमीनी हकीकत वास्तव में कुछ अलग ही है। मंझावन की वार्ड 1 बारा दुआरी निवासी इसहाक की पत्नी अफसाना ने बताया कि मेरा शौचालय अभी चालू ही नहीं करवाया गया है और शौच के लिये मुझे खुले में जाना पड़ता है। प्रधान जी मेरी समस्या को सुन ही नहीं रहे।
शबाना पत्नी रहीश आलम ने बताया कि उनका भी शौचालय उपयोग के लायक है ही नहीं। साथ ही स्थानीय निवासी गुड्डू पुत्र छुटकऊ, वसीर पुत्र मेंहदी हसन, छोटे सहित तमाम लोगों ने बताया कि शौचालय नाम के बना दिये गये हैं और उनका उपयोग नहीं कर पा रहा हूं। लोगों ने यह भी बताया कि ग्राम प्रधान रावेन्द्र गुप्ता ने अपने ठेकेदार से शौचालय अपने मनमाफिक बनवाये हैं और मानकों की धज्जियां जमकर उड़ाई हैं। ग्रामवासियों ने बताया कि प्रधान जी ने अपनी जेब भर ली उन्हें इससे क्या मतलब कि शौचालय उपयोग लायक बनें या ना बनें। हालांकि मौके पर देखने को मिला कि कई शौचालयों में एक ही गड्ढा बना था तो कईयों के गड्ढे खुले पाये गये। लेकिन यहां ज्यादातर शौचालय उपयोग में नहीं लाये जा रहे हैं। अधिकतर लोगों ने खुले में शौच के लिए जाने की बात बताई।
इस बावत जब खण्ड विकास अधिकारी बिधनू, श्याम नारायण सिंह से जानकारी मांगी तो उन्होंने बताया कि पूरा ब्लाॅक ही ओडीएफ घोषित किया जा चुका है। लेकिन जब पूंछा गया अभीतक तो कई परिवारों के शौचालयों को पूर्ण नहीं किया गया तो ओडीएफ कैसे घोषित कहा जाये? इस पर उन्होंने उत्तर दिया कि जिला प्रशासन जाने जिसके इशारे पर ओडीएफ घोषित किया गया था। इस बावत एडीओ पंचायत से सम्पर्क करने की कोशिश की तो उन्होंने मोबाइल रिसीब करने का कष्ट नहीं किया।
इस बावत यह कहना कदापि अनुचित नहीं कि शौचालयों के निर्माण में बरती जा रही लापरवाही व मानकों की उड़ती धज्जियां भाजपा के क्षेत्रीय विधायकों व सांसदों को भी नहीं दिख रहीं क्योंकि इस मसले पर कोई कुछ नहीं बोल रहा है बस यह कहकर वाहवाही लूट रहे हैं कि मोदी जी ने हर घर में शौचालय बनवा दिये हैं। जबकि ह क्षेत्र में शौचालयों के निर्माण में जमकर धांधली की गई और और स्थानीय स्तर से लेकर जिले स्तर के अधिकारियों ने अपनी जेबें भरने का कार्य किया है।
-स्वप्निल तिवारी व नीरज राजपूत की विशेष रिपोर्ट।